फोटो क्रेडिट: (यूट्यूब स्क्रीनशॉट)
वो खिलाड़ी करीब 15 साल का था जब भारतीय टीम विश्व कप के सेमीफाइनल में श्रीलंका से बुरी तरह हार गई थी. हारी भी क्या थी हथियार डाल दिए थे. आपको याद ही होगा 1996 विश्व कप का सेमीफाइनल मैच जो कोलकाता में खेला गया था. भारत की हार देखकर नाराज हुए दर्शकों ने आपा खो दिया. मैदान में बोतलें फेंकी गई. स्टैंड में आ लगा दी गई. अंत में मैच को दोबारा शुरू ना कर पाने की हालत को भांपते हुए मैच ऑफिशियल्स ने उस मैच का नतीजा श्रीलंका के पक्ष में कर दिया.
अपने घर में हो रहे विश्व कप को जीतने का भारतीय टीम और उसके फैंस का सपना चकनाचूर हो गया. उस मैच का भारतीय क्रिकेट के इतिहास में इसलिए भी महत्व है क्योंकि बाद में उस मैच को ‘फिक्सिंग’ से भी जोड़कर देखा गया. हालांकि इन विवादों से अलग एक खिलाड़ी को वो हार पसंद नहीं आई. उसे वो हार नहीं पची. वो खिलाड़ी अब भी श्रीलंका की टीम से उस हार का बदला लेने को मैदान में उतरता है.
चलिए 1996 के बाद अब वर्तमान में लौटते हैं. गुरूवार को भारत और श्रीलंका की टीमें चैंपियंस ट्रॉफी में आमने सामने होंगी. मौजूदा दौर में दोनों ही टीमों को किसी भी कसौटी पर परखना हो परख लीजिए भारत का पलड़ा भारी है. हाल फिलहाल के मैच, चैंपियंस ट्रॉफी में प्रदर्शन या कोई और भी कसौटी अगर है तो. ये अलग बात है कि भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली ने जोश में होश ना खोने की चतुराई के साथ मैच से पहले ये कहाकि वो हर टीम को गंभीरता से लेंगे. बावजूद इसके सच्चाई यही है कि कोई बहुत भारी उलटफेर नहीं हुआ तो भारतीय टीम को श्रीलंका के खिलाफ मैच में कोई मुश्किल नहीं आनी चाहिए.
हां, श्रीलंका के लिए मुश्किल जरूर है. भारतीय टीम का वो एक खिलाड़ी ऐसा है जिसे श्रीलंकाई टीम से 1996 की हार का बदला लेने में अब भी मजा आता है. वो खिलाड़ी कोई और नहीं भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी हैं. बड़े मुकाबलों में उन्हें श्रीलंका की हार देखने में बड़ा मजा आता है.
श्रीलंका को अब भी नहीं भूलते ये मैच
2011 विश्व कप का फाइनल मैच था. श्रीलंका ने भारत को 275 रनों का लक्ष्य दिया था. सचिन तेंडुलकर और वीरेंद्र सहवाग के जल्दी आउट होने के बाद गौतम गंभीर ने मैच को संभाला. जल्दी ही कोहली आउट हो गए. धोनी ने उस दिन बल्लेबाजी क्रम में ऊपर आने का फैसला किया. इसके बाद की बात इतिहास में दर्ज है. उन्होंने शानदार 91 रन बनाए. भारत को विश्व चैंपियन बनाया. मैन ऑफ द मैच बने.
इसके बाद दूसरा मैच 2013 में है वेस्टइंडीज का है. जब ट्राएंगुलर सीरीज के फाइनल में श्रीलंका ने भारत के सामने जीत के लिए 201 रनों का लक्ष्य रखा था. इस मैच में धोनी ने बिल्कुल ही अलग अंदाज में बल्लेबाजी की. निचले क्रम के बल्लेबाजों के साथ अपेक्षाकृत धीमी बल्लेबाजी करते हुए उन्होंने एक बार फिर 2 गेंद रहते भारत को मैच जीता दिया. ये धोनी ही थे जिन्होंने 28 साल बाद टीम इंडिया के विश्व कप जीतने के इंतजार को खत्म किया. ये धोनी ही थे जिन्होंने भारत में भगवान की तरह पूजे जाने वाले सचिन तेंडुलकर के सपनों को पूरा किया.
श्रीलंका के खिलाफ हैं धोनी के जबरदस्त रिकॉर्ड
वैसे भी श्रीलंका के खिलाफ धोनी के आंकड़े देखिए. बड़े मैचों को छोड़ भी दिया जाए तो श्रीलंका की टीम धोनी की पसंदीदा टीम रही है. उन्होंने वनडे करियर में कुल 9275 रन बनाए हैं. इसमें से 2086 रन उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ ही बनाए हैं. उनके 10 वनडे शतकों में से 2 शतक श्रीलंका के खिलाफ हैं.
उनके करियर की सर्वश्रेष्ठ 183 रनों की नॉट आउट पारी भी श्रीलंका के खिलाफ ही है. श्रीलंका के खिलाफ उन्होंने अपने वनडे करियर के 50.9 की औसत से कही ज्यादा 61.3 की औसत से रन बनाए हैं. गुरूवार को जब मैदान में श्रीलंका की टीम उतरेगी तो उसके दिमाग में धोनी के रिकॉर्ड्स जरूर घूम रहे होंगे.