Tulika Maan: बचपन में ही पिता को खो चुकी थीं तुलिका, मां से मिले मजबूत हौंसलों ने बर्मिंघम में दिलाया पदक
Commonwealth Games 2022: भारतीय महिला खिलाड़ी तुलिका मान ने जूडो के +78kg भारवर्ग में सिल्वर अपने नाम किया.
Tulika Maan Wins Silver: बर्मिंघम में चल रहे कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 (Commonwealth Games 2022) में बुधवार को भारतीय महिला जूडो खिलाड़ी तुलिका मान (Tulika Maan) ने सिल्वर जीता. उन्होंने +78kg भारवर्ग में यह पदक अपने नाम किया. वह गोल्ड की दावेदार थी लेकिन फाइनल मुकाबले में उन्हें स्कॉटलैंड की सारा एडलिंग्ट से हार का सामना करना पड़ा. हालांकि जिस संघर्ष और परिस्थियों से गुजरते हुए तुलिका ने बर्मिंघम में सिल्वर अपने नाम किया, वह अपने आप में एक मिसाल है.
दरअसल, बचपन में ही तुलिका के पिता सतबीर मान की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. ऐसे में उनकी परवरिश की पूरी जिम्मेदारी अकेले मां अमृता सिंह पर आ गई. अमृता दिल्ली पुलिस में सब-इंस्पेक्टर हैं. अपनी व्यस्त नौकरी के बीच अमृता ने तुलिका की परवरिश में कोई कमी नहीं छोड़ी. वह हमेशा अपनी बेटी के हौसले बुलंद करती रहीं. यही वजह भी रही कि तुलिका ने कॉमनवेल्थ गेम्स में परचम लहराया.
सबसे पहले तो अमृता सिंह ने अपनी बेटी को आत्मरक्षा के लिए जूडो क्लास जॉइन कराई. बाद में तुलिका पर इस खेल का जुनून इस तरह संवार हुआ कि वह पढ़ाई के साथ-साथ स्टेट से लेकर नेशनल और फिर इंटरनेशनल तक एक के बाद कई टूर्नामेंट में पदक जीतने लगीं.
तुलिका मान 2019 में एशियन ओपन में कांस्य पदक अपने नाम किया. इससे पहले 2018 में वह जयपुर में हुई कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप भी जीत चुकी हैं. 2017 में तूलिका ने बुडापेस्ट में पहली बार विश्व चैंपियनशिप में भाग लिया था. 23 वर्षीय तुलिका फिलहाल गोरखपुर के गुरुकुल पीजी कॉलेज में बीए थर्ड ईयर की छात्रा हैं.
जूडो में भारत को अब तक मिले तीन मेडल
बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में तुलिका को मिला पदक जूडो में भारत का तीसरा पदक है. उनसे पहले सुशीला देवी लिकमाबाम और विजय कुमार यादव जूडो में भारत को पदक दिला चुके हैं. कॉमनवेल्थ गेम्स के चौथे दिन सुशीला देवी लिकमाबाम ने जूडो के 48 किलोग्राम भारवर्ग में सिल्वर मेडल जीता था. सुशीला बेहद करीब से गोल्ड चूकीं थीं. वहीं, विजय कुमार यादव ने जूडो में भारत को ब्रॉन्ज मेडल दिलाया था. वह पुरुषों के 60kg वर्ग में क्वार्टर फाइनल में आस्ट्रेलिया के जोशुआ से हार गए थे. इसके बाद रेपचेज मुकाबलों में उन्हें मौका मिला और यहां उन्होंने कांस्य पदक जीता.
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