Yashasvi Jaiswal Brother Tejasvi Struggle Story: कभी-कभी क्रिकेटरों की सफलताएं सिर्फ उनके संघर्षों से नहीं, बल्कि उन बलिदानों से भी आकार लेती हैं जो उनके परिवार और करीबी लोग करते हैं. तेजस्वी जायसवाल की कहानी कुछ ऐसी ही है. वह यशस्वी जायसवाल के बड़े भाई हैं, जिनका नाम आज भारतीय क्रिकेट के उभरते सितारों में शामिल है. लेकिन यशस्वी की सफलता की एक बड़ी वजह उनके बड़े भाई तेजस्वी का अपना सपना छोड़ना भी था.
परिवार की आर्थिक स्थिति खराब थी और तेजस्वी जायसवाल को लगा कि वह और उसका छोटा भाई दोनों एक साथ क्रिकेट नहीं खेल सकते. फिर तेजस्वी ने अपने सपनों को किनारे रख दिया और अपने भाई के लिए क्रिकेट छोड़ दिया. दिल्ली में रहते हुए तेजस्वी ने न केवल अपने परिवार का भरण-पोषण किया, बल्कि अपनी बड़ी बहनों की शादी का खर्च भी उठाया. उन्होंने कहा, "मेरे लिए क्रिकेट खेलना मुश्किल था, क्योंकि परिवार की स्थिति अच्छी नहीं थी."
इसके साथ ही तेजस्वी को क्रिकेट से जुड़ी एक और मुश्किल का सामना करना पड़ा. उन पर उम्र में धोखाधड़ी का आरोप लगा. इसके चलते उन्हें एक साल से ज़्यादा समय तक बेंच पर बैठना पड़ा. मुश्किल हालात में उनके लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करना भी मुश्किल हो रहा था. फिर यशस्वी के अच्छे प्रदर्शन और परिवार के सपोर्ट की वजह से जिंदगी संवर गई.
हाल ही में 27 साल की उम्र में तेजस्वी जायसवाल ने अपना पहला रणजी ट्रॉफी अर्धशतक बनाया और सात साल बाद क्रिकेट में शानदार वापसी की. अब वे फर्स्ट क्लास क्रिकेटर बन गए हैं. उनके छोटे भाई यशस्वी ने अपने भाई की सफलता पर लिखा, "आपने सबके लिए त्याग किया, अब आपका समय है, इसका आनंद लें."
रणजी ट्रॉफी में तेजस्वी जायसवाल ने यह अर्धशतक बड़ौदा बनाम त्रिपुरा मैच के दौरान लगाया, जो 06 नवंबर 2024 से खेला जा रहा था. इस मैच की पहली पारी में उन्होंने त्रिपुरा के लिए 159 गेंदों पर 51.57 की स्ट्राइक रेट से 82 रन बनाए. जिसमें 12 चौके और एक छक्का शामिल था.