अंडर 19 विश्व कप में भारत का सफर: बेहतरीन फॉर्म में चल रहे सलामी बल्लेबाज मंजोत कालरा की नाबाद शतकीय पारी की बदौलत भारतीय अंडर 19 टीम ने फाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया को आठ विकेट से हराकर चौथी बार खिताब अपने नाम कर लिया. ये दूसरी बार है कि जब फाइनल में ऑस्ट्रेलिया को भारत के हाथों करारी हार झेलनी पड़ी. इससे पहले उन्मुक्त चंद की कप्तानी में भारत ने 2012 विश्व कप ऑस्ट्रेलिया को हराकर जीता था.


2018 में भी वैसा ही कुछ देखने को मिला. ऑस्ट्रेलिया को 216 पर ऑल आउट करने के बाद भारत ने खिताबी लक्ष्य को 67 गेंद पहले हासिल कर लिया. पूरे टूर्नामेंट में भारत का दबदबा रहा और विश्व की कोई भी टीम उसे हरा नहीं पाई. कालरा के 101 रनों की नाबाद यादगार पारी खेली उनके अलावा भारत के लिए शुभमन गिल ने 31 और विकेटकीपर हार्विक देसाई ने नाबाद 47 रनों की पारी खेली.


ऑस्ट्रेलिया से शुरू ऑस्ट्रेलिया पर ही खत्म


14 जनवरी को भारत ने टूर्नामेंट का आगाज किया, देश में सूर्य कि दिशा बदल रही थी और न्यूजीलैंड में भारतीय बल्लेबाज ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों के दशा और दिशा बदल रहे थे. पहले ही मुकाबले में भारत ने ऑस्ट्रेलिया के सामने 328 रनों का लक्ष्य दे दिया. विशाल लक्ष्य और बुलंद हौसलों के सामने ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज 228 पर ही ढेर हो गए. कप्तान पृथ्वी शॉ ने जहां 94 रनों की बेहतरीन पारी खेली तो नागरकोटी और शिवम मावी की गेंद से पूरा क्रिकेट जगत हैरान रह गया.


पहले मुकाबले में जीत के बाद भारत का सामाना दो दिन बाद 16 जनवरी को कमजोर माने जाने वाली प्पुआ न्यू गिनी से हुआ. भारतीय गेंदबाजों ने पहले मुकाबले की बची कमी को दूसरे मुकाबले में पूरी की. इस बार स्पिनरों ने जलवा दिखाया और विरोधी टीम को 64 रनों पर ढेर कर दिया. 10 विकेट के शाही जीत के साथ भारत ने क्वार्टर फाइनल में जगह बना ली.


क्वार्टर फाइनल से पहले भारत को जिम्बॉब्वे के खिलाफ मुकाबले खेलने थे और परिणाम वही रहा. लगातार दूसरे मैच में भारतीय गेंदबाजों ने अपनी धार और फिरकी से दुनिया को हिला कर रख दिया. जिम्बॉब्वे की पूरी टीम 154 रनों पर सिमट गई. भारत ने लगातार दूसरी बार 10 विकेट से जीत दर्ज की.


सेमीफाइनल में जगह बनाने के लिए भारत को बांग्लादेश से कोई चुनौती नहीं मिली. पहले ही भारत को विजेता माना जा रहा था और मैच में देखने को ऐसा ही कुछ मिला. शुबमन गिल के बेहतरीन 86 रनों की बदौलत भारत ने 265 का चुनौती भरा स्कोर खड़ा किया. पहली बार भारत ऑल आउट हुआ लेकिन इसका दबाव टीम पर नहीं था. नागरकोटी की अगुवाई में गेंदबाजों ने मोर्चा संभाला और बांग्लादेश को महज 134 रनों पर ढेर कर सेमीफाइनल में जगह बना ली.


सेमीफाइनल में भारत का सामना चिर प्रतिद्वंद्वि पाकिस्तान के साथ था. ठीक 2011 विश्व कप की तरह. वहां भी भारत ने पहले बल्लेबाजी की ती और यहां भी भारत ने पहले बल्लेबाजी की. सामने पाकिस्तान की टीम थी तो जोश और जुनून सातवें आसमान पर. पृथ्वी और मंजोत ने बेहतरीन शुरूआत दी तो उसके बाद शुबमन ने यादगार नाबाद शतकीय पारी खेल भारत को 272 तक पहुंचा दिया. हर बार की तरह पाकिस्तान एक बार फिर प्रेशर संभालने में असफल रहा. इस बार इशांत परोल ने जलवा दिखाया. भारतीय गेंदबाजों के जोश के सामने पूरा पाकिस्तान महज 69 रनों पर ढेर हो गया.


पाकिस्तान को धूल चटाने के बाद एक बार फिर बारी थी ऑस्ट्रेलिया की. जिस टीम के खिलाफ भारत ने सफर की शुरुआत की उसी टीम को हराकर टीम ने टूर्नामेंट का विजयी अंत किया.