वाराणसी: 21वें राष्ट्रमंडल खेलों में भारत की महिला वेटलिफ्टर ने उस समय इतिहास रच दिया जब उन्होंने महिलाओं की 69 किलोग्राम वर्ग में भारत को पांचवां गोल्ड मेडल दिलाया. बनारस से सटे दादूपुर गांव की पूनम, एक छोटे किसान की बेटी हैं. गरीबी से लड़ते हुए, पिता कैलाश यादव ने अपने सात बच्चों को पाला पोसा. तो वहीं पूनम के खेल में समर्थन देने के लिए वो अपनी चार भैंस को भी बेच चुके हैं.



सुबह टीवी नहीं देख पाया


पूनम यादव के पिता गुजरात में अपने महाराज के दर्शन के लिए गए हुए थे. पूनम के पिता ने अपने बेटी से पिछले एक हफ्ते से कोई बात नहीं की है.


पिता से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि; '' मालूम था पर सफर के कारण नहीं देख पाया. भगवान हमेशा बेटी के साथ था. मेरी बेटी लड़की नहीं लड़का है. परिवार में सभी लड़का- लड़की बराबार हैं. तीन लड़कियां और दो भतीजियां वेट लिफ्टर हैं. एक बेटा हॉकी में अंडर-14 नेशनल खेल कर आया है. एक 100 मीटर दौड़ता है तो दूसरा 400 मीटर.''


पूनम के लिए पिता बेच चुके हैं चार भैंस 


पूनम के बारे में जब उनके पिता से और पूछा गया तो उन्होंने कहा कि, ''पहले चार भैंसे बेच चुका हूं और फिलहाल घर में एक भैंस और एक गाय है. और सिर्फ दो बीघा जमीन ही बची है जिसमें गेहूं उगाता हूं.''


आपके बता दें कि ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स 2014 में पूनम कांस्य पदक जीत चुकी है तो वहीं इस बार पूनम ने भारत की झोली में पांचवां स्वर्ण पदक डाला.


पूनम के स्वागत की तैयारी


पूनम के पिता से जब बेटी के स्वागत के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि, '' देखिए हम तो गीता का पाठ करते हैं. मंदिर- मस्जिद तो बाहर का है, बस मन शांत होना चाहिए. हमें खुशी है और खुशी हमारे अंदर है. बाहर जो भी होगा उसे देखने के लिए भगवान हैं.'' पूनम के पिता ने आगे कहा कि पिछली बार गांववालों ने खूब स्वागत किया था. लेकिन हमारे यहां सबसे बड़ी समस्या सड़क की है. बच्चे आते- जाते हैं तो गिर जाते हैं. तो वहीं गांव में बिजली भी नहीं रहती. आपको बता दें कि पूनम यादव ने जहां वेटलिफ्टिंग में भारत को पांचवा स्वर्ण पदक दिलाया तो वहीं इससे पहले मीराबाई चानू (48 किलो), संजीता चानू (53 किलो), सतीश शिवलिंगम (77 किलो) और वेंकट राहुल रागाला (85 किलो) में भारत को वेटलिफ्टिंग में चार स्वर्ण पदक दिला चुके हैं. पूनम की मेहनत और उनके पिता के त्याग और सहयोग की वजह से पूनम आज इस मुकाम तक पहुंच सकी हैं. तो वहीं खेल से प्यार करने वालों के जुबान पर आज सिर्फ पूनम यादव का ही नाम है.