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BLOG: ऑस्ट्रेलिया में 'पिंक बॉल' से ना खेलने पर कोहली के बयान में ना कोई खुलासा है या ना कोई विवाद
शुक्रवार का दिन भारतीय टेस्ट क्रिकेट इतिहास में दर्ज होने जा रहा है. टीम इंडिया पहली बार गुलाबी गेंद से टेस्ट मैच खेलेगी. पढ़िए वरिष्ठ खेल पत्रकार शिवेंद्र कुमार सिंह का ब्लॉग.
कोलकाता में गुलाबी गेंद से टेस्ट मैच के पहले विराट कोहली मीडिया के सामने आए. टेस्ट मैच से एक दिन पहले टीम की रणनीति को लेकर कप्तान की प्रेस कॉन्फ्रेंस एक सामान्य सी प्रक्रिया है. जो पूरी दुनिया में अपनाई जाती है. विराट कोहली से जो तमाम सवाल किए गए उसमें एक सवाल ये भी था कि ऑस्ट्रेलिया के पिछले दौरे में भारतीय टीम पिंक बॉल से खेलने को तैयार नहीं हुई थी फिर इस टेस्ट मैच के लिए उन्होंने हामी क्यों भरी? विराट ने जो जवाब दिया वो बहुत साधारण सी बात थी. उन्होंने कहाकि ऑस्ट्रेलिया दौरे से पहले हमने गुलाबी गेंद से कोई फर्स्ट क्लास क्रिकेट नहीं खेली थी इसलिए हामी नहीं भरी. उनकी इस बात को मीडिया के एक हिस्से में खुलासा जैसे शब्दों के साथ चलाया गया. सवाल ये है कि विराट के इस जवाब में खुलासा जैसा तो कुछ है ही नहीं. उनकी बात में सीधा सीधा तर्क है जिसके आधार पर कोई भी बात कही जाती है.
विराट कोहली ने दरअसल क्या कहा था
ऑस्ट्रेलिया में गुलाबी गेंद से ना खेलने की वजह पर विराट कोहली ने बिल्कुल साफ साफ कहा- गुलाबी गेंद से खेलने के लिए प्रैक्टिस की जरूरत थी. एक न एक दिन ये होना था लेकिन किसी बड़े दौरे में आप अचानक गुलाबी गेंद से नहीं खेल सकते थे. ऑस्ट्रेलिया दौरे से पहले हमने गुलाबी गेंद से कोई फर्स्ट क्लास क्रिकेट भी नहीं खेली थी. गुलाबी गेंद से टेस्ट खेलने से पहले आपको अपने कंडीशन में खेलने का अनुभव होना चाहिए. इसके बाद ही आप दुनिया में कहीं भी गुलाबी गेंद से टेस्ट खेल सकते हैं. इस मैच को लेकर हमारी तैयारी पहले से शुरू हो चुकी थी. टीम के कुछ खिलाड़ियों ने तो सीरीज शुरू होने से पहले ही प्रैक्टिस शुरू कर दी थी. ऐसा नहीं हो सकता है कि दो दिन पहले आपको बताया जाए कि एक हफ्ते बाद हमें गुलाबी गेंद से खेलना है. इसके लिए तैयारी की जरुरत होती है. एक बार आपकी तैयारी हो जाए, आप गुलाबी गेंद से प्रैक्टिस कर लें उसके बाद खेलने में कोई दिक्कत नहीं है. किसी भी बदलाव में ‘सेटल’ होने के लिए वक्त चाहिए होता है.
विराट के मन की इच्छा होगी पूरी
कुछ रोज पहले ही विराट कोहली ने इच्छा जताई थी देश में कुछ ही सेंटरों पर टेस्ट मैच खेले जाने चाहिए. ये बात कहने के पीछे उनका मकसद यही था कि टेस्ट मैच देखने के लिए दर्शक मुंबई, चेन्नई, बैंगलुरू या कोलकाता जैसे शहरों में ही आते हैं. टी-20 और वनडे क्रिकेट भले ही छोटे शहरों में भी कराए जाएं लेकिन टेस्ट क्रिकेट को रोटेशन पॉलिसी से बाहर रखना चाहिए. ये बात उन्होंने तब कही थी जब भारत ने रांची टेस्ट में दक्षिण अफ्रीका को पारी और 202 रनों के बड़े अंतर से हराया था. आपको बता दें कि ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड जैसे देशों में भी यही परंपरा चलती है. जहां वनडे और टी-20 तो कई शहरों में खेले जाते हैं लेकिन टेस्ट क्रिकेट के लिए कुछ मैदान तय हैं. इंग्लैंड में बर्मिंघम, मैनचेस्टर, लॉर्ड्स, ओवल, लीड्स और नॉटिंघम में टेस्ट मैच खेले जाते हैं. ऑस्ट्रेलिया में मेलबर्न, सिडनी, एडिलेड, ब्रिसबेन, पर्थ और होबार्ट में टेस्ट मैच खेला जाता है. दक्षिण अफ्रीका में भी यही रवायत है. विराट का इशारा इसी व्यवस्था की तरफ था. यही वो वक्त था जब सौरव गांगुली ने बीसीसीआई के अध्यक्ष पद की कमान संभाली थी. शुक्रवार से अगर भारतीय क्रिकेट के इतिहास में गुलाबी गेंद को जगह मिल रही है तो उसके पीछे सौरव गांगुली की जबरदस्त मेहनत है. पिछले कई दिनों से वो इडेन गार्डेन्स में ही डटे हुए हैं. उन्होंने पिच का मुआयना करने से लेकर दर्शकों के स्टेडियम में आने के लिए अपील तक की है. टेस्ट मैच के पहले तीन दिन के सभी टिकट बुक हैं. जाहिर है एक मायने में यही विराट कोहली की इच्छा भी थी कि जब टीम इंडिया जीत का जश्न मनाए तो उसके लिए मैदान में तालियां बजाने वाले दर्शक भी मौजूद हों.
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राजेश शांडिल्यसंपादक, विश्व संवाद केन्द्र हरियाणा
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