LBW Explained in Cricket: क्रिकेट का इतिहास कई सदियों पुराना रहा है और यह खेल समय के साथ नए बदलाव भी लाया है. इस खेल में एक नियम का नाम 'LBW' भी है जिसे लेग बिफोर विकेट भी कहा जाता है. यदि कोई व्यक्ति क्रिकेट का नया फैन बना है, उसके लिए LBW को समझ पाना बेहद मुश्किल काम हो सकता है. इसके तहत यदि गेंद बल्लेबाज के शरीर पर लगती है और इस समय वो स्टम्प के ठीक सामने होता है तो जरूरी नहीं उसे आउट करार दिया जाए. तो चलिए जानते हैं कि आखिर इस जटिल दिखने वाले नियम की शुरुआत कब हुई थी.
कब शुरू हुआ LBW नियम?
दरअसल 18वीं सदी में बल्लेबाज अक्सर आउट होने से बचने के लिए पैड का सहारा लेने लगे थे. इस कारण साल 1774 में पहली बार इसके लिए एक नियम बनाया गया. अब विकेट के सामने गेंद अगर पैड से टकराती है तो बल्लेबाज को आउट दे दिया जाता था. काफी समय तक नियम में बदलाव और उसमें सुधार का दौर जारी रहा, लेकिन 1935 में LBW नियम में एक नया पहलू जोड़ा गया. नए नियम के मुताबिक यदि गेंद ऑफ-स्टम्प की लाइन के बाहर टप्पा खाई है तब भी यदि बल्लेबाज को स्टम्प के सामने पाया जाता है तो उसे आउट करार दिया जाएगा.
ऐसे में लेग स्पिन गेंदबाजों का समर्थन करने वाले लोगों ने इस नियम का विरोध किया. कई दशकों के विरोध के बाद 1972 में नियम में एक नया पहलू जोड़ा गया. इसके तहत यदि कोई बल्लेबाज शॉट ना खेलने के इरादे से अपने बैट को पीछे ही रखता है तब यदि गेंद लेग स्टम्प की लाइन के बाहर टप्पा खाती है तब भी उसे आउट दिया जा सकता है. मगर मौजूदा नियम के हिसाब से यदि बल्लेबाज क्रीज से 3 मीटर या आगे निकल जाता है तो उसे पैड या शरीर पर गेंद लगने के लिए आउट नहीं दिया जा सकता.
कौन था LBW से आउट होने वाला सबसे पहला बल्लेबाज?
LBW नियम से आउट होने वाले पहले बल्लेबाज हैरी कॉर्नर थे. 1900 पेरिस ओलंपिक खेलों में इंग्लैंड का मैच फ्रांस से हो रहा था. उस मैच में इंग्लिश बल्लेबाज कॉर्नर को फ्रांस के डब्लू एंडरसन ने आउट किया था. वहीं इस नियम से आउट होने वाले पहले भारतीय बल्लेबाज नाओमल जियोमल थे, जिन्हें 1932 में इंग्लैंड के वॉल्टर रॉबिंस ने आउट किया था.
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