भारत में आईसीसी वर्ल्डकप के बारे में अगर कभी भी बात की जाएगी है तो जहन में सबसे पहला नाम कपिल देव और महेंद्र सिंह धोनी का नाम आएगा. इन दोनों दिग्गज खिलाड़ियों की कप्तानी में भारत ने वर्ल्डकप का खिताब जीता लेकिन एक कप्तान ऐसा भी है जिसने भारत को वर्ल्डकप तो जिताया लेकिन आज तक नेशनल टीम में भी जगह नहीं बना सके.


यह कप्तान कोई और नहीं बल्की दिल्ली के उनमुक्त चंद हैं. उनमुक्त की कप्तानी में साल 2012 में आज ही के दिन भारत ने अंडर-19 वर्ल्डकप का खिताब जीता था लेकिन कब वो क्रिकेट की दुनिया से गायब होते चले गए यह किसी को नहीं पता.


उनमुक्त को भारतीय क्रिकेट का भविष्य बाताय जाता था लेकिन किस्मत ऐसी रही कि 6 साल बित चुके हैं लेकिन भारतीय टीम तो दूर उन्हें अपनी घरेलू टीम दिल्ली में भी जगह बनाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. उनमुक्त के खराब फॉर्म का आलम यह रहा है कि इंडियन प्रीमियर लीग में भी अब कोई भी फ्रेंचाइची उनमें दिलचस्पी नहीं दिखाती है.


यह वही उनमुक्त चंद हैं, जिन्हें एक समय में भारत का उभरता हुआ क्रिकेटर माना जाता था. उनमुक्त की प्रतिभा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2012 अंडर-19 वर्ल्डकप के फाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 111 रनों की अद्भूत शतकीय पारी खेलकर टीम को जीत दिलाई थी लेकिन वक्त के साथ उनकी यह पारी अब धुंधली होती जा रही है.


शुरुआती दौर में उनमुक्त को कई मौके मिले लेकिन वह उसे भुनाने में कामयाब नहीं हो पाए. पहले रणजी टीम से बाहर हुए, फिर विजय हजारे ट्रॉफी से भी उन्हें ड्रॉप कर दिया गया.


आईपीएल में उनमुक्त को दिल्ली डेयरडेविल्स और मुंबई इंडियंस की टीम ने मौका दिया लेकिन वह वहां भी खुद को साबित नहीं कर सके और देखते ही देखते ही उनके करियर ग्राफ और नीचे ढलता चला गया.


उनमुक्त अपने अबतक के करियर में 60 फर्स्ट क्लास, 98 लिस्ट ए और 67 टी-20 मैच खेले हैं. फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उमुक्त ने 51.93 की स्ट्राइक रेट से 3184 रन बनाए हैं जिसमें उनका सार्वधिक स्कोर 151 रनों का है.


वहीं लिस्ट ए मैच में उनमुक्त ने 73.68 की स्ट्राइक रेट से 3730 रन बनाए हैं जबकि टी-20 में 1325 रन उनके नाम है.