अंडर-19 विश्व कप ने भारतीय टीम को कई स्टार खिलाड़ी दिए हैं. हरभजन सिंह, युवराज सिंह, मोहम्मद कैफ और विराट कोहली यह सभी अंडर-19 विश्व कप से ही भारतीय टीम में पहुंचे हैं. लेकिन यह ज़रूरी नहीं कि इनकी तरह अंडर-19 विश्व कप में अच्छा प्रदर्शन कर हर खिलाड़ी भारतीय टीम में एंट्री पा जाए.
कुछ ऐसा ही हुआ 2012 में भारत को अपनी कप्तानी में अंडर-19 विश्व कप जिताने वाले उन्मुक्त चंद के साथ. फाइनल मुकाबले में शानदार शतक लगाने वाले उन्मुक्त के अंदर प्रतिभा की कोई कमी नहीं थी, लेकिन वह कहते हैं न.....क्रिकेट में प्रतिभा के साथ-साथ लक का होना भी महत्वपूर्ण होता है.
उन्मुक्त भी इस बात को भली-भांति जानते और समझते हैं. अपने करियर के बारे में स्टार कॉमेंटेटर आकाश चोपड़ा के यू-ट्यूब चैनल पर बात करते हुए उन्मुक्त ने कहा, 'सभी जानते हैं कि हर खिलाड़ी के लिए अंडर-19 विश्व कप अहम होता है. यह एकदम से आपको नहीं मिलता, इसके पीछे सालों की मेहनत होती है. किसी भी जूनियर खिलाड़ी के लिए वहां तक पहुंचना बड़ी बात है और निश्चित तौर पर विश्व कप जीतना तो और भी बड़ी बात है.'
उन्होंने आगे कहा, 'चार साल पहले मैंने देखा था कि विराट भैया कप्तानी कर रहे हैं और अंडर-19 विश्व कप जीत कर आए हैं. वो मेरी यादों में ताज़ा था. मैं उससे काफी प्रभावित था. हालांकि, मुझे पता था कि कहानी अलग भी हो सकती है. यह ज़रूरी नहीं कि आप अपने आप ही भारत के लिए खेल जाओ. इसलिए मेरा उस वक्त विश्व कप जीतना काफी अहम था.'
लगातार रन बनाने के बावजूद मुझे मौका नहीं मिला- उन्मुक्त
उन्मुक्त ने आगे कहा कि 2012 अंडर-19 विश्व कप जीतने के बाद वह लगातार रन बना रहे थे. इस दौरान उन्होंने इंडिया ए टीम की कप्तानी भी की, लेकिन इसके बावजूद उन्हें भारतीय सीनियर टीम से बुलावा नहीं आया.
उन्होंने कहा, 'ऐसा नहीं है कि विश्व कप जीतने के बाद मुझे मौका नहीं मिला. मैं इसके बाद इंडिया ए के लिए खेला और 2016 तक टीम की कप्तानी भी की. मैं इस दौरान रन भी बना रहा था. कई बार मुझे कहा गया कि तैयार रहो, हम तुम्हें सेलेक्ट करेंगे. खैर, ठीक है. अब यह कहना सही नहीं होगा कि मैं खेला होता तो यह कर देता या वो कर देता. सबसे अहम है कि क्या हुआ और मैंने उससे क्या सीखा.'
कई बार टीम संयोजन के कारण मौका नहीं मिलता- उन्मुक्त
उन्मुक्त ने कहा, 'कई बार टीम संयोजन की बात भी होती है. आपको इसे समझना चाहिए. मुझे याद है कि जब घरेलू क्रिकेट में मैं अच्छा कर रहा था, उस वक्त वीरू भैया और गौतम भैया भारत के लिए ओपनिंग कर रहे थे. फिर एक समय आया जब सलामी बल्लेबाज़ों की कमी हो गई, लेकिन उस वक्त मेरे रन नहीं बन रहे थे. यह चीज़ें भी काफी मायने रखती हैं.'