Sanjay Bangar Praises Shefali Verma and Smriti Mandhana: श्रीलंका के दांबुला में महिला एशिया कप 2024 खेला जा रहा है. जिसमें भारत और पाकिस्तान के बीच महिला एशिया कप 2024 का दूसरा मैच खेला गया. इस मैच को जीतकर भारत इस टूर्नामेंट में शानदार शुरुआत करने में सफल रहा. इस मैच में शेफाली वर्मा ने शानदार पारी खेलकर सबका ध्यान अपनी ओर खींचा. इसके साथ ही स्मृति मंधाना ने भी जबरदस्त पारी खेली. जिसके बाद पूर्व भारतीय ऑलराउंडर संजय बांगर ने शेफाली वर्मा की तुलना वीरेंद्र सहवाग से कर दी.


संजय बांगर ने शेफाली वर्मा की तुलना वीरेंद्र सहवाग से की
स्टार स्पोर्ट्स पर मैच का विश्लेषण करते हुए संजय बांगड़ ने कहा- “जब भी मैं शेफाली को बल्लेबाजी करते देखता हूं, तो मुझे वीरेंद्र सहवाग की याद आती है. उनका खेल विपक्षी टीम की मनोबल को पूरी तरह से गिरा देता है, ठीक वैसे ही जैसे सहवाग का खेल करता था. वह पहले छह ओवरों में ही मैच को अपनी टीम की ओर मोड़ देती हैं.”


संजय बांगड़ ने शेफाली की बल्लेबाजी के तकनीकी पहलू की भी तारीफ की. उन्होंने कहा- “शेफाली ने कई बेहतरीन शॉट्स खेले. खासकर उनका ऑफ-ड्राइव बहुत ही सुंदर था. यह एक शानदार शॉट था, जो दिखाता है कि वह केवल आक्रामक नहीं हैं, बल्कि अच्छे तकनीक के साथ भी खेल सकती हैं.”


संजय बांगर ने की स्मृति मंधाना की भी तारीफ
संजय बांगड़ ने स्मृति मंधाना की पारी पर भी चर्चा की. उन्होंने कहा- “मुझे उनकी बल्लेबाजी में सबसे अच्छी बात यह लगी कि उन्होंने बहुत अच्छे से गैप्स को ढूंढा. गेंद की गति कम होने पर भी उन्होंने खुद को समय दिया और बैकफुट पर कई शानदार शॉट्स खेले.”


संजय बांगड़ ने मंधाना के ऑन-साइड गेम में सुधार की भी सराहना की. उन्होंने कहा- “मंधाना ने इन-फील्डर्स के ऊपर कई अच्छे शॉट्स खेले. ऐसा लगता है कि उन्होंने अपनी ऑन-साइड गेम पर बहुत काम किया है, जो पहले उनकी ऑफ-साइड गेम के मुकाबले कमजोर थी.”


शेफाली और स्मृति ने की 85 रन की साझेदारी
शेफाली वर्मा ने 137.93 की स्ट्राइक रेट से 29 गेंदों पर 40 रन बनाए, जिसमें 6 चौके और 1 छक्का शामिल था. उन्होंने स्मृति मंधाना के साथ मिलकर पहले विकेट के लिए सिर्फ 9.3 ओवर में 85 रनों की साझेदारी की और भारत को मजबूत स्थिति में पहुंचाया. स्मृति मंधाना 145.16 की स्ट्राइक रेट से 31 गेंदों पर 45 रन बनाने में सफल रहीं.


यह भी पढ़ें:
Melbourne Olympics 1956 Football: मेडल की दहलीज पर टूटे थे भारतीय फुटबॉल टीम के सपने, मेलबर्न ओलंपिक 1956 की वो दर्दनाक कहानी!