टीम इंडिया को साबित करना होगा बार बार नहीं लड़खड़ाएँगे क़दम
यूँ तो सीरीज के नतीजे के लिहाज से रविवार का मैच एक औपचारिकता भर है. टीम इंडिया सीरीज जीत चुकी है. ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड को उसी के घर में हराने से उसका विश्व क्रिकेट में रूतबा बढ़ा है.
यूँ तो सीरीज के नतीजे के लिहाज से रविवार का मैच एक औपचारिकता भर है. टीम इंडिया सीरीज जीत चुकी है. ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड को उसी के घर में हराने से उसका विश्व क्रिकेट में रूतबा बढ़ा है. लेकिन पिछले वनडे मैच में जिस तरह टीम इंडिया लडखडाई उसने फैंस को काफी निराश किया.
निराश करने के अलावा एक डर भी पैदा किया कि अगर गेंद स्विंग हुई तो क्या भारतीय बल्लेबाज़ों का ये हश्र होगा? ये डर और सवाल इसलिये पैदा हुआ क्योंकि इसी साल इंग्लैंड में होने वाले विश्व कप से पहले ये विदेशी पिच पर खेली जा रही आखिरी सीरीज है.
इस सीरीज में भारतीय टीम के प्रदर्शन पर दुनिया की सभी टीमों की नज़र है. हर किसी को टीम इंडिया की कमजोरी को समझने में दिलचस्पी है. जिससे विश्व कप के लिए उनके ख़िलाफ़ रणनीति बनाई जा सके. आपको याद दिला दें कि पिछले मैच में पूरी भारतीय टीम 30.5 ओवर में 92 रन बनाकर आउट हो गई थी. भारतीय टीम के सात बल्लेबाज़ दहाई के आँकड़े तक को नहीं छू पाए थे. न्यूज़ीलैंड ने वो मैच आठ विकेट के बड़े अंतर से जीता था.
बल्लेबाजों से दोबारा ना हो ऐसी भूल
दरअसल टीम इंडिया के लिए इस वक्त सबसे ज़रूरी बात यही है. उन्हें ये संदेश देना होगा कि पिछले मैच में जो कुछ हुआ वो बार बार नहीं होगा. विश्व क्रिकेट में दिग्गज बल्लेबाज़ों ये भरी इस टीम के सभी स्टार एक साथ फ़ेल नहीं हो सकते. इसके लिए ज़रूरी है कि टॉप ऑर्डर या मिडिल ऑर्डर का एक बल्लेबाज़ हर हालत में पचास ओवर तक क्रीज़ पर टिके रहने के इरादे से क्रीज़ पर उतरे.
पिछले मैच में स्विंग गेंदबाज़ी के ख़िलाफ़ भारतीय बल्लेबाज़ों ने घुटने टेके थे. ट्रेंट बोल्ट ने 10 ओवर में 21 रन देकर पाँच विकेट लिए थे. हाल के दिनों में भारतीय बल्लेबाज़ों के ख़िलाफ़ इस तरह की कामयाबी शायद ही किसी गेंदबाज़ को मिली हो.
रविवार को जब भारतीय गेंदबाज़ों के सामने बोल्ट आएँगे तो निश्चित तौर पर उनका एक ख़ौफ़ भारतीय बल्लेबाज़ों के मन में होगा. बेहतर होगा उस ख़ौफ़ को दिमाग पर चढ़ने देने की बजाए उसे सावधानी से बल्लेबाज़ी करके निकाला जाए. इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि इंग्लैंड में विश्व कप से पहले विदेश पिच पर मैच खेलने का ये उसका आखिरी मौका है. इस मौके को भुनाने के अलावा इससे दुनिया भर की टीमों को संदेश भी देना होगा. इससे पहले भी ऐसा हुआ है जब एक मैच में बुरी तरह पिटने के बाद टीम इंडिया ने दमदार वापसी की है.
क्या फिर रोहित शर्मा करेंगे पलटवार
ये पहला मौक़ा नहीं है जब भारतीय टीम की बल्लेबाज़ी लड़खड़ाई हो. निश्चित तौर पर ये आखिरी मौक़ा भी नहीं है. बेहतर होगा कि खिलाड़ियों के साथ साथ फैंस भी पिछली कड़वी हार का स्वाद मुँह से निकाल दें. भूलना नहीं चाहिए कि दिसंबर 2017 में रोहित शर्मा की ही कप्तानी में भारत को धर्मशाला में करारी हार का सामना करना पडा था. उस मैच में भारतीय टीम 112 रन पर ऑल आउट हो गई थी.
श्रीलंका ने वो मैच सात विकेट के बड़े अंतर से जीता था. इसके बाद अगले मैच में रोहित शर्मा ने दोहरा शतक लगाया था. मोहाली में खेले गए उस मैच में 208 रनों की लाजवाब पारी खेली थी. भारत ने वो मैच 141 रनों के बड़े अंतर से जीता था. पिछला मैच रोहित शर्मा का 200वां अंतर्राष्ट्रीय मैच था. उस मैच में रन ना बना पाने की झुंझलाहट भी उनके मन में होगी. टीम इंडिया के लिए अच्छी खबर ये भी है कि टीम के थिक टैंक महेंद्र सिंह धोनी अब फ़िट हैं. इस बात का पूरा भरोसा है कि आखिरी मैच में वो मैदान में उतरेंगे. जाहिर है रोहित शर्मा के पास अब एक ऐसा खिलाड़ी होगा जो हर मुश्किल में टीम का संकटमोचक साबित हो सकता है.