कोरोना वायरस की वजह से क्रिकेट बुरी तरह प्रभावित हुआ है. एक के बाद एक बड़ी क्रिकेट सीरीज रद्द होने से कई देशों के बोर्ड को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे मुश्किल वक्त में सभी क्रिकेट खेलने वाले देशों की नज़रें दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड बीसीसीआई पर हैं. बीसीसीआई ने भी साफ किया है कि किसी दौरे पर खिलाड़ियों को दो हफ्ते के लिए क्वारंटीन रखने में कोई परेशानी नहीं होगी.


इस साल के अंत में इंडिया और ऑस्ट्रेलिया के बीच चार टेस्ट मैच की सीरीज खेली जानी है. आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिहाज से क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के लिए यह सीरीज बेहद जरूरी है. बीसीसीआई के कोषाध्यक्ष अरुण धूमल ने सीए को यह कहते हुए बड़ी राहत दी है कि आस्ट्रेलिया में जाने के बाद दो सप्ताह का क्वारंटीन बड़ी समस्या नहीं होगा.


आईसीसी के सदस्य चाहते हैं कि भारत इस मुश्किल समय के बाद आगे बढ़कर नेतृत्व करे और वो ऐसा ही करने वाला है ताकि वह सिर्फ रेवेन्यू अपने ही लिए नहीं कमाए बल्कि बाकी के अन्य बोर्डो की भी इसमें मदद करें.


बीसीसीआई के एक अधिकारी ने कहा कि बाकी के सदस्य देशों का साथ देना हमेशा से भारतीय बोर्ड की चाहत रहती है. अधिकारी ने कहा, "आईसीसी में स्थिति बदली है और बीसीसीआई वही करेगी है जो वो हमेशा से करना चाहती है और वह है बाकी के बोर्ड के साथ खेल को बनाए रखने के लिए मिलकर काम करना. मुझे लगता है कि कुछ बोर्ड सोच रहे होंगे कि उन्हें कुछ निश्चित लोगों ने अपने फायदे के लिए उपयोग में लिया. इसलिए यह जरूरी है संस्थान के सम्मान के लिए कानूनी (डी जूरे) लीडरशिप उसी के पास होनी चाहिए जो वास्तविक (डी फैक्टो) लीडर हो."


एक अन्य बोर्ड के कार्यकारी ने इस बात को माना कि इस महामारी के कारण आए वित्तीय संकट से निपटने के लिए ईसीबी और बीसीसीआई को आगे आना होगा. अधिकारी कहा, "बीसीसीआई और ईसीबी को एक साथ आना होगा और इस मुश्किल स्थिति में से खेल को बाहर निकालना होगा. आपको समझना होगा कि इस समय सदस्य बोर्ड चाहते हैं कि भारत और इंग्लैंड की टीम हर किसी के साथ खेले ताकि उन्हें आर्थिक नुकसान की भरपाई करने में मदद मिले और इसके लिए आपको बीसीसीआई से मजबूत नेतृत्व की जरूरत है."


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