Reasons Behind Team India's Defeat: क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में टीम इंडिया को घरेलू मैदानों पर हराना किसी भी टीम के लिए आसान नहीं रहा है. पिछले एक दशक से तो मेहमान टीमों के लिए भारत में द्विपक्षीय सीरीज जीतना वर्ल्ड कप जीतने जैसा रहा है. इस दौरान इक्का-दुक्का बार ही भारतीय टीम को शिकस्त खानी पड़ी है. पिछले चार साल में तो टीम इंडिया ने घर में कोई सीरीज ही नहीं गंवाई थी. लेकिन घर में न हारने का यह सिलसिला बीती रात (22 मार्च) टूट गया.
चेपॉक में ऑस्ट्रेलिया ने भारतीय टीम को 21 रन से हराकर तीन मैचों की वनडे सीरीज 2-1 से जीत ली. बीते चार साल में ऑस्ट्रेलिया पहली टीम रही, जिसने भारत को घर में सीरीज हराई. यह हार ऐसे समय पर आई है जब भारत में 6 महीने बाद वनडे वर्ल्ड कप होना है. ऐसे में भारतीय फैंस के लिए इस हार को पचाना आसान नहीं है, खासकर तब जब फैंस अपनी टीम से यह उम्मीद लगाकर बैठे हों कि घर में तो टीम इंडिया वर्ल्ड कप जीत ही जाएगी.
बहरहाल, यह वनडे सीरीज हाथ से निकल गई है और टीम इंडिया की कई कमजोरियां भी उजागर हो गई हैं. बल्लेबाजी, गेंदबाजी और फील्डिंग तीनों ही विभागों में कुछ कमियां हैं. इसके साथ ही काफी हद तक लापरवाही को भी इस सीरीज में हार की बड़ी वजह माना जा रहा है. मुश्किल हालातों में जज्बा बरकरार रखने जैसी चीजें भी टीम इंडिया से गायब नजर आ रही हैं.
टॉप ऑर्डर में नियमितता की कमी
एक वक्त था जब भारतीय टॉप ऑर्डर में से किसी एक बल्लेबाज का चलना तय होता था. शिखर धवन, रोहित शर्मा और विराट कोहली में से कोई एक बल्लेबाज बड़ी पारी खेल ही जाता था. यह चीज़ इस बार टीम इंडिया से गायब दिखी. न तो रोहित अपने उस फॉर्म में हैं और न ही कोहली वैसा खेल पाते हैं, जैसा कि वह पहले खेला करते थे. शिखर धवन टीम से बाहर हैं और उनकी जगह शुभमन गिल वनडे में लगातार अच्छा प्रदर्शन कर तो रहे हैं लेकिन इस सीरीज में वही पूरी तरह फ्लॉप रहे.
मिडिल ऑर्डर में जिम्मेदारी संभालने वाला कोई नहीं
इस वक्त भारतीय वनडे टीम में मिडिल ऑर्डर में ऐसा कोई बल्लेबाज नहीं है, जिस पर भरोसा किया जा सके. केएल राहुल, सूर्यकुमार यादव, हार्दिक पांड्या और रवींद्र जडेजा कई बार मैच विजेता पारी तो खेलते हैं लेकिन भरोसेमंद बल्लेबाजों की कैटेगरी से बाहर हैं. हार्दिक पांड्या और रवींद्र जडेजा तो ऑलराउंडर हैं, ऐसे में उन पर दोहरा भार होता है लेकिन यहां सूर्यकुमार यादव और केएल राहुल जैसे बल्लेबाजों से मुश्किल हालातों में सूझबूझ भरी पारी खेलने की आशा होती है लेकिन यह दोनों बल्लेबाज ज्यादातर मौकों पर निराश करते हैं.
तेज गेंदबाजी में और धार की जरूरत
भारतीय तेज गेंदबाज मोहम्मद शामी और मोहम्मद सिराज वैसे तो वनडे क्रिकेट में वर्ल्ड क्लास बॉलर हैं लेकिन इस सीरीज में यह दोनों गेंदबाज ज्यादा रंग नहीं बिखेर सके. खासकर जब विपक्षी बल्लेबाज ताबड़तोड़ बल्लेबाजी पर उतरता है तो यह गेंदबाज आक्रामक रवैया अपनाने की जगह दबाव में नजर आते हैं. यहां टीम इंडिया को बुमराह जैसे गेंदबाज की कमी खल रही है.
क्या लापरवाही भी है बड़ा कारण?
इस सीरीज के दूसरे मुकाबले में टीम इंडिया जिस तरह से हारी थी, वहां लापरवाही साफ नजर आई थी. विशाखापट्टनम की पिच बल्लेबाजी के लिए अच्छी थी लेकिन भारतीय बल्लेबाजों ने लापरवाही के साथ बल्लेबाजी की और विकेट गंवाए. गेंदबाजी के दौरान भी रणनीति का अभाव दिखाई दिया. ऐसा लगा जैसे भारतीय टीम उस मैच में अति आत्मविश्वास के साथ उतरी थी और इसी कारण वह यह मुकाबला शर्मनाक अंदाज में हारी.
लड़ने का जज्बा नहीं
एमएस धोनी की कप्तानी में हम देखते थे कि टीम इंडिया 200 के अंदर के टारगेट को डिफेंड करने में भी कामयाब हो जाती थी, यह टीम इंडिया के लड़ने का जज्बा था, जो अब गायब नजर आ रहा है. इस सीरीज के पहले वनडे मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया की टीम 200 के भीतर आउट हो गई थी लेकिन उन्होंने एक समय टीम इंडिया को मुश्किल हालात में डाल दिया था लेकिन जब दूसरे मैच में टीम इंडिया छोटे स्कोर पर ऑलआउट हुई तो भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया को जरा भी टक्कर नहीं दी. ऐसा लगा मानों टीम इंडिया ने समर्पण ही कर दिया हो. टी20 वर्ल्ड कप 2022 के सेमीफाइनल और एशिया कप 2022 में भी टीम इंडिया के बाहर होने की यह बड़ी वजह थी.
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