मास्टर ब्लास्टर सचिन को इतिहास का सबसे बड़ा बल्लेबाज माना जाता है. इस क्रिकेटर ने टेस्ट और वनडे में किसी और खिलाड़ी से ज्यादा रन बनाए हैं. तेंदुलकर ने जब अपने करियर की शुरूआत की थी तो उन्हें कुछ कठीन निर्णय लेने पड़े थे. उन्हें ऐसा इसलिए भी करना पड़ा था कि क्योंकि उन्हें डर था कि वो जो भी कर रहे हैं उसमें वो सफल हो पाएंगे या नहीं.


साल 1994 में मास्टर ब्लास्टर ने अपना वनडे शतक पूरा किया और ऐसा तब हुआ जब उन्होंने अपनी बल्लेबाजी को मिडल ऑर्डर से ओपनिंग के लिए स्विच किया. हाल ही में एक चैट शो के दौरान तेंदुलकर ने एक काफी दिलचस्प कहानी बताई कि कैसे उन्हें कुछ नया करना के लिए निवेदन करना पड़ा था. ऐसे इसलिए भी हुआ था कि क्योंकि उस समय जैसी चीजें चल रही थी उसे वैसी ही चलने की हिदायत दी गई थी लेकिन तेंदुलकर उसमें कुछ नया करना चाहते थे.

उन्होंने कहा, '' साल 1994 में जब मैंने टीम इंडिया के लिए ओपनिंग बल्लेबाजी की शुरूआत की तो सभी टीमों की ये रणनीति थी कि विकेट बचा कर खेला जाए. हालांकि ये आउट ऑफ द बॉक्स था. और मैं चाहता था कि मैं आगे जाकर बल्लेबाजों को टारगेट करूं. लेकिन इसके लिए मुझे काफी निवेदन करना पड़ा कि मुझे एक मौका दे दिया जाए. अगर मैं उसमें सफल नहीं हो पाता हूं तो मैं फिर वापस नहीं आउंगा.''

उन्होंने आगे कहा कि, '' पहला मैच न्यूजीलैंड के खिलाफ था और मैंने 49 गेंदों में 82 रनों की पारी खेली थी. इसलिए मुझे दोबारा किसी मौके के लिए पूछने की जरूरत नहीं पड़ी. अगले 385 वनडे में तेंदुलकर ने टीम इंडिया के लिए ओपनिंग की और 49 शतक जड़े और 16,000 से ज्यादा रन भी बनाए. तेंदुलकर क्रिकेट से 100 शतक बनाने के बाद रिटायर हुए थे.