8 ओवर के मैच में 68 रन का लक्ष्य मौजूदा टी-20 मुकाबलों में कहीं से मुश्किल नहीं होता. बशर्ते विरोधी टीम समझदारी के साथ लक्ष्य का पीछा करे और दूसरी टीम के खिलाड़ियों ने उम्मीद छोड़ दी हो. न्यूजीलैंड के खिलाफ तीसरे टी-20 मैच में तो कहानी ही अलग थी. यहां तो हर खिलाड़ी जीत के इरादे से ही मैदान में उतरा था.


बल्लेबाजी के दौरान सिर्फ इतना तय हुआ था कि कम से कम 65 रन तो स्कोरबोर्ड पर जोड़ ही लिए जाएं. एक बार 65 रन जुड़ गए तो टीम इंडिया की जीत की भूख बढ़ गई. मंगलवार को खेले गए मैच में जैसे जैसे एक्शन हुआ वैसे वैसे उसकी ये भूख यकीन में बदलती चली गई. हर खिलाड़ी के दिमाग में सिर्फ एक ही लक्ष्य था न्यूजीलैंड के खिलाफ टी-20 सीरीज में भी 2-1 से जीत. ये लक्ष्य इसलिए मुश्किल था क्योंकि टी-20 रैंकिंग्स में न्यूज़ीलैंड भारत से कहीं बेहतर टीम है लेकिन मुश्किल लक्ष्य को कुछ लम्हों ने पलटकर रख दिया.


रोहित शर्मा का शानदार कैच


ऐसे वक्त में जब खिलाड़ी दबाव में आ जाते हैं तब रोहित शर्मा ने एक कमाल का कैच पकड़ा. भुवनेश्वर कुमार ने पहले ओवर में गुप्टिल को आउट करके न्यूजीलैंड पर जो दबाव बनाया था उसे रोहित शर्मा के इस शानदार कैच ने और बढ़ा दिया. हुआ यूं कि पिछले मैच में शानदार शतक बनाने वाले मुनरो ने मिड ऑन की दिशा में गेंद को उठाकर खेला. रोहित शर्मा के सर के काफी ऊपर से गेंद निकल रही थी, लेकिन रोहित ने उल्टी दिशा में दौड़ते हुए छलांग लगाई और गेंद को हथेलियों में कैद कर लिया.


इस असंभव से दिखने वाले कैच को लपकने के बाद उन्होंने अपना ‘बैलेंस’ जरूर खो दिया लेकिन गेंद को हथेली से चिपकाए रखा. इस विकेट के बाद से ही न्यूज़ीलैंड की टीम पर दबाव बढ़ना शुरू हो गया. इसी दवाब का फायदा विराट कोहली ने उठाया. उन्होंने गेंदबाजी में बहुत सोच समझकर बदलाव किया.


एक ही ओवर में गिरे दो विकेट


विराट कोहली पांचवे ओवर में कुलदीप यादव को लेकर आए. उन्हें इस बात का अंदाजा था कि कीवी बल्लेबाज कुलदीप यादव के ओवर में आक्रमण करेंगे. हुआ भी ऐसा ही. पहली और दूसरी गेंद पर सिर्फ एक एक रन मिलने के बाद विलियम्सन ने स्ट्राइक रोटेट करने की कोशिश में एक जोखिम भरा रन चुराने का प्रयास किया. गेंद मिडविकेट पर हार्दिक पांड्या के हाथ में पहुंची और उन्होंने वहीं से शानदार ‘थ्रो’ लगाया. किस्मत और निशाना दोनों टीम इंडिया के साथ थे. कप्तान विलियम्सन को रन आउट होकर पवेलियन लौटना पड़ा. इन कामयाबियों के बाद भी लक्ष्य इतना छोटा था कि मैच पूरी तरह भारत के कब्जे में नहीं आया था.


इसकी नींव रखी कुलदीप यादव ने अगली ही गेंद पर, फिलिप ने आक्रामकता दिखाते हुए गेंद को हवा में बड़े शॉट के इरादे से उछाल दिया. गुगली गेंद पर शॉट तो अच्छा था लेकिन इतना ताकतवर नहीं कि बाउंड्री को पार कर सके वो भी तब जब वहां शिखर धवन मौजूद हों. नतीजा एक ही ओवर में दो विकेट गिर चुके थे और न्यूज़ीलैंड की टीम पूरी तरह दबाव में आ चुकी थी.


सातवें ओवर में बुमराह का कमाल और धोनी का शानदार रन आउट


आखिरी ओवर में ज्यादा से ज्यादा रन बचाए रखने के इरादे से विराट ने सातवां ओवर बुमराह को दिया. बुमराह ने इस ओवर में सिर्फ दस रन दिए. इससे पहले यजुवेंद्र चहल ने शानदार गेंदबाजी करने कीवियों पर दबाव कायम कर रखा था. बुमराह के इस ओवर में धोनी ने ब्रूस को रन आउट भी कर दिया. दरअसल तब तक न्यूजीलैंड के बल्लेबाज गेंद के बल्ले में लगे बिना भी रन भागने की शुरूआत कर चुके थे. एक रन पूरा कर भी लिया था. लेकिन दूसरा रन लेने की गलती उन्हें भारी पड़ी. बुमराह भले ही सीधा निशाना लगाने से चूक गए लेकिन हार्दिक पांड्या के थ्रो पर धोनी ने कोई गलती नहीं की. मामला तीसरे अंपायर के पास गया जिसने ब्रूस को आउट करार दिया.


इसके बाद आखिरी ओवर में न्यूज़ीलैंड को जीत के लिए 19 रनों की जरूरत थी. अब तक मैच भारत के पक्ष में ज्यादा आ चुका था. सिर्फ भावनाओं पर काबू रखना था और सटीक लाइन लेंथ पर गेंदबाजी करनी थी. कोहली ने हार्दिक पांड्या को 8वां ओवर दिया. फॉलोथ्रूल में तेजी से अपनी तरफ आते एक कैच को पकड़ने में उन्हें चोट भी लगी, ग्रैंडहोम ने एक छक्का भी लगाया. बावजूद इसके टीम इंडिया के खिलाड़ी अपने जज्जे और मेहनत के बल पर बाजी पलट चुके थे. न्यूज़ीलैंड को 6 रन से हार का सामना करना पड़ा.