डिप्रेशन से निकलने में सचिन ने की थी विराट कोहली की मदद, अब मास्टर ब्लास्टर बोले- मुझे तुम पर गर्व है
सचिन तेंदुलकर ने कहा कि अपनी सफलता और इस तरह के व्यक्तिगत अनुभवों को शेयर करने के आपके फैसले पर मुझे गर्व है.
भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली भी डिप्रेशन से गुज़र चुके हैं. दरअसल, उन्होंने खुद बताया है कि साल 2014 में इंग्लैंड दौरे के दौरान वह डिप्रेशन के शिकार थे. हाल ही में उन्होंने खुलासा किया कि जब वह डिप्रेशन में थे तो पूर्व दिग्गज बल्लेबाज़ सचिन तेंदुलकर ने उनकी मदद की थी. उन्होंने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य के विषय पर तेंदुलकर से हुई बातचीत ने उनको एक नयी दिशा दी. अब सचिन ने इसपर रिएक्ट किया है. सचिन तेंदुलकर ने ट्वीट कर कहा है कि अपनी सफलता और इस तरह के व्यक्तिगत अनुभवों को शेयर करने के आपके फैसले पर मुझे गर्व है.
सचिन तेंदुलकर ने कहा, "विराट कोहली अपनी सफलता और इस तरह के व्यक्तिगत अनुभवों को शेयर करने के आपके फैसले पर मुझे गर्व है. इन दिनों सोशल मीडिया पर लगातार युवाओं को आंका जा रहा है. हजारों लोग उनके बारे में बोलते हैं लेकिन उनसे कोई बात नहीं करता है. हमें उन्हें सुनने और सलाह देने की जरूरत है."
.@imVkohli, proud of your success & decision to share such personal experiences.
These days youngsters are constantly judged on social media. Thousands speak about them but not to them. We need to be able to listen to them and help them flourish. https://t.co/xsBThtzOTx — Sachin Tendulkar (@sachin_rt) February 20, 2021
सचिन ने की थी कोहली की मदद
भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली ने इंग्लैंड के कमेंट्रेटर और पूर्व खिलाड़ी मार्क निकोल्स के साथ बातचीत में कहा, "मैंने सचिन से इस बात को लेकर बात की थी. उन्होंने मुझे सलाह दी थी कि हमें नकारात्मक भावों से लड़ने की कोई जरुरत नहीं है. आपको इस तरह के भावों को नजरअंदाज करना सीखना होता है. अगर आप इन नकारात्मक भावों से लड़ने की या इनके बारे में ज्यादा सोचने की कोशिश करेंगे तो ये और मजबूत होती जाती हैं. उनकी ये सलाह मेरे बहुत काम आयी और मुझे इस मुश्किल वक्त से उबरने में भी मदद मिली."
इंग्लैंड का दौरा मेरे करियर का सबसे मुश्किल दौर
कोहली के अनुसार इंग्लैंड का 2014 का दौरा एक बल्लेबाज के तौर पर उनके करियर का सबसे बुरा दौरा था. विराट ने इस दौरे पर पांच टेस्ट मैचों की 10 पारियों में सिर्फ 13.50 की औसत से रन बनाये थे. इस सीरीज़ में उनके स्कोर 1, 8, 25, 0, 39, 28, 0,7, 6 और 20 रन थे.
विराट ने कहा, "आप जब रन नहीं बना पाते तो कुछ भी अच्छा नहीं लगता है, मेरे साथ भी ऐसा हुआ था. मुझे लगता है कि ऐसा सभी बल्लेबाजों के साथ होता होगा, जब आपका किसी चीज पर कोई नियंत्रण नहीं रहता है. आपको नहीं पता होता है कि इससे कैसे बाहर निकलना है. इंग्लैंड का वो दौरा भी मेरे लिए ऐसा ही था जब मैं चीजों को बदलने के लिये कुछ नहीं कर सकता था. टीम के साथ होने के बावजूद मुझे ऐसा महसूस होता था जैसे मैं दुनिया में बिल्कुल अकेला हूं."
टीम के साथ मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट का होना जरूरी
दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में से एक कोहली का मानना है कि टीम के साथ मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट का होना जरूरी है. उन्होंने कहा, "ऐसा नहीं है कि उस वक्त मेरे पास इस पर बात करने के लिए लोग मौजूद नहीं थे, लेकिन एक मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट इस विषय पर ज्यादा मददगार साबित हो सकता है. ऐसा एक विशेषज्ञ टीम में होना जरूरी है जिस से आप खुलकर इस बारे में बात कर सकते हैं. जिससे आप अपने सवालों पर बात कर सकें, आप कह सकें कि आपको सोने में मुश्किल हो रही है या सुबह उठने का बिलकुल मन नहीं करता. मेरा मुझपर बिलकुल भी भरोसा नहीं रह गया है, बताइए मुझे क्या करना चाहिए."
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