निपुण सहगल, एबीपी न्यूज़





नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट 24 जनवरी को बीसीसीआई में नए प्रशासकों की नियुक्ति कर देगा. आज वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम और अनिल दीवान ने कोर्ट को सीलबंद लिफाफे में 9 नाम सौंपे. कोर्ट ने कहा है कि वो इन नामों पर विचार कर आदेश जारी करेगा.



 



3 जजों के बेंच की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा,"9 लोगों की टीम बहुत बड़ी है. हम ये बताएंगे कि इनमें से कितने और कौन कौन प्रशासक हो सकते हैं. फ़िलहाल हमें सौंपे गए नाम सार्वजनिक न किए जाएं."



 



आज की सुनवाई की सबसे चौंकाने वाली बात रही केंद्र सरकार के सबसे बड़े वकील एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी का पेश होना. रोहतगी ने रेलवे, सेना और यूनिवर्सिटीज की तरफ से मामले में दखल देते हुए लोढ़ा कमिटी की सिफारिशें लागू करने से जुड़े कोर्ट के आदेश में कई कमियां गिना डालीं. उन्होंन कोर्ट से पिछले साल 18 जुलाई का दिए आदेश को वापस लेने की मांग की.



एटॉर्नी जनरल ने कहा - "रेलवे, सेना और यूनिवर्सिटीज का दर्जा स्थायी सदस्य का था. एक राज्य एक वोट का नियम लागू कर इन्हें एसोसिएट सदस्य बना दिया गया. उनसे वोट देने का अधिकार छीन लिया गया." उन्होंने आगे कहा- "ये भी कह दिया गया कि सरकारी नौकर एसोसिएशन के पदाधिकारी नहीं हो सकते. सेना, रेलवे का क्रिकेट एसोसिएशन किसी निजी व्यक्ति को 



कैसे पदाधिकारी बना सकता है?"



बेहद आक्रामक तरीके से दलीलें रख रहे रोहतगी ने कहा - "बीसीसीआई एक निजी संस्था है. हर राज्य क्रिकेट संघ अलग कानून के आधार पर बना है. सबको एक साथ, एक जैसे नियम से बांधने में कानूनी तौर पर कई कमियां हैं. सुप्रीम कोर्ट इस पर विचार करे."



 



उनके इस बयान का मामले में अदालत के सलाहकार वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम ने कड़ा विरोध किया. क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार के वकील ने तो रोहतगी पर केंद्र का वकील होने के बावजूद बीसीसीआई की भाषा बोलने का आरोप तक लगा दिया.



 



कोर्ट ने रोहतगी से कहा- "हम अभी आपकी बात को सुनने से मना नहीं कह रहे. लेकिन इस मामले में रिव्यू और क्यूरेटिव पेटिशन भी ख़ारिज होने के बाद दोबारा सुनवाई हो सकती है या नहीं, हमें देखना होगा."



 



बीसीसीआई की तरफ से कपिल सिब्बल ने कहा कि सभी पदाधिकारी बाहर कर दिए गए हैं. 2 और 3 फरवरी को आईसीसी के साथ अहम बैठक में कौन हिस्सा लेगा. ये पता ही नहीं है. उनसे जिन वित्तीय मसलों पर बात होनी है वो कोई अनुभवी पदाधिकारी ही कर सकता है.



 



कोर्ट में गर्मागर्म बहस के दौरान वकीलों के बीच लगातार तीखी झड़प होती रही.केरल क्रिकेट संघ की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने लोढ़ा कमिटी पर हो रहे खर्च का ज़िक्र करते हुए असंसदीय शब्द का प्रयोग कर दिया. नाराज़ कोर्ट ने कहा कि उनकी कोई भी बात सुनने से मना करते हुए उन्हें बैठा दिया.



 



आज कोर्ट ने बीसीसीआई और राज्य संघ में पदाधिकारी होने की समय सीमा से जुड़े नियम को स्पष्ट किया. कोर्ट ने कहा कि आदेश में ये नहीं कहा गया कि कोई व्यक्ति बीसीसीआई और राज्य संघ को मिलाकर कुल 9 साल ही पदाधिकारी रह सकता है. माना जा रहा है कि इससे राज्य संघ में 9 साल बिता चुके लोगों के बीसीसीआई में आने का रास्ता साफ हो गया है.