आईपीएल के इस सीजन में अब तक खेले गए मैचों में सबसे कमजोर साबित हुए हैं- अंपायर. यूं तो अंपायरों से कई गलत फैसले भी हुए हैं लेकिन अंपायरों को स्टार खिलाड़ियों के गुस्से का शिकार कुछ ज्यादा ही होना पड़ा है. इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता है कि एक गलत फैसला मैच के नतीजे पर सीधा असर डालता है लेकिन इससे भी बड़ा सच ये है कि खेल की मर्यादा ये कहती है कि आप अंपायर पर झल्लाहट नहीं दिखा सकते हैं. अंपायर से बहस नहीं कर सकते हैं. 



जिस खेल की परिभाषा में आम तौर पर ये बात कही जाती हो कि ‘अंपायर डिसीजन इस लास्ट डिसीजन’ उसमें अंपायर पर क्या चीखना और क्या चिल्लाना. अफसोस इस बात का और ज्यादा है कि अंपायरों के साथ बदत्तमीजी करने वालों में भारत के स्टार खिलाड़ी शामिल हैं. जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेलते हुए एक दशक से ज्यादा का समय हो गया है. जो जानते हैं कि अंपायर का फैसला ही आखिरी फैसला होता है. 



महेंद्र सिंह धोनी, विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे खिलाड़ियों ने अंपायरों के सामने जो बर्ताब दिखाया है उसे कहीं से भी जायज नहीं ठहराया जा सकता है. खास तौर पर तब जबकि आने वाले खिलाडियों की पीढ़ियां आपको ‘फॉलो’ करती हैं.  ये मुद्दा इसलिए भी अहम है क्योंकि इस बार आईपीएल में सबसे ज्यादा अंपायर भारतीय हैं. अगर भारतीय खिलाड़ी ही भारतीय अंपायरों का सम्मान नहीं करेंगे तो कौन करेगा. मैदान पर गुस्सा दिखाने के लिए कुख्यात माने जाने वाले डेविड वॉर्नर, स्टीव स्मिथ और शेन वॉटसन जैसे खिलाड़ियों के मुकाबले हमारे अपने स्टार खिलाड़ी अंपायरों को लेकर कुछ ज्यादा ही खराब बर्ताव कर रहे हैं.



महेंद्र सिंह धोनी ने की थी शुरूआत



आईपीएल के इस सीजन के शुरूआती मैच में महेंद्र सिंह धोनी ने मुंबई के खिलाफ मैच के दौरान इसकी शुरूआत की थी. धोनी ने ये जानते हुए कि आईपीएल में डीआरएस यानि डिसीजन रीव्यू सिस्टम का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है अंपायर से डीआरएस की मांग की थी. हो सकता है कि धोनी ने अनजाने में मजाक किया हो लेकिन इस मजाक का खामियाजा उन्हें उठाना पड़ा था. जिसके बाद उन्हें मैच रेफरी ने नियम संख्या 2.1.1 का दोषी बताया था. 



विराट का गुस्सा, तौबा...तौबा 



कोलकाता के खिलाफ मैच में तो विराट कोहली का गुस्सा सभी ने देखा. विराट कोहली इस बात से नाराज थे कि कोलकाता के कप्तान गौतम गंभीर को आउट देने में अंपायर इतना समय क्यों लगा रहे हैं. हुआ यूं था कि गौतम गंभीर के बल्ले का किनारा लेकर गेंद विकेटकीपर के दस्ताने में गई थी लेकिन अंपायर इस बात की तस्दीक करना चाहते थे कि विकेट के पीछे सही तरीके से लिया गया या नहीं जिसके लिए उन्होंने तीसरे अंपायर से मशविरा लिया. 



इसी दौरान पूरे देश ने देखा कि विराट कोहली किस तरह अंपायर को हाथ का इशारा करके ये समझा रहे थे कि कैच ‘क्लीन’ है. विराट कोहली को ये समझना होगा कि कैच ‘क्लीन’ है या नहीं इस बात का फैसला करना अंपायर का काम है ना कि विराट कोहली का. बाद में ‘साइडस्क्रीन’ को लेकर विराट कोहली का गुस्सा भी पूरे देश ने देखा. जब वो डग आउट में बहुत देर तक झुझलाहट दिखाते रहे. 



रोहित शर्मा भी पीछे नहीं रहे



मुंबई के कप्तान रोहित शर्मा भी कहां पीछे रहने वाले थे. पुणे के खिलाफ मैच के आखिरी ओवर में उन्होंने एक गेंद को ‘वाइड’ मानकर छोड़ दिया. मुंबई को जीत के लिए तब 4 गेंद पर 11 रन चाहिए था. अंपायर एस रवि ने गेंद को ‘वाइड’ नहीं दिया. इस बात ने नाराज रोहित शर्मा ने अंपायर पर जमकर गुस्सा दिखाया. बाद में स्कवायर लेग अंपायर ने बीच बचाव किया तब मैच आगे बढा. मुंबई ये मैच तीन रन से हार गई. इसके अलावा रोहित शर्मा पर मैच फीस का पचास फीसदी जुर्माना भी लगाया गया. 



इस किचकिच से निपटने का सबक क्या है



महेंद्र सिंह धोनी, विराट कोहली, रोहित शर्मा जैसे खिलाड़ियों का कद भारतीय क्रिकेट में इतना बड़ा है कि उन्हें पता है कि आईपीएल में ‘सब’ चल जाता है. लेकिन खेलभावना के लिहाज से इन दिग्गज खिलाड़ियों के बर्ताव की आलोचना होनी चाहिए. अंपायर के गलत फैसलों की दलील देकर ये खिलाड़ी अपने बर्ताव को सही ठहरा नहीं सकते हैं. लेकिन बीसीसीआई को इस तस्वीर के दूसरे पहलू पर भी गौर करना चाहिए. 



दरअसल, सच्चाई ये भी है कि बीसीसीआई को आईपीएल में अंपायरिंग के स्तर को लेकर मेहनत करने की जरूरत है. आईपीएल में अंपायरिंग का औसत स्तर कोई नई बात नहीं है. इस सीजन में कई गलत फैसले देखने को मिले हैं. यहां तक कि एक ओवर की आखिरी गेंद पर साइड चेंज करने के बाद भी अगले ओवर में उसी बल्लेबाज को क्रीज संभालने का मौका मिलने तक की घटना हो चुकी है. आईसीसी के एलीट अंपायरिंग पैनल में भारतीय अंपायरों के ना होने का रोना हम काफी समय से हो रहे हैं, लेकिन क्या वाकई हमारे अंपायर इतने सतर्क और समझदार हैं कि हम उनपर भरोसा करें.