टेस्ट क्रिकेट में कितनी तरह की गेंदों का इस्तेमाल होता है? भारतीय टीम किस बॉल का प्रयोग करती है
Test Cricket: टेस्ट क्रिकेट में अलग-अलग देशों की परिस्थितियों के हिसाब से अलग-अलग तरह की गेंद का इस्तेमाल होता है. जानें भारत के टेस्ट मैचों में सी गेंद इस्तेमाल की जाती है.
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Balls Used in Test Cricket: क्रिकेट का खेल सदियों पहले शुरू हुआ था, लेकिन 19वीं सदी और फिर 20वीं सदी में टेस्ट क्रिकेट ने अपना वर्चस्व कायम किया. इतिहास का सबसे पहला टेस्ट मैच साल 1877 में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच खेला गया था. टेस्ट मैच का खेल पांच दिनों तक चलता है, लेकिन अक्सर आपके मन में सवाल उठता होगा कि टेस्ट क्रिकेट में किस तरह की गेंद का इस्तेमाल होता है और उसकी खासियत क्या होती है.
ड्यूक्स बॉल - ड्यूक्स की गेंद अपने टिकाऊपन के लिए खासी लोकप्रिय हैं. टेस्ट मैच में एक दिन 90 ओवर गेंदबाजी की जाती है, ऐसे में ड्यूक्स की गेंद को अच्छी स्थिति में रखा जाए तो इसकी चमक 50 ओवर के बाद भी बनी रहती है. इस गेंद का उपयोग इंग्लैंड, आयरलैंड और वेस्टइंडीज में किया जाता है. अगर पिच पर घास हो और आसमान में बादल छाए हों तो ड्यूक्स गेंद दोनों ओर हरकत करती है. इसकी सिलाई पूर्णतः हाथों से की जीती है.
कूकाबूरा - कूकाबूरा कंपनी की गेंदों का उत्पादन ऑस्ट्रेलिया में होता है. इन्हें आधा हाथों और बाकी मशीन के जरिए सीला जाता है. ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका, जिम्बाब्वे, न्यूजीलैंड आर बांग्लादेश इस गेंद का इस्तेमाल करती आई हैं. जब मौसम साफ हो और पिच में बाउंस हो, तब कूकाबूरा की गेंद बहुत कारगर साबित होती आई है.
एसजी - एसजी एक भारतीय कंपनी है और भारत में होने वाले मैचों में यही गेंद इस्तेमाल की जाती है. एसजी बॉल की सीम अन्य गेंदों से थोड़ी अलग होती है क्योंकि इसमें मोटे धागे का इस्तेमाल किया जाता है. इस गेंद की सिलाई हाथ से की जाती है. यह गेंद सूखी और ठोस पिचों पर बल्लेबाजों के छक्के छुड़ा सकती है. ज्यादातर केवल भारत ही एसजी गेंदों का इस्तेमाल करता है.
गुलाबी गेंद - टेस्ट क्रिकेट की बात हो रही है, तो साल 2015 में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच पहला डे-नाइट टेस्ट मैच खेला गया था. इन मैचों में गुलाबी गेंद का इस्तेमाल किया जाता है. काफी क्रिकेटरों ने दावा किया है कि लाल और सफेद गेंद की तुलना में गुलाबी गेंद अधिक स्विंग होती है.
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