जब धोनी को देख सचिन ने दादा से कहा- 'इसमें गेंद को मारने का एक अलग ही टैलेंट है'
पहले मैच में निराशा हाथ लगने के बाद धोनी ने वाइजैग में पाकिस्तान के खिलाफ 148 रनों की पारी को खेलकर सबको बता दिया कि इंटरनेशनल क्रिकेट में एक ऐसा बल्लेबाज आया है जिसके लिए सबकुछ मुमकिन है.
टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने पुरानी बातों को याद किया जब धोनी सीनियर्स क्रिकेटर्स के साथ क्रिकेट में शामिल हुए. धोनी की शुरूआत बेहद खराब रही थी और वो बांग्लादेश के खिलाफ चटगांव में 0 पर ही पवेलियन लौट गए थे. वो उस दौरान मोहम्मद कैफ के साथ बल्लेबाजी कर रहे थे. इस सीरीज में धोनी ने 0,12 और 7 रन बनाए थे. लेकिन सचिन ने पहले ही ये भांप लिया था कि इस लड़के में टैलेंट है.
सचिन ने इसके बाद ज्यादा समय नहीं लिया और उन्होंने दादा यानी की सौरव गांगुली को इस बात की जानकारी दी कि इस लड़के में सर्वाधिक लेवल का क्रिकेट खेलने का दाम है.
सचिन ने हिंदुस्तान टाइम्स को दिए गए एक इंटरव्यू में बताया था कि, मैंने जब धोनी को पहली बार देखा तो मैंने सुना था कि वो काफी ताकत से गेंद को मारता है. लेकिन क्या वो ऐसा इंटरनेशनल क्रिकेट में कर पाएगा. बांग्लादेश दौरे के दौरान वो ज्यादा कमाल नहीं कर पाया लेकिन कुछ शॉट्स को देखकर मुझे उसकी काबिलियत का पता चल गया. ऐसे में मैंने दादा से कहा कि, सौरव मुझे लगता है इस लड़के में अलग टैलेंट है.
पहले मैच में निराशा हाथ लगने के बाद धोनी ने वाइजैग में पाकिस्तान के खिलाफ 148 रनों की पारी को खेलकर सबको बता दिया कि इंटरनेशनल क्रिकेट में एक ऐसा बल्लेबाज आया है जिसके लिए सबकुछ मुमकिन है. इसके बाद धोनी ने कभी वापस मुड़कर नहीं देखा और अपने टैलेंट और कप्तानी के दम पर टीम को 2007 टी20, 2011 वर्ल्ड कप और 2013 चैंपियंस ट्रॉफी का चैंपियन बनाया.