Indian Cricket Team: भारतीय क्रिकेट टीम में पिछले एक दशक से ऐसे खिलाड़ियों ने दस्तक दी है जो छोटे शहरों या कस्बों से आते हैं. अपने खेल के जरिए घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन करने के बाद इन खिलाड़ियों ने टीम इंडिया तक का रास्ता तय किया है. इन खिलाड़ियों को सभी क्रिकेट फैंस ने फर्राटेदार अंग्रेजी भी कई बार बोलते हुए देखा, जिसके बाद सभी को हैरानी भी हुई. क्योंकि पढ़ाई के मामले में कई खिलाड़ियों ने सिर्फ 10वीं तक पढ़ा है.


ऐसा नहीं है कि इन खिलाड़ियों की अंग्रेजी पहले ही बहुत अच्छी थी. दरअसल भारतीय टीम में आने के बाद बोर्ड अलग से खिलाड़ियों को इसकी ट्रेनिंग देता है ताकि विदेशी दौरों पर इन खिलाड़ियों को किसी भी तरह की दिक्कत का सामना ना करना पड़े. महेंद्र सिंह धोनी, वीरेंद्र सहवाग और प्रवीण कुमार भी शुरू में अंग्रेजी में बात करने में काफी झिझकते थे, लेकिन अब वह इस मामले में बाकियों से कहीं बेहतर दिखाई देते हैं.


वहीं इस समय टीम इंडिया में मौजूद अधिकतर खिलाड़ी फिर चाहे मोहम्मद शमी, मोहम्मद सिराज या फिर कुलदीप यादव ही क्यों ना हों, इन सभी की अंग्रेजी शुरू में उतनी अच्छी नहीं थी. इसके बावजूद अब जब भी यह प्रेस वार्ता में मीडिया से बात करते हैं तो बड़ी आसानी के साथ उनके जवाब अंग्रेजी भाषा में ही देते हुए नजर आते हैं.


बोर्ड इस बात का रखता है विशेष ध्यान


भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) इस बात का विशेष ध्यान रखता है कि टीम में मौजूद सभी खिलाड़ी अंग्रेजी आसानी से बोल सकें. इसको लेकर बोर्ड की तरफ से ऐसे खिलाड़ियों के लिए पर्सनालिटी डेवलपमेंट और इंग्लिंश स्पिकिंग जैसे कोर्स कराए जाते हैं ताकि खिलाड़ियों को किसी भी तरह से विदेशी दौरों पर दिक्कत का सामना ना करना पड़े.


दरअसल विदेशी दौरों पर भारतीय टीम के खिलाड़ी कई तरह के आयोजनों में भी शामिल होते हैं, ऐसे में उनकी अंग्रेजी भाषा बेहतर होनी चाहिए ताकि वह पूरे आत्मविश्वास के साथ उस मौके का आनंद ले सकें.


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