भारत के बेहतरीन हरफनमौला खिलाड़ियों में शुमार युवराज सिंह ने सोमवार को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी है. युवराज ने यहां आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वह काफी समय से रिटायरमेंट के बारे में सोच रहे थे और अब उनका प्लान आईसीसी द्वारा मान्यता प्राप्त टी-20 टूर्नामेंट्स में खेलने का है.


युवराज ने अपना अंतिम टेस्ट साल 2012 में खेला था. सीमित ओवरों के क्रिकेट में वह अंतिम बार 2017 में दिखे थे. युवराज ने साल 2000 में पहला वनडे, 2003 में पहला टेस्ट और 2007 में पहला टी-20 मैच खेला था. तो चलिए नजर डालते हैं उनके करियर की वो तीन सबसे बेहतरीन पारियां जिन्हें आजतक फैंस भुला नहीं पाए हैं.



13 जुलाई 2002 नेटवेस्ट सीरीज


क्रिकेट इतिहास में कुछ मैच कुछ पारियां ऐसी होती हैं जिसे क्रिकेट फैंस कभी भुला नहीं सकते. कुछ ऐसा ही नेटवेस्ट सीरीज का फाइनल भी था जिसे साल 2002 में इंग्लैंड और भारत के बीच खेला गया था. इस मैच में सौरव गांगुली के योद्धाओं ने 326 रन के विशाल स्कोर को चेस कर भारतीय क्रिकेट के इतिहास को एक नए रुप का जन्म दिया. इंग्लैंड ने 5 विकेट के नुकसान पर 325 रन बनाए थे जहां भारत को जीत के लिए 326 रनों की जरूरत थी.


भारत के जवाब में गांगुली और विरेंद्र सहवाग ओपनिंग के लिए आए और 106 रनों की बेहतरीन साझेदारी की. गांगुली ने 43 गेंदों में 60 रनों की पारी खेली. लेकिन जब गांगुली आउट हुए तब टीम का स्कोर 106 पर एक विकेट था लेकिन 146 पर 5 विकेट होने में उसे समय नहीं लगा और तेंदुलकर, द्रविड़ और मोंगिया सभी सस्ते में पवेलियन चले गए.



इसके बाद भारत के दो युवा बल्लेबाज मैदान पर आए. नाम था युवराज सिंह और मोहम्मद कैफ. दोनों ने समझदारी से पारी को संभाला और 121 रनों की साझेदारी कर टीम को वापस ट्रैक पर लाए. युवराज ने पहले प्रेशर में खेला और फिर खुलकर खेलने लगे. युवराज ने इस दौरान 63 गेंदों पर 69 रनों की पारी खेली तो वहीं कैफ भी 87 रन बनाकर नॉटआउट रहे. दोनों ने मिलकर ऐसा इतिहास रचा जिसे आजतक कोई भुला नहीं सकता. ये पारी युवराज की सबसे बड़ी पारियों में से एक थी. इस जीत के बाद भारतीय टीम को एक अलग नजरीय से देखा जाने लगा था. एक ऐसी टीम जो निडर होकर खेलती थी. ये वही मैच था जब सौरव ने लॉर्ड्स में अपनी टीशर्ट लहराई थी. यही टीम 2003 वर्ल्ड कप के फाइनल में भी पहुंची थी.


ब्रॉड के एक ही ओवर में 6 छक्के


युवराज सिंह ने अपने 18 साल के लंबे करियर में कई बेहतरीन पारियां खेली हैं. उसी पारी में एक पारी दुनिया ने वर्ल्ड टी20 मैच में देखा जब युवराज ने इंग्लैंड के स्टुअर्ट ब्रॉड के एक ओवर में 6 छक्के जड़ कर इतिहास रच दिया था. ये मैच 19 सितंबर 2007 को खेला गया था.



युवराज ने 19 ओवर में कुल 36 रन बटोरे थे. इस मैच में उन्होंने टी20 इंटरनैशनल में 12 गेंदों पर हाफ सेंचुरी भी लगाई थी जो टी20 इंटरनैशनल का रेकॉर्ड है. यह टी20 इंटरनैशनल में पहला और क्रिकेट में चौथा मौका था जब किसी बल्लेबाज ने एक ओवर की छह गेंदों पर लगातार छह छक्के लगाए हों.


युवराज ने स्टुअर्ट ब्रॉड की पहली गेंद पर मिडविकेट पर छक्का लगाकर अपने अभियान की शुरुआत की. अगले गेंद को स्केअर लेग के ऊपर से फ्लिक किया. ब्रॉड की तीसरी गेंद ऑफ-साइड पर थी युवराज ने एक और छक्का जड़ा. चौथी गेंद कमर तक फुल टॉस थी जिसे युवराज से आसानी से सीमा रेखा के पार भेजा.


पांचवीं गेंद पर ब्रॉड ने ओवर द विकेट आकर गेंद की दिशा और लेंथ बदलने की कोशिश की लेकिन इस बार भी नतीजा नहीं बदला. छठी गेंद पर भी छक्का लगाकर युवराज ने अपना नाम रेकॉर्ड बुक में दर्ज कर लिया.


ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वर्ल्ड कप 2011 की धमाकेदार पारी


क्रिकेट वर्ल्ड कप 2011 को कौन भूल सकता है. वो धोनी का श्रीलंका के खिलाफ हमला बोलना और अंत में छक्का लगाकर अपने बल्ले को हवा में घुमाना. लेकिन इन सबके पीछे युवराज सिंह का बहुत बड़ा हाथ था. अगर भारतीय टीम फाइनल में पहुंची थी तो उसमें युवराज की भी कई बेहतरीन पारियां शामिल थी.


मोटेरा के क्रिकेट स्टेडियम में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच क्रिकेट वर्ल्ड कप 2011 का क्वार्टरफाइनल खेला जा रहा था. भारत 260 के स्कोर को चेस कर रही थी लेकिन तभी 38वें ओवर में भारत के 187 रनों पर 5 विकेट गिर गए. इसके बाद युवराज सिंह और रैना ने जिस तरह टीम इंडिया को संभाला था उसे आज भी कोई नहीं भुला सकता. युवराज 57 रन बनाकर नॉटआउट रहे थे. तो वहीं ब्रेट ली की गेंद पर वो चौका मारने का अंदाज.



उस दौरान युवराज के लिए सबकुछ सही हो रहा था. युवराज ने जीत का चौका लगाया और अंत में घुटनों पर झुक कर अपने बैट के लहराया. मानों ये कह रहे हों 'ये मेरा समय है'. जो ऑस्ट्रेलियाई टीम 1999 के बाद लगातार जीत रही थी उसे युवराज ने रोक कर क्वार्टरफाइनल से बाहर कर दिया था.