भारतीय बैडमिंटन टीम कॉमनवेल्थ खेलों में और मेडल्स जीत सकती थी: पुलेला गोपीचंद
कॉमनवेल्थ खेल 2018 में भारत ने इस साल कुल 66 मेडल जीते. जिसमें 26 गोल्ड 20 सिल्वर और 20 ब्रॉन्ज मेडल रहे.
नई दिल्ली: गोल्ड कोस्ट में चल रहे 21 वें कॉमनवेल्थ खेलों का आज आखिरी दिन था. भारतीय एथलीट्स ने शानदार प्रदर्शन कर भारत की झोली में आज कुल 7 मेडल डाले जिसमें 1 गोल्ड, 4 सिल्वर और दो ब्रॉन्ज मेडल शामिल हैं. कॉमनवेल्थ खेल 2018 में भारत ने इस साल कुल 66 मेडल जीते. जिसमें 26 गोल्ड 20 सिल्वर और 20 ब्रॉन्ज मेडल रहे.
भारतीय बैडमिंटन टीम ने भी शानदार प्रदर्शन किया. लेकिन टीम के कोच पुलेला गोपीचंद ने कहा कि कॉमनवेल्थ खेलों में भारत का आकर्षण टीम स्पर्धा का ऐतिहासिक गोल्ड मेडल रहा. गोपीचंद ने मैचों के कार्यक्रम की आलोचना करते हुए कहा कि, '' मेरा मानना है कि खराब कार्यक्रम की वजह से खिलाड़ी और मेडल्स जीतने से चूक गए.''
भारतीय टीम ने किया शानदार प्रदर्शन
भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ियो ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए टीम स्पर्धा का गोल्ड मेडल भी जीता. भारत ने महिला एकल में स्वर्ण और रजत पदक जीतने के अलावा पुरुष एकल और युगल में रजत तथा महिला युगल में कांस्य पदक भी जीता.
टीम के प्रदर्शन से खुश हूं: गोपीचंद
गोपीचंद ने भारत का अभियान समाप्त होने के बाद कहा, ‘‘कुल मिलाकर अगर आप हमारा प्रदर्शन देखें तो यहां जिस तरह चीजें हुई उससे मैं काफी खुश हूं. टीम ने जहां गोल्ड मेडल जीता तो वहीं मिश्रित टीम स्पर्धा में मलेशिया को हराना शानदार रहा.’’
उन्होंने कहा, ‘‘मेरी नजर में यह टूर्नामेंट अश्विनी के नाम रहा. सात्विक और अश्विनी पदक जीत सकते थे. टीम चैंपियन में उनकी जीत के साथ भारत की 1-0 की बढ़त महत्वपूर्ण थी और श्रीकांत को ली चोंग वेई को हराने का आत्मविश्वास दिया. मुझे लगता है कि यह बड़ी जीत थी. मलेशिया के खिलाफ जीत के लिए उन्हें काफी श्रेय जाता है.’’
आपको बता दें कि भारतीय खिलाड़ियों विशेषकर युगल जोड़ियों को खराब कार्यक्रम के कारण एक ही दिन में एक से अधिक मैच खेलना पड़ा और गोपीचंद इससे खुश नहीं हैं.
हम और पदक जीत सकते थे: गोपीचंद
उन्होंने कहा, ‘‘मैं सिर्फ यही कहूंगा कि अगर हम भाग्यशाली होते और कार्यकम थोड़ा अनुकूल होता तो हम और पदक जीत सकते थे. एचएस प्रणय ने दो करीबी मैच हारा, पहले ली चोंग वेई से और फिर राजीव ओसेफ से और वह इनमें से एक जीत सकता था. मिश्रित युगल में अश्विनी और सात्विक का मुकाबला करीबी था जिसमें हम एक और पदक जीत सकते थे.’’
गोपीचंद ने कहा, ‘‘साइना-सिंधू फाइनल शानदार था. श्रीकांत का रजत पदक और सात्विक-चिराग तथा सिक्की-अश्विनी का पदक भी बेहतरीन था. यह आलराउंड प्रदर्शन था.’’