भारतीय क्रिकेट टीम की गिनती आज के दौर में दुनिया की सबसे बेहतरीन फील्डिंग टीमों में होती है. टीम में विराट कोहली, रविंद्र जडेजा, केएल राहुल जैसे कमाल के फील्डर हैं. लेकिन एक वक्त था जब टीम इंडिया की फील्डिंग बेहद औसत थी और उसमें बदलाव लाने वाले थे युवराज सिंह और मोहम्मद कैफ. इसके बावजूद युवराज की फील्डिंग को लेकर एक बार उनकी जबरदस्त आलोचना हुई थी, जिसके बाद उन्होंने अपनी फील्डिंग सुधारी थी.
साल 2000 में आईसीसी नॉकआउट टूर्नामेंट से डेब्यू करने वाले युवराज ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने दूसरे ही मैच में एक शानदार कैच और एक बेहतरीन रनआउट कर अपनी फील्डिंग का जलवा दिखाया था, लेकिन युवराज को यहां तक पहुंचाने में उनके पिता योगराज सिंह का बड़ा हाथ था.
क्रिकेट से संन्यास ले चुके युवराज ने अपने पूर्व साथी और फील्डिंग पार्टनर रहे मोहम्मद कैफ के साथ इंस्टाग्राम लाइव के दौरान बताया कि एक बार जूनियर क्रिकेट के दिनों में फील्डिंग को लेकर एक अखबार में उनकी जमकर आलोचना हुई. युवराज ने बताया,
“मेरे पहले रणजी मैच में मैं 15-16 साल का था और मैंने खराब फील्डिंग की. अगले दिन अखबार में आर्टिकल आया, जिसमें लिखा था 'गेटवे ऑफ इंडिया'. मेरे पिताजी ने ये पढ़ा और कहा कि अब मैं देखता हूं कि तू कैसे फील्डिंग नहीं सुधारता. वहां से मैं बेहतर होता चला गया.”
युवराज ने बताया कि उनके पिता और भारतीय टीम के पूर्व तेज गेंदबाज योगराज सिंह रोज उन्हें 30-40 कैच और 120-125 फील्डिंग सेव करवाते थे.
बैकवर्ड प्वाइंट पर युवराज का था जलवा
बैकवर्ड प्वाइंट पर अपनी शानदार फील्डिंग के लिए मशहूर युवराज ने 2002 की चैंपियंस ट्रॉफी में साउथ अफ्रीका के खिलाफ सेमीफाइनल में 2 शानदार कैच लिए थे जिसके बाद भारतीय टीम ने मैच जीत लिया था. वो कैच भारतीय फैंस के जहन में आज भी ताजा हैं.
भारत के लिए 400 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने वाले युवराज ने अपने करियर में लगभग 12 हजार रन बनाए. युवराज के प्रदर्शन के दम पर भारत ने 2007 के पहले टी20 वर्ल्ड कप और 2011 के वनडे वर्ल्ड कप में खिताब हासिल किया था.