साल 2003. भारतीय क्रिकेट टीम न्यूजीलैंड में बेहद शर्मनाक परफॉर्मेंस के बाद वर्ल्ड कप खेलने के लिए दक्षिण अफ्रीका पहुंची. मुम्बई से साउथ अफ्रीकन एयरवेज की विमान जब जोहान्सबर्ग में लैंड किया और खिलाड़ी इमीग्रेशन काउंटर तक पहुंचे तब क्या हुआ था? यही है रिवर्स स्वीप में आज की कहानी. लेकिन उससे पहले आप को बताते है कि न्यूजीलैंड में भारतीय टीम ने कैसा प्रदर्शन किया था.


कीवी टीम के खिलाफ 2 टेस्ट और 7 वन डे मैचों की सीरीज में भारत वेलिंगटन और हैमिलटन में लगातार दो टेस्ट मैच हार गया था. इसके बाद वनडे सीरीज खेली गई और उसमें स्टीफेन फ्लेमिंग की कप्तानी में न्यूजीलैंड की टीम ने भारतीय टीम को 5-2 से मात दी थी. न्यूजीलैंड से ही कप्तान सौरव गांगुली विकेटकीपर के तौर पर राहुल द्रविड़ को खिलाने लगे. सौरव की सोच ये थी कि इसमें प्लेइंग इलेवन में एक अतिरिक्त बल्लेबाज़ या गेंदबाज़ को मौका मिलेगा जिसमे टीम का बैलेंस सही रहेगा.


न्यूज़ीलैंड सीरीज के बाद विश्व कप के लिए भारतीय टीम का सिलेक्शन भी हो गया था और टीम में स्पेशलिस्ट विकेटकीपर के तौर पर पार्थिव पटेल को लिया गया था. पार्थिव तब 18 साल के भी नही हुए थे . इससे पहले नाटिंघम में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैच में डेब्यू किया था पार्थिव ने और दूसरे इनिंग्स में 60 गेंद खेलकर 19 रन बनाकर नाबाद रहे. पटेल की पारी ने भारत को टेस्ट मैच ड्रा रखने में भी मदद की थी. पार्थिव ने न्यू ज़ीलैंड में भी एक वन डे मैच में खेला था लेकिन कुछ खास प्रदर्शन नही कर पायें थे. लेकिन उनकी प्रतिभा को देखकर चयनकर्ताओं ने उन्हें 2003 वर्ल्ड कप में मौका दिया था.


दक्षिण अफ्रीका में खेले गए इस विश्व कप में पार्थिव को एक भी मैच खेलने का मौका नही मिला था और राहुल द्रविड़ विकेट कीपर के हिसाब से खेलते रहें और भारतीय टीम फाइनल तक का सफर तय किया था.



चलिए वापस लौटते है उसी कहानी पर. भारतीय टीम मुम्बई से जोहानसबर्ग एयरपोर्ट पर लैंड की. खिलाड़ी जब इमीग्रेशन काउंटर तक गए, तो एक इमीग्रेशन ऑफिषियल ने टीम के एक सीनियर खिलाड़ी को पूछा, " ये किस खिलाड़ी का बेटा है. उनको भी सामने आने के लिए कृपया अनुरोध कीजिये. दोनो का पासपोर्ट दीजिये मुझे.'' इमीग्रेशन ऑफिशियल का इशारा पार्थिव पटेल की तरफ था. ऐसे ही पार्थिव 18 साल के भी नही हुए थे और ऊपर से बेबी फेस होने की वजह से 14-15 साल के लड़के की तरह दिखते थे. भारतीय टीम के कप्तान सौरव गांगुली समेत बाकी खिलाड़ी इसपर हंस पड़े.


सौरव ने कहा था, ''ये अपने टीम के विकेटकीपर है और अपने दम पर टीम के साथ आये है, किसी क्रिकेटर के परिवारवाले नही हैं.'' इमीग्रेशन डिपार्टमेंट के सभी अधिकारी पार्थिव को देखकर चौंक गए थे और उनको बहुत बहुत शुभकामनाएं दीं वर्ल्ड कप में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए.


आज इतना ही. लॉक डाउन के दौरान क्रिकेट से जुड़े ऐसी ही और भी अनसुनी कहानी आपके सामने पेश करते रहेंगे.


क्यों भारत को खेल दोबारा शुरू करने की जरूरत है? जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने इसके महत्व को समझा है