यो-यो और डेक्सा स्कैन कर सकता है कई बड़े खिलाड़ियों की टीम इंडिया से छुट्टी?
भारतीय क्रिकेट में यो-यो टेस्ट पिछले कई सालों से चर्चा का विषय बना रहा है. बीसीसीआई ने एक बार फिर यो-यो टेस्ट और डेक्सा टेस्ट को खिलाड़ियों के राष्ट्रीय टीम में चयन के लिए जरूरी कर दिया है.
भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों को अब 'यो-यो टेस्ट' और 'डेक्सा स्कैन' से गुजरना होगा. इस टेस्ट में जो भी फेल होगा उसको टीम इंडिया में जगह नहीं मिलेगी. ये फैसला विश्वकप टूर्नामेंट की तैयारियों को लेकर किया गया है.
बीसीसीआई ने बीते रविवार एक मीटिंग बुलाई थी जिसमें खिलाड़ियों के फिटनेस को लेकर कई अहम फैसले लिए गए. जिसके तहत अब यो-यो टेस्ट और डेक्सा स्कैन अब खिलाड़ियों के लिए अहम बना दिया गया है.
बीते टी20 वर्ल्ड कप में हार, एशिया कप में निराशाजनक प्रदर्शन और बांग्लादेश में वनडे सीरीज में भारतीय टीम का प्रदर्शन को देखते हुए अब इस फिटनेस टेस्ट को लागू करने का फैसला लिया गया है. साल 2022 में टीम इंडिया के कई खिलाड़ी चोटिल हुए थे. इन खिलाड़ियों में केएल राहुल, रवींद्र जडेजा जसप्रीत बुमराह, और मोहम्मद शमी का नाम भी शामिल है.
इसलिए बीबीसीआई इन खिलाड़ियों के फिटनेस से समझौता नहीं करने का फैसला लिया है और इसी के मद्देनजर टीम इंडिया की समीक्षा बैठक में यो-यो टेस्ट और डेक्सा स्कैन का फैसला लिया गया.
हालांकि ये नियम कोई नया नहीं है. खिलाड़ियों को पहले भी इस टेस्ट से गुजरना पड़ता था लेकिन कोरोना महामारी के दौरान उनके मेंटल हेल्थ को ध्यान में रखते हुए इसे हटा दिया गया था.
अब एक बार फिर से इसे जरूरी कर दिया गया है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ये यो-यो टेस्ट और डेक्सा टेस्ट है क्या? और इसके होने से भारतीय क्रिकेट टीम पर क्या असर पड़ सकता है.
क्या होता है योयो टेस्ट?
भारतीय क्रिकेट में यो-यो टेस्ट पिछले कई सालों से चर्चा का विषय बना रहा है. इसे इंटरमिटेंट रिकवरी टेस्ट (यो-यो टेस्ट) कहा जाता है. यह एक तरह से बीप टेस्ट की तरह ही होता है, जिसमें खिलाड़ियों को दो सेटों से बीच दौड़ लगाना होता है. उन सेटों की दूरी लगभग 20 मीटर होती है जो कि एक पिच के बराबर है.
इस टेस्ट को पास करने के लिए खिलाड़ी को पहले सेट से दूसरे सेट तक दौड़ लगाकर वापस आना होता है. दोनों सेट की दूरी पूरी करने पर इसे एक शटल माना जाता है. हर एक शटल के बाद दौड़ने के समय को कम कर दिया जाता है लेकिन इसकी दूरी में कमी नहीं होती.
इस टेस्ट को पांचवें लेवल से शुरू किया जाता है और 23 लेवल तक चलता रहता है. खिलाड़ियों को इस टेस्ट को पास करने के लिए 23 में से कम से कम 16.5 स्कोर लाना जरूरी है.
इस टेस्ट की शुरुआत साल 1990 में डेनमार्क के फुटबॉल फिजियोलॉजिस्ट डॉ जेन्स बैंग्सबो ने किया था. भारतीय क्रिकेट टीम में तत्कालीन स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग कोच शंकर बसु ने इस टेस्ट को करने अनिवार्य करने का नियम साल 2017 में पहली बार शुरू किया गया.
कई खिलाड़ी हो चुके हैं टेस्ट से में फेल
यो-यो टेस्ट में पहले कई बड़े खिलाड़ी फेल हो चुके हैं. इन खिलाड़ियों में युवराज सिंह, अंबाती रायुडू, सुरेश रैना, मोहम्मद शमी, संजू सैमसन और वरुण चक्रवर्ती जैसे खिलाड़ी शामिल हैं. कोरोना महामारी से पहले आईपीएल के लिए भी यो-यो टेस्ट में पास होना जरूरी कर दिया गया है. आसान भाषा में समझे तो जो भी खिलाड़ी भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट में हैं, उन्हें टीम में खेलने से पहले यो-यो टेस्ट पास करना होगा. अगर वह पास नहीं करते हैं तो वह आईपीएल भी नहीं खेल सकेंगे.
क्या है डेक्सा स्कैन?
डेक्सा स्कैन इंसानी शरीर की बनावट और हड्डियों की स्थिति जानने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय मानक है. यह भी एक तरह का फिटनेस टेस्ट है. जिसके तहत किसी इंसान के शरीर की चर्बी, हड्डियों की मजबूती, पानी की मात्रा की जांच होती है.
डेक्सा स्कैन एक तरह का फिटनेस टेस्ट ही है जिसमें एक व्यक्ति के शरीर की चर्बी, हड्डियों की मजबूती, शरीर में पानी की मात्रा की जांच की जाती है. इसे भारतीय क्रिकेट टीम में कुछ साल पहले लागू किया गया था. हालांकि कुछ तकनीकी दिक्कतों और कोरोना महामारी को देखते हुए इसे रोक दिया गया था.
लेकिन पिछले कुछ सालों में भारतीय खिलाड़ियों के जोड़ों के दर्द और हड्डियों में परेशानी की शिकायत आई हैं. जिसे देखते हुए इस डेक्सा स्कैन को एक बार फिर से नियम में जोड़ा गया.
डेक्सा स्कैन आमतौर पर दस मिनट का एक टेस्ट होता है जिससे शरीर के फैट और मांसपेशियों की स्थिति का पता लगाता है. इस टेस्ट की मदद से शरीर की हड्डियां कितनी मजबूत इसकी जांच होती है और इसके साथ ही हड्डियों में मौजूद कैल्शियम और अन्य मिनरल्स की जानकारी भी मिलती है.