ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले वनडे के समय विराट कोहली से एक दिलचस्प सवाल पूछा गया. इस सवाल में एक डर भी था. पत्रकार ने विराट कोहली से पूछा कि क्या ये एक तरह का जोखिम नहीं है कि आप प्लेइंग-11 में दो ऐसे स्पिनर्स को जगह दे रहे हैं जो कलाई से गेंदबाजी करते हैं.


विराट कोहली ने जो जवाब दिया उसके दो मायने हैं. विराट कोहली ने कहा कि ये दोनों गेंदबाज यानी युजवेंद्र चहल और कुलदीप यादव ऐसी सोच के साथ गेंदबाजी करते हैं कि अगर उन्हें रन पड़ें भी तो वो उसकी परवाह नहीं करते हैं. उनका लक्ष्य होता है कि वो 3-4 विकेट निकालें.


विराट कोहली के इस बयान में उनके गेंदबाजों का भरोसा तो जाहिर होता ही है साथ ही साथ ये भी पता चलता है कि विराट कोहली अपने इन गेंदबाजों को किस रणनीति और किस रोल के साथ गेंद थमाते हैं. उनके गेंदबाजों का लक्ष्य सिर्फ इतना होता है कि वो अपने कप्तान के भरोसे पर खरा उतरें, जिसका इकलौता तरीका है विरोधी टीम के बल्लेबाजों का विकेट.


ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चेन्नई वनडे में इन दोनों गेंदबाजों ने यही बात साबित भी की. इन दोनों गेंदबाजों ने मिलकर 54 गेंद फेंकी, जिसमें से 28 गेंद पर कंगारुओं को एक भी रन बनाने का मौका नहीं मिला.




चेन्नई में चहल-यादव ने किया कमाल


कप्तान विराट कोहली अपने खिलाड़ियों पर भरोसा दिखाने की हिम्मत करते हैं तो उनके खिलाड़ी उस हिम्मत को और ताकत देते हैं. चेन्नई में पहले मैच में भारत की जीत में दोनो रिस्ट स्पिनर्स ने शानदार प्रदर्शन किया. शुरूआती और मिडिल ऑर्डर बल्लेबाजों के लड़खड़ाने के बाद भारत ने ऑस्ट्रेलिया के सामने 282 रनों का लक्ष्य रखा था, जिसमें हार्दिक पांड्या और महेंद्र सिंह धोनी का बड़ा रोल था.


इसके बाद बारिश के चलते मैच में डकवर्थ लुइस नियम लागू हो गया. ऐसे में कंगारूओं को जीत के लिए 21 ओवर में 164 रन चाहिए थे. लक्ष्य कोई बहुत मुश्किल नहीं था, लेकिन स्पिनर्स की जोड़ी ने एक साथ हमला बोला और कंगारुओं को मुसीबत में डाल दिया.


युजवेंद्र चहल और कुलदीप यादव ने मिलकर 5 विकेट लिए. युजवेंद्र चहल ने पांच ओवर में 33 रन देकर 3 विकेट लिए, जबकि कुलदीप यादव ने 4 ओवर में 33 रन देकर 2 विकेट लिए. डेविड वॉर्नर, ग्लैन मैक्सवेल और मैथ्यू वेड का विकेट स्पिन गेंदबाजों के खाते में आया, जिसके बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम 137 रन ही जोड़ सकी और सीरीज में जीत के साथ भारत ने शुरूआत की.




एक जैसे गेंदबाजों को खिलाने के और भी हैं खतरे


कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल को एक साथ प्लेइंग-11 में खिलाने में खतरा सिर्फ ‘वेराइटी’ का ना होना नहीं है, बल्कि खतरे और भी हैं. कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल में फर्क सिर्फ इस बात का है कि एक दाएं हाथ का गेंदबाज है, जबकि दूसरा बाएं हाथ का इसे छोड़ दिया जाए तो दोनों गेंदबाजों के सामने चुनौतियां एक जैसी ही हैं.


भारतीय पिचों पर ऑफ द पिच गेंद धीमी आती है. हवा में भी गेंद को ज्यादा स्पिन नहीं मिलती. ऐसे में अगर बल्लेबाज ‘बैकफुट’ पर मजबूत है तो वो गेंदबाज को बड़े शॉट्स लगा सकता है. ऑस्ट्रेलिया की टीम में इस वक्त कई ऐसे बल्लेबाज हैं जो बड़े ‘हिटर्स’ हैं. ऐसे बड़े ‘हिटर्स’ के सामने कलाई के स्पिनर के लिए कभी भी मुश्किल आ सकती है.


चेन्नई में ऐसा देखने को मिला भी जब ऑस्ट्रेलियाई पारी के 11वें ओवर में ग्लेन मैक्सवेल ने कुलदीप यादव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. ग्लेन मैक्सवेल ने कुलदीप यादव के एक ओवर में 22 रन बटोरे, जिसमें मैक्सवेल ने दूसरी, तीसरी, चौथी और पांचवी गेंद पर चौका और फिर तीन छक्का लगाया.


मैक्सवेल ने युजवेंद्र चहल के अगले ओवर में भी एक छक्का मारा लेकिन उसके बाद वो स्पिन से चकमा खा गए. विराट कोहली ने कप्तानी संभालने के बाद कई ऐसे प्रयोग किए हैं जिन पर चर्चा हुई है. विराट के पास उनके हर प्रयोग के पीछे एक मजबूत लॉजिक रहा है. दो ‘रिस्ट स्पिनर्स’ को खिलाना भी एक ऐसा ही प्रयोग है. खास तौर पर तब जबकि टीम में रवींद्र जडेजा मौजूद हों, लेकिन जब तक नतीजे अच्छे मिलेंगे तब तक कोहली के प्रयोग पर कोई उंगली नहीं उठा सकता है.