वेस्टइंडीज के खिलाफ 268 रन. इससे पहले अफगानिस्तान के खिलाफ 224 रन. इन दोनों मैचों में भारत को जीत मिली लेकिन इन दोनों ही मैचों ने भारतीय बल्लेबाजी की कलई खोल दी. भारत के बल्लेबाज बुरी तरह संघर्ष करते दिखे. रोहित शर्मा के आउट होने के बाद शॉट्स देखने के लिए फैंस तरस रहे हैं. विराट कोहली भी अपना स्वाभाविक खेल नहीं खेल पा रहे हैं. यही वजह है कि वो अपने अर्धशतकों को शतकों में तब्दील नहीं कर पा रहे हैं. विजय शंकर की हालत तो और खराब है. उन्हें जिन उम्मीदों के साथ विश्वकप टीम में शामिल किया गया था उस पर वो अब तक खरे नहीं उतरे हैं. केदार जाधव का प्रदर्शन औसत है. इसके बाद धोनी की बल्लेबाजी ने निराश किया है. वेस्टइंडीज के खिलाफ आखिरी ओवर में उनकी बल्लेबाजी से अगर फैंस खुश हैं तो ये ना भूलें कि हर मैच में धोनी ये कारनामा नहीं कर पाएंगे. इस सच को स्वीकार करना ही होगा कि धोनी की बल्लेबाजी में अब आक्रामकता नहीं बची है. इक्का दुक्का मैचों में अगर वो तेज गति से रन बना दें तो उसे बोनस समझना चाहिए. अब जरा सोचिए कि टीम इंडिया को ये परेशानी क्यों हो रही है? इसका जवाब है कि टीम इंडिया बाएं हाथ के बल्लेबाज को बुरी तरह मिस कर रही है. शिखर धवन के जाने के बाद ऋषभ पंत को इंग्लैंड तो बुला लिया गया लेकिन अभी प्लेइंग 11 में उन्हें मौका नहीं मिला है.


बाएं हाथ के बल्लेबाज के ना होने से नुकसान


टीम इंडिया के टॉप ऑर्डर से लेकर लोवर ऑर्डर तक सारे बल्लेबाज दाएं हाथ से बल्लेबाजी करते हैं. बीच के ओवरों में जब विरोधी टीम के स्पिनर्स आते हैं तो इन बल्लेबाजों को स्ट्राइक रोटेट करने में दिक्कत हो रही है. अफगानिस्तान के स्पिनर्स के खिलाफ कम रन बनाना तो फिर भी समझ आता है लेकिन वेस्टइंडीज के औसत स्पिनर फेबियन एलेन भी भारतीय बल्लेबाजों को बांधने में कामयाब रहे. उन्होंने 10 ओवर में सिर्फ 52 रन दिए. धोनी तो स्पिनर्स के खिलाफ बिल्कुल ही असहज दिख रहे हैं. उनकी बल्लेबाजी का अंदाज देखिए वो गेंद पर शॉट खेलने की बजाए गेंद को रोकने की कोशिश करते दिखते हैं. इसका नुकसान ये है कि बड़े शॉट्स तो लग नहीं रहे और सिंगल डबल भी नहीं मिलते. इसी वजह से धोनी की बल्लेबाजी को सवालों के कटघरे में भी रखा जा रहा है. गनीमत है कि विकेटकीपिंग में उनका प्रदर्शन अच्छा है इसलिए ज्यादा हो हल्ला नहीं हो रहा है. बावजूद इसके धोनी की मौजूदा फॉर्म उन्हें नंबर चार पर मौका नहीं दिला सकती है क्योंकि नंबर चार पर जाकर भी वो आगे आने वाले बल्लेबाजों का दबाव ही बढ़ाएंगे. आप विश्व कप में भारतीय बल्लेबाजों का स्ट्राइक रेट देख लें आपको ये बात और आसानी से समझ आ जाएगी कि क्रीज पर दाएं और बाएं हाथ के कॉम्बिनेशन के ना होने का टीम इंडिया को क्या नुकसान हो रहा है. इस नुकसान की भरपाई ऋषभ पंत कर सकते हैं. अगला मैच इंग्लैंड के खिलाफ है. इंग्लैंड की टीम 224 या 268 रनों के लक्ष्य पर मैच जीतने नहीं देगी. स्कोरबोर्ड पर और बड़ा टारगेट लगाना ही पड़ेगा.


बाएं हाथ के बल्लेबाजों का दबदबा


ये भी दिलचस्प संयोग है कि 2019 विश्व कप के मैचों में बाएं हाथ के बल्लेबाजों का जलवा है. अभी तक सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाजों की लिस्ट में भी बाएं हाथ के डेविड वॉर्नर पहले नंबर पर हैं. डेविड वॉर्नर ने अब तक खेले 7 मैचों में 500 रन जोड़ लिए हैं. इसमें 2 शतक और 3 अर्धशतक हैं. बाएं हाथ के ही शाकिब अल हसन भी टॉप 5 बल्लेबाजों में शुमार हैं. उन्होंने अब तक खेले गए 6 मैचों में 476 रन बनाए हैं. शाकिब अल हसन भी 2 शतक और 3 अर्धशतक लगा चुके हैं. शिखर धवन ने भी चोट लगने के बाद भी ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शानदार शतक जड़ा था. अगर वो टूर्नामेंट में होते तो बाएं हाथ के बल्लेबाजों की फेहरिस्त को और चमका रहे होते.