भारतीय क्रिकेट कप्तान विराट कोहली छह महीने बाद एक बार फिर से हितों के टकराव के मामले में फंस सकते हैं. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, कोहली को गैलेक्टस फनवेयर टेक्नोलॉजी ने 33.32 लाख रुपये कंपलसरी कन्वर्टिबल डिबेंचर्स (सीसीडी) आवंटित किए हैं. यह कंपनी ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म मोबाइल प्रीमियर लीग (एमपीएल) का मालिकाना हक रखती है, जिसके ब्रांड एंबेडसर कोहली हैं.


बीसीसीआई ने पिछले साल नवंबर में एमपीएल स्पोर्ट्स को भारतीय क्रिकेट टीम का नया किट स्पॉन्सर और आधिकारिक व्यापारिक साझीदार घोषित किया था. गैलेक्टस कंपनी ने फरवरी 2019 में कोहली को सीसीडी जारी किए थे. रिपोर्ट के अनुसार, जब फरवरी 2019 में कोहली को गैलेक्टस कंपनी ने सीसीडी जारी किए थे तो उन्होंने कॉर्नरस्टोन स्पोर्ट एंड एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड को भी 16.66 लाख रुपये के 34 सीसीडी जारी किए थे.


बोर्ड के अधिकारियों ने कहा है कि यह मामला बीसीसीआई के एथिक्स ऑफिसर जस्टिस डीके जैन अंतर्गत आता है.


एक अधिकारी ने कहा, "यह मामला लोकपाल न्यायमूर्ति डीके जैन के दायरे में आता है. जहां तक बोर्ड का सवाल है, यह बहुत कुछ नहीं कर सकता. इसके अलावा, यह एक बहुत छोटा, महत्वहीन निवेश प्रतीत होता है और एमपीएल को अधिकार मिलने से डेढ़ साल पहले किया गया था. यह साबित करना मुश्किल है कि क्या वह जानता था कि यह कंपनी बीसीसीआई की किट में निवेश करेगी. 0.051 प्रतिशत हिस्सेदारी भी उन्हें बहुत प्रभावित नहीं करती है और कंपनी में कोई भी निदेशक / मालिक सह-मालिक नहीं है या कोहली के साथ किसी अन्य कंपनी के सह-निदेशक हैं."