भारत ने 25 जून, 1983 को अपना पहला विश्व कप जीता था. 25 जून, भारत की यादगार जीत की 37वीं वर्षगांठ होगी. भारत के पूर्व बल्लेबाज के श्रीकांत ने इस यादगार जीत की 37वीं वर्षगांठ की पूर्वसंध्या पर एक बार फिर से उस शानदार मैच को याद किया है.


श्रीकांत ने ऐतिहासिक जीत को याद करते हुए कहा, " मुझे याद है कि फाइनल की पूर्वसंध्या पर बोर्ड के शीर्ष अधिकारी, संयुक्त सचिव और हर कोई वहां था और एक छोटी बैठक हुई थी. उन्होंने कहा कि कल के फाइनल के बारे में चिंता मत करो, आप सब लोग इतनी दूर तक आए हो जो अपने आप में एक शानदार है और कल यह मैच जीतते हो या नहीं, उन्होंने हम सभी के लिए 25,000 रुपये के बोनस की घोषणा कर दी. हम सब इसे सुनकर काफी खुश हो गए."


उन्होंने कहा, ईमानदारी से कहूं तो हमने दबाव महसूस नहीं किया. हमारे पास पाने के लिए सबकुछ और खोने के लिए कुछ भी नहीं है क्योंकि वेस्टइंडीज प्रबल दावेदार थी. वह 1975 और 1979 चैंपियन रह चुकी थी. विश्व क्रिकेट में उनका दबदबा था, इसलिए हमने सोचा कि फाइनल तक पहुंचना ही हमारे लिए बहुत बड़ी बात थी."


श्रीकांत ने साथ ही अपने 183 रन के स्कोर का बचाव करने के लिए मैदान पर उतरने से पहले ड्रेसिंग रूम के माहौल के बारे में भी बात की. पूर्व बल्लेबाज ने कहा, " वेस्टइंडीज की बल्लेबाजी लाइन-अप को और अपने 183 रन के स्कोर को देखते हुए हमें जरा भी उम्मीद नहीं लगी थी. लेकिन कपिल देव ने एक चीज कही थी और उन्होंने ऐसा नहीं कहा था कि हम जीत सकते हैं लेकिन उन्होंने कहा-देखो हम 183 रन पर आउट हो गए हैं और हमें चुनौती पेश करनी चाहिए, आसानी से मैच नहीं गंवाना चाहिए."


उन्होंने इस जीत को भारतीय क्रिकेट के लिए 'टर्निंग प्वाइंट' बताते हुए कहा, "यह भारतीय क्रिकेट और भारतीयों के लिए 'टनिर्ंग प्वाइंट' था. ऐसे समय में जब क्रिकेट में वेस्टइंडीज, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और अन्य का दबदबा होता था, तब पूरी तरह से 'अंडरडॉग' भारतीय टीम विश्व चैंपियन बनी थी."


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