Virat Kohli's Journey: अंडर19 विश्व कप से लेकर 70 इंटरनेशनल शतक तक, जानिए कैसा रहा विराट कोहली का अब तक का सफर
Virat Kohli's Journey: 2008 अंडर-19 विश्व कप के छह मैचों में 235 रन बनाकर विराट कोहली सुर्खियों में आए थे. इसके तुरंत बाद अगस्त 2008 में ही उन्होंने भारत के लिए डेब्यू किया.
Virat Kohli's Journey: क्रिकेट को लेकर अपने जुनून, रन बनाने की भूख और दमदार फिटनेस की वजह से विश्व में एक खास पहचान बनाने वाले विराट कोहली का जन्म 5 नवंबर 1988 को दिल्ली के एक पंजाबी परिवार में हुआ था. कोहली दिल्ली के विशाल भारती पब्लिक स्कूल से पढ़े हुए हैं. 1998 में उन्होंने वेस्ट दिल्ली क्रिकेट अदामी ज्वाइन की, जहां राजकुमार शर्मा उनके कोच थे. वह इसी समय सुमीत डोगरा अकादमी के लिए भी खेल रहे थे.
बचपन से ही कोहली के अंदर इस खेल को लेकर एक खास जुनून था. हालांकि, अपने अग्रेसिव नेचर की वजह से कई बार शुरूआती दिनों में उन्हें अपने कोच राजकुमार शर्मा से डाट भी खानी पड़ती थी. हालांकि, भारत के लिए खेलने के अपने सपने को हकीकत में बदलने के लिए 9वीं क्लास में कोहली ने अपना स्कूल बदला और दिल्ली के पश्चिम विहार में प्रैक्टिस करने लगे.
यह कोहली की मेहनत ही थी कि 2002 में उन्हें दिल्ली की अंडर-15 टीम में एंट्री मिल गई. कोहली के अंदर शुरूआत से ही नेतृत्व करने की क्षमता थी और उनकी इसी खूबी को देखते हुए 2003-04 में उन्हें पॉली उमरीगर ट्रॉफी में टीम का कप्तान बना दिया गया.
2004 में ही कोहली की प्रतिभा और प्रदर्शन में निरंतरता को देखते हुए उन्हें विजय मर्चेंट ट्रॉफी में दिल्ली की अंडर-17 टीम में खेलना का मौका मिला. कोहली ने इस मौके को दोनों हाथों से कैच किया और टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा रन बनाए. इस टूर्नामेंट के सात मैचों में कोहली ने 84.11 की शानदार औसत से 757 रन बनाए. इसमें दो शतक शामिल रहे.
पिता की मौत के अगले दिन खेली 90 रनों की पारी
फिर क्या था, मानो कोहली की उम्मीदों को पर लग गए और वह एक के बाद एक घरेलू टूर्नामेंट में कामयाबी की नई इबारत लिखते गए. साल 2006 में उन्हें दिल्ली के लिए फर्स्ट क्लास क्रिकेट में खेलने का मौका मिला.
2006 में ही कोहली का सिर से बाप का साया उठ गया. उस समय कोहली दिल्ली के लिए घरेलू क्रिकेट ही खेल रहे थे. हालांकि, पिता के निधन के अगले दिन कोहली ने खेलने का फैसला किया और 90 रनों की पारी खेलकर खूब सुर्खियां बटोंरी. मैच में आउट होने के बाद वह सीधे अंतिम संस्कार में गए. उन्होंने उस सीजन में 6 मैचों में 36.71 की औसत से कुल 257 रन बनाए.
2006 में अंडर-19 टीम में मिली एंट्री
2006 में इंग्लैंड दौरे पर कोहली को भारत की अंडर-19 टीम में शामिल किया गया. तीन मैचों की इस सीरीज़ में कोहली ने 105 की औसत से रन बनाए और सीनियर टीम के दरवाज़े पर दस्तक दी. इसके बाद उन्होंने टी20 क्रिकेट में कदम रखा और स्टेट टी20 चैंपियनशिप में 35.80 की औसत से रन बनाए.
अंडर-19 टीम के लिए खेलते हुए कोहली ने पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश के खिलाफ सीरीज़ में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया और फिर 2008 अंडर-19 विश्व कप में उन्हें भारत का कप्तान बना दिया गया. इस टूर्नामेंट के छह मैचों में 235 रन बनाकर विराट कोहली ने खूब सुर्खियां बटोंरी और हर कोई उनकी प्रतिभा की तारीफ करने लगा.
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2008 में भारतीय टीम में मिली जगह
2008 में भारत के श्रीलंका दौरे पर कोहली को इंटरनेशनल क्रिकेट में अपने हुनर का नमूना पेश करने का मौका मिला. उस वक्त उनकी उम्र महज़ 19 साल थी. हालांकि, अपने पहले मैच में वह सिर्फ 12 रन ही बना सके और टीम को भी बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा. उस वक्त किसी ने नहीं सोचा होगा कि आगे जाकर यह खिलाड़ी भारत का कप्तान बनेगा और देश के महानतम खिलाड़ियों की फेहरिस्त में शामिल हो जाएगा.
अपने चौथे मैच में कोहली ने 54 रनों की पारी खेली. श्रीलंका के खिलाफ पांच मैचों की सीरीज़ में कोहली ने 12, 37, 25, 54 और 31 रनों की पारियां खेलीं. टीम इंडिया को इस सीरीज़ में 3-2 से जीत मिली. श्रीलंका के खिलाफ उसकी सरज़मीं पर भारत की यह पहली जीत थी.
2010 में बने उपकप्तान
2010 में भारत के जिम्बाब्वे दौरे पर कई सीनियर खिलाड़ियों को रेस्ट दिया गया. इस दौरे पर सुरेश रैना कप्तान और विराट कोहली उपकप्तान बने. कोहली ने इस सीरीज़ में 42 की औसत से 168 रन बनाए. जिसमें दो अर्धशतक शामिल रहे. इस सीरीज़ के दौरान ही कोहली वनडे में सबसे तेज़ 1000 रन पूरे करने वाले भारतीय बल्लेबाज़ बने.
दक्षिण अफ्रीका दौरे पर धमाया मचाल
2011 में भारत के दक्षिण अफ्रीका दौरे पर कोहली ने अपनी शानदार फॉर्म को जारी रखा और 48.25 की औसत से सीरीज़ में सबसे ज्यादा रन बनाए. इस सीरीज़ के खत्म होते ही कोहली वनडे इंटरनेशनल रैंकिंग में दूसरा स्थान हासिल किया.
ऑस्ट्रेलिया में लसिथ मलिंगा के एक ओवर में लगाए छह चौके
ऑस्ट्रेलिया, भारत और श्रीलंका के बीच खेली गई कॉमनवेल्थ बैंक सीरीज़ में भी कोहली का बल्ला रन उगलता रहा. पहले उन्होंने पर्थ में 77 और फिर ब्रिस्बेन में 66 रनों की शानदार पारी खेली. इसके बाद जब भारत को फाइनल में प्रवेश करने के लिए तेजी से रन बनाने थे तो कोहली ने 86 गेंदो में 133 रनों की पारी खेलकर टीम को फाइनल का टिकट दिला दिया. इस दौरान उन्होंने लसिथ मलिंगा के एक ओवर में छह चौके भी जड़े. उस वक्त बड़े बड़े बल्लेबाज़ मलिंगा से खौफ खाते थे, लेकिन कोहली ने निर्भीकता से उनका सामना किया.
वेस्टइंडीज के खिलाफ बतौर कप्तान लगाया पहला शतक
विराट कोहली सीमित ओवर की क्रिकेट में लगातार धमाल मचा रहे थे. इस दौरान उन्हें टेस्ट क्रिकेट में भी काफी सफलता मिल रही थी. इसी बीच वेस्टइंडीज के खिलाफ सीरीज में एमएस धोनी चोटिल हो गए और सीरीज़ के बाकी मैचों में कोहली को कप्तान बनाया गया. बतौर कप्तान अपने दूसरे ही मैच में कोहली ने शानदार मैच विनिंग शतक लगाया.
2014 में बने टेस्ट कप्तान
वनडे क्रिकेट के अलावा कोहली टेस्ट में भी लगातार कामयाबी के परचम लहरा रहे थे. कोहली लगातार इंटरनेशनल क्रिकेट के सभी फॉर्मेट में रनों का अंबार खड़ा करते गए और फिर 2014 में धोनी के टेस्ट से संन्यास लेने के बाद उन्हें इस फॉर्मेट में टीम का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी सौंप दी गई.
कोहली ने इसके बाद से पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक के बाद एक बड़ी पारी खेलकर विश्व क्रिकेट में एक बड़ा मुकाम हासिल कर लिया. कोहली की कप्तानी में टीम इंडिया का खेलने का तरीका ही बदल गया. वह कोहली ही थे, जिसने टीम को विदेशों में जीत के जज्बे से खेलना सिखाया.
देखते ही देखते कोहली टेस्ट क्रिकेट में भारत के सबसे सफल कप्तान बन गए. कोहली की कप्तानी में भारत ने ऑस्ट्रेलिया में पहली बार टेस्ट सीरीज फतह हासिल की. कोहली अब तक 67 टेस्ट में भारत की कप्तानी कर चुके हैं. इस दौरान टीम इंडिया को 40 मैचों में जीत मिली है. कोहली भारत के सबसे सफल टेस्ट कप्तान हैं.
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2017 में मिली सीमित ओवरों में कप्तानी
2017 में एमएस धोनी ने अचानक वनडे क्रिकेट में कप्तानी छोड़ने का फैसला लिया और कोहली को सीमित ओवरों की क्रिकेट में भी भारत का कप्तान नियुक्त कर दिया गया. कप्तानी के भार कोहली की बल्लेबाज़ी में कभी दिखाई नहीं पड़ा और वह लगातार इंटरनेशनल क्रिकेट में नई नई उपलब्धियां हासिल करते गए. कोहली ने भारत के लिए 95 वनडे मैचों में कप्तानी की है. इस दौरान टीम ने 65 मैच जीते हैं. वहीं टी20 इंटरनेशनल में कोहली ने 50 मैचों में कप्तानी की और टीम को 30 मैचों में जीत दिलाई.
30 साल की उम्र से पहले वनडे में 10,000 रन
19 साल की उम्र में डेब्यू करने के बाद से ही कोहली ने वनडे क्रिकेट में धमाल मचाना जारी रखा. उन्होंने तीनों फॉर्मेट में निरंतर रन बनाए. कोहली ने 30 साल की उम्र से पहले ही वनडे क्रिकेट में 10,000 रन पूरे कर लिए. आईसीसी ने कोहली को 2017 के लिए विश्व टेस्ट एकादश और वनडे एकादश दोनों के कप्तान के रूप में नामित किया.
इंटरनेशनल करियर
विराट कोहली ने भारत के लिए अब तक 98 टेस्ट, 254 वनडे और 95 टी20 इंटरनेशनल मैच खेले हैं. टेस्ट में उनके नाम 27 शतकों और 7854 रन हैं. वहीं वनडे में 43 शतकों के साथ 12169 रन हैं. इसके अलावा टी20 इंटरनेशनल में 29 अर्धशतकों के साथ 3227 रन हैं.
देखते ही देखते अपने नाम किए कई बड़े रिकॉर्ड
इंटरनेशनल क्रिकेट में 70 शतक (वनडे में 43 और टेस्ट में 27 शतक)
वनडे क्रिकेट में सबसे तेज़ 8000 (175 पारी), 9000 (194 पारी), 10000 (205 पारी) और 11000 रन (222 पारी) बनाने का रिकॉर्ड
इंटरनेशनल क्रिकेट में सबसे तेज़ 8000 रन (137 पारी) बनाने वाले कप्तान
कप्तान के तौर पर पहली तीन टेस्ट पारी में शतक बनाने वाले पहले बल्लेबाज
टेस्ट क्रिकेट में लगातार चार सीरीज में चार दोहरे शतक लगाने वाले इकलौते बल्लेबाज
इंटरननेशनल क्रिकेट में 50 की औसत से 20000 से ज्यादा रन बनाने वाले इकलौते बल्लेबाज
भारत की तरफ से टेस्ट में सबसे ज्यादा दोहरे शतक लगाने वाले बल्लेबाज (7)
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