ICC T20 WC: इंग्लैंड के पूर्व कप्तान नासिर हुसैन का मानना है कि वैकल्पिक योजना की कमी के कारण कोई भी टीम इंडिया को मात दे सकता है. उन्होंने कहा कि और खेल के सबसे छोटे प्रारूप में अनिश्चितता की स्थिति के कारण आईसीसी (अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद) टी20 विश्व कप के नॉकआउट चरण में कोई भी टीम भारत को हरा सकती है.
टेस्ट मैचों में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया को हराकर भारत टूर्नामेंट से पहले शानदार लय में दिख रहा है. आईपीएल (इंडियन प्रीमियर लीग) के कारण टीम के खिलाड़ियों के पास आवश्यक मैच अभ्यास भी है. उन्होंने कहा कि भारत खिताब जीतने के दावेदार तो है लेकिन मैं उन्हें प्रबल दावेदार नहीं मानूंगा क्योंकि यह प्रारूप अनिश्चितता वाला है. इस प्रारूप में किसी एक खिलाड़ी की 70 या 80 रन की पारी या महज तीन गेंदों में मैच का रुख पलट सकता है. इसलिए कोई भी नॉकआउट मैच में भारत को परेशान कर सकता है.
नॉकआउट में भारत का रिकॉर्ड कैसा?
इंग्लैंड के पूर्व कप्तान नासिर हुसैन ने हाल के आईसीसी प्रतियोगिताओं के नॉकआउट चरणों में भारत के खराब रिकॉर्ड का भी जिक्र किया. भारत ने अपना आखिरी आईसीसी खिताब 2013 में एमएस धोनी के नेतृत्व में चैम्पियंस ट्रॉफी फाइनल में इंग्लैंड को हराकर हासिल किया था. भारतीय टीम इसके बाद 2015 विश्व कप, 2016 टी 20 विश्व कप और 2019 विश्व कप में सेमीफाइनल से बाहर हो गयी थी, जबकि 2017 चैंपियंस ट्रॉफी और इस साल की शुरुआत में विश्व टेस्ट चैंपियनशिप में उपविजेता रही है. नासिर हुसैन का कहना है कि भारत का आईसीसी टूर्नामेंटों में पिछले कुछ वर्षों में रिकॉर्ड अच्छा नहीं है और यह कुछ ऐसा है जिससे उन्हें निपटना होगा . जब वे नॉकआउट में खेलते है तो भारतीय दर्शकों और प्रशंसकों की उम्मीदों का दबाव और बढ़ जाता है.
वैकल्पिक योजना पर काम जरुरी
इंग्लैंड के पूर्व कप्तान हुसैन को लगता है कि नॉकआउट मैच में शीर्ष क्रम के विफल होने पर भारत के पास वैकल्पिक योजना नहीं है. उन्होंने कहा कि जब वे अहम मोड़ पर पहुंचते हैं तो उनके पास वैकल्पिक योजना की कमी होती है. आप पिछले विश्व कप में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेले गए मैच को देख सकते हैं, अचानक वह मैच कम स्कोर वाला हो जाता है और उनके पास कोई वैकल्पिक योजना नहीं थी. वे न्यूजीलैंड की एक बहुत अच्छी टीम से हार जाते हैं . ऐसे में यह उनके लिए एक मुद्दा होगा. उन्होंने कहा कि भारत के साथ एक समस्या यह भी है कि शीर्ष क्रम में रोहित शर्मा, विराट कोहली और लोकेश राहुल जैसे बल्लेबाजों के होने से मध्यक्रम को ज्यादा मौके नहीं मिलते और नॉकआउट मैचों में अगर शीर्ष क्रम बिखर जाता है तो टीम परेशानी में आ जाती है.
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