महेन्द्र सिंह धोनी ने आखिरकार चेन्नई सुपर किंग्स की कप्तानी को अलविदा कह ही दिया. उन्होंने गुरुवार को यह जिम्मेदारी टीम के ऑलराउंडर खिलाड़ी रविंद्र जडेजा को सौंप दी. IPL के 15वें सीजन से ठीक दो दिन पहले धोनी का यह फैसला चौंकाने वाला है. सवाल खड़े होते हैं कि अगर कप्तानी छोड़नी ही थी तो यह घोषणा पहले क्यों नहीं की गई, ऐन वक्त पर अचानक इस तरह कप्तान क्यों बदला गया? संभव है कि आने वाले दिनों में इन सवालों के साफ-साफ जवाब मिल सकें. बहरहाल हम इस फेरबदल को कुछ पॉइंट्स में समझने की कोशिश करते हैं..
धोनी ने कप्तानी क्यों छोड़ी?
धोनी का यह आखिरी IPL है. संभव है कि CSK उनसे चाहता हो कि वह IPL को अलविदा कहने से पहले भविष्य का कप्तान तैयार करें. इसलिए धोनी ने यह फैसला लिया हो. एक और बात यह भी है कि पिछले सीजन में धोनी बतौर बल्लेबाज पूरी तरह फ्लॉप रहे थे. हो सकता है उन्होंने पूरी तरह से बल्लेबाजी पर फोकस रखने के लिए इस जिम्मेदारी से हटने का फैसला लिया हो.
लेकिन यह फैसला अचानक क्यों?
सवाल तो उठता है कि जब कप्तानी में यह फेरबदल होना ही था तो पहले से यह फैसला क्यों नहीं लिया गया. इसका एक सीधा सा जवाब खोजे तो धोनी हमेशा से बहुत अप्रत्याशित रहे हैं. बतौर कप्तान मैदान में उनके फैसले भी देखें तो वह ऐसे ही रहते थे. जैसे- टी-20 वर्ल्ड कप फाइनल का आखिरी ओवर जोगिंदर शर्मा को देना. तो कहा जा सकता है कि उन्हें कुछ लगा और उन्होंने फौरन यह फैसला ले लिया.
हो सकता है कि सूरत में अभ्यास के दौरान धोनी को लगा हो कि शायद वह उम्मीदों के अनुसार बैटिंग इस बार भी न कर पाएं, ऐसे में टीम से सिर्फ कप्तान के तौर पर जुड़े रहना उन्हें ठीक न लगा हो. अगर यही कारण है तो हो सकता है कि धोनी इस बार IPL के सारे मैच न खेलें, अगर वे शुरुआत में लय में नहीं आते हैं तो हो सकता है कि वह अचानक संन्यास भी ले लें या बतौर मेंटर टीम की प्लेइंग इलेवन से बाहर रहते हुए मदद करें.
रविंद्र जडेजा को ही क्यों दी गई कप्तानी?
CSK के पास फिलहाल जो खिलाड़ी उपलब्ध हैं, उनमें धोनी के विकल्प के रूप में जडेजा से बेहतर और कोई खिलाड़ी नजर नहीं आता. जडेजा बतौर खिलाड़ी साल दर साल अपने प्रदर्शन में सुधार कर रहे हैं. पिछले सीजन में उन्होंने 13 विकटों के साथ-साथ 75 के बैटिंग एवरेज से रन बनाए थे. वह IPL के एकमात्र खिलाड़ी हैं जो 2000 से ज्यादा रन और 100 से ज्यादा विकटें चटका चुके हैं. वह साल 2012 से CSK का हिस्सा रहे हैं. धोनी के साथ भी उन्होंने लंबा वक्त गुजारा है. वह CSK का गेम प्लान जानते हैं और निश्चित तौर पर धोनी से उन्होंने कप्तानी के नुस्खे भी सीख ही लिए होंगे. ऐसे में जडेजा ही इस जिम्मेदारी के सबसे बड़े दावेदार थे.
जडेजा के अलावा ड्वेन ब्रावो पर भी विचार किया जा सकता था लेकिन ब्रावो फिलहाल जडेजा के स्तर के खिलाड़ी नहीं रहे हैं. वह अपने करियर के आखिरी पड़ाव पर हैं. ऐसे में जडेजा ही कप्तानी के एकमात्र विकल्प बचे थे.
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