साउथ अफ्रीका के 50 दिन लंबे दौरे के अंत भारतीय टीम ने 8-4 से किया. तीन मैचों की टेस्ट सीरीज में उसे 1-2 से हार मिली लेकिन इसके बाद टीम ने छह मैचों की वनडे सीरीज 5-1 और तीन टी20 मैचों की सीरीज को 2-1 से अपने नाम किया. इस दौरे से भारतीय टीम के पक्ष में काफी चीजें आई जिसमें विराट कोहली की बेजोड़ बल्लेबाजी, जसप्रीत बुमराह का टेस्ट क्रिकेट में शानदार डेब्यू और इंग्लैंड में 2019 में होने वाले विश्व कप के मुख्य खिलाड़ियों की पहचान करना शामिल है.

इस दौरे के बाद कह सकते हैं कि भारतीय क्रिकेट टीम ने भारतीय उपमहाद्वीप के बाहर लंबे समय बाद बेहतरीन प्रदर्शन किया है. भले ही टीम ने टेस्ट सीरीज गंवाई लेकिन टीम के प्रदर्शन से सभी प्रभावित हुए.







 



टेस्ट मैचों में भारतीय तेज गेंदबाजों मोहम्मद शमी (तीन मैचों में 15 विकेट), जसप्रीत बुमराह (तीन मैचों में 14 विकेट), भुवनेश्वर कुमार (दो मैचों में 10 विकेट) और इशांत शर्मा (दो मैचों में आठ विकेट) ने 60 में से 47 विकेट चटकाए जो काफी अहम रहा क्योंकि भारत को इस विभाग में आम तौर पर मजबूत नहीं माना जाता रहा है.

सेंचुरियन की अच्छी बल्लेबाजी पिच पर टेस्ट मैच गंवाना कोहली और कोच रवि शास्त्री को सताता रहेगा लेकिन प्रभावी टेस्ट गेंदबाज के रूप में बुमराह का उभरना भारत के लिए सकारत्मक रहा. भारतीय कप्तान ने टेस्ट सीरीज में हार के बाद कहा था, ‘‘बुमराह हमारे लिए प्लेइंग इलेवन के लिए आदर्श स्थिति बनाते हैं. उसने हमें सीरीज में उस समय विकेट दिलाए जब हमें जरूरत थी और उसने पूरी जान लगाकर गेंदबाजी की.’’

कोहली ने कहा, ‘‘वह टेस्ट क्रिकेट खेलना चाहता है और उसने दिखाया कि वह विश्व स्तरीय गेंदबाज है. उसने ऐसे अनुभवी खिलाड़ी की तरह गेंदबाजी की जिसने 40-50 मैच खेले हों.’’

कोहली के अलावा हालांकि भारत के अन्य बल्लेबाजों ने टेस्ट सीरीज में निराश किया. भारतीय कप्तान ने टेस्ट सीरीज में सर्वाधिक 286 रन बनाए जो दूसरे स्थान पर रहे साउथ अफ्रीका के एबी डिविलियर्स के 211 रन से 75 रन अधिक थे.

भारतीय कप्तान ने ना तो अपनी आक्रामक शैली की कप्तानी में बदलाव किया और ना ही प्लेइंग इलेवन में बदलाव करने के अपने तरीके को छोड़ा.

इस दौरान अजिंक्य रहाणे के धैर्य पर रोहित शर्मा की प्रतिभा को तवज्जो देने की उनकी रणनीति पहले दो टेस्ट में सही साबित नहीं हुई और इसके लिए उन्हें आलोचना का सामना भी करना पड़ा.

सीमित ओवरों में भी रोहित की खराब फॉर्म उनकी परेशानी बढ़ा सकती थी लेकिन कोहली ने छह वनडे की सीरीज में तीन शतक जड़कर भारत की आसान जीत की नींव रखी.







 



शास्त्री ने वनडे सीरीज के खत्म होने के बाद कोहली की तारीफ करते हुए कहा, ‘‘उसकी तारीफ करने के लिए आपको नए शब्दों की जरूरत पड़ेगी, कृपया करके जाइये और ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी खरीदकर लाइए.’’

कोहली ने वनडे में 558 रन के साथ टेस्ट क्रिकेट में हार की निराशा को पीछे छोड़ा. इस दौरान भारत के लिए सबसे सकारात्मक चीज यह रही कि इंग्लैंड में अगले साल होने वाले विश्व कप के लिए टीम इंडिया का प्लान ए लगभग तैयार है.

कलाई के दो युवा स्पिनरों (कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल) के वनडे सीरीज में 33 विकेट यह दर्शाते हैं कि ये दोनों किसी भी पिच पर विकेट लेने में सक्षम हैं. भुवनेश्वर और ऑलराउंडर के रूप में हार्दिक पंड्या की मौजूदगी में भारत का पांच गेंदबाजों का गेंदबाजी क्रम प्रभावी नजर आता है.


महेंद्र सिंह धोनी 2019 विश्व कप तक टीम का हिस्सा रहेंगे. जबकि वनडे टीम में शिखर धवन, रोहित और कोहली पहले तीन स्थान के लिए पहली पसंद हैं. भारत को हालांकि चौथे और पांचवें नंबर के लिए ऐसे बल्लेबाज तलाश करने हैं जो निरंतर अच्छा प्रदर्शन कर सके.

ऑस्ट्रेलिया में 2015 विश्व कप में चौथे स्थान पर सफल रहे रहाणे के नाम पर इस भूमिका के लिए विचार हो सकता है, फिर भले ही बीच के ओवरों में कम स्ट्राइक रेट के लिए उनकी आलोचना होती रही हो.


मनीष पांडे ने कम मौके मिलने के बाद बावजूद प्रभावी प्रदर्शन किया है जबकि केदार जाधव के पास अच्छे शॉट हैं और वह अपनी ऑफ स्पिन से बल्लेबाजों को परेशान भी कर सकते हैं.


इसके अलावा इस स्थान के लिए श्रेयष अय्यर भी दावेदार हैं जो अच्छे स्ट्रोक लगाने में सक्षम हैं और साथ ही घरेलू स्तर पर लगातार अच्छा प्रदर्शन करते रहे हैं.







 



सुरेश रैना ने भी तीन टी20 मैचों की सीरीज में सफल वापसी करके साबित किया है कि उनकी रनों की भूख अभी खत्म नहीं हुई है और अंतिम टी20 में मैन ऑफ द मैच के साथ उन्होंने वनडे टीम में वापसी का दावा पेश किया है.