हैदराबाद: अपने शानदार प्रदर्शन का श्रेय कप्तानी को देते हुए स्टार बल्लेबाज विराट कोहली ने कहा कि अतिरिक्त जिम्मेदारी के कारण उनकी बल्लेबाजी में आत्ममुग्धता के लिए कोई जगह नहीं बची और इसके कारण ही वह लगातार चार टेस्ट श्रृंखला में दोहरा शतक जड़ने का रिकार्ड बना पाए.
बांग्लादेश के खिलाफ यहां एकमात्र टेस्ट के दूसरे दिन कल 204 रन बनाने वाले कोहली ने कहा कि कप्तानी ने उन्हें टेस्ट मैचों में लंबी पारी खेलने में मदद की.
बड़ी पारी खेलने की भूख के बारे में पूछने पर कोहली ने ‘बीसीसीआई.टीवी’ से कहा, ‘‘मुझे नहीं पता, मुझे लगता है कि कप्तानी के कारण आप सामान्य बल्लेबाजी की तुलना में अधिक प्रयास करते हो. मुझे लगता है कि जब आप कप्तान बनते हो तो आत्मुग्धता के लिए जगह नहीं बचती. इसलिए इसका मेरे लंबी पारियां खेलने से संबंध है.’’ उन्होंने कहा,‘‘मैं हमेशा लंबी पारियां खेलना चाहता था और मेरे शुरूआती सात या आठ शतक 120 रन से अधिक की पारी भी नहीं थे. इसके बाद मैंने लंबी पारियां खेलने का प्रयास किया और अपनी उत्सुकता को नियंत्रित किया और किसी भी समय आत्ममुग्धता से बचने की कोशिश की.’’
अपनी इस पारी के दौरान कोहली टेस्ट के इतिहास में लगातार चार श्रृंखला में दोहरे शतक जड़ने वाले दुनिया के पहले बल्लेबाज बने. उन्होंने भारत के राहुल द्रविड़ और आस्ट्रेलिया के महान सर डान ब्रैडमैन को पीछे छोड़ा जिन्होंने लगातार तीन श्रृंखला में दोहरे शतक जड़े थे.
कोहली ने इससे पहले वेस्टइंडीज के खिलाफ 200, न्यूजीलैंड के खिलाफ 211 और इंग्लैंड के खिलाफ 235 रन की पारियां खेली. भारतीय कप्तान ने कहा कि वह अब टेस्ट शतक से संतुष्ट नहीं होते और उनकी फिटनेस का स्तर उन्हें लंबी पारियां खेलने और बड़ा स्कोर खड़ा करने का मौका देता है.
दिल्ली के इस बल्लेबाज ने कहा, ‘‘वषरें से मैंने अपनी फिटनेस के स्तर पर काम किया है और मुझे लगता है कि अब मैं लंबे समय तक खेल सकता हूं. मैं पहले की तरह थकता नहीं हूं. निश्चित तौर पर मैं टेस्ट शतक जड़ने पर संतुष्ट नहीं होता जैसे पहले हुआ करता था क्योंकि मैं अलग से टेस्ट क्रिकेट को काफी अधिक महत्व देता था. अब मैंने इसे क्रिकेट के एक अन्य मैच की तरह लेना शुरू कर दिया है और मुझे तब तक रन बनाने हैं जब तक टीम को जरूरत है.’’ कोहली ने हालांकि स्वीकार किया कि हैदराबाद की पिच पर दोहरा शतक जड़ना उतना मुश्किल नहीं था जितना उनके पिछले दोहरे शतकों के दौरान था.
उन्होंने कहा, ‘‘ईमानदारी से कहूं तो विकेट बल्लेबाजी के लिए काफी अच्छा था. यह उतना मुश्किल विकेट नहीं था जितना वे अन्य विकेट थे जिन पर मैंने दोहरे शतक जड़े.’’