Bajrang Punia vs WFI: भारतीय पहलवान और ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया ने गुरुवार (22 दिसंबर) शाम अपना 'पद्मश्री' पुरस्कार लौटाने का ऐलान किया और इसके ठीक बाद वह पीएम मोदी को यह अवॉर्ड लौटाने के लिए निकल भी पड़े. लेकिन वह पीएम आवास पहुंच पाते उससे पहले ही उन्हें दिल्ली पुलिस द्वारा रोक लिया गया. जब वह आगे नहीं बढ़ सके तो वह पद्मश्री को फुटपाथ पर ही रखकर लौट गए.


बजरंग पूनिया ने यौन शोषण के आरोपी और भारतीय कुश्ती महासंघ में अपनी तानाशाही चला रहे बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवानों की शिकायत पर खेल मंत्रालय की अनदेखी के कारण 'पद्मश्री' लौटाने का फैसला किया. उन्होंने इस मामले में पीएम मोदी को एक लंबा चौड़ा पत्र भी लिखा. इस पत्र में उन्होंने अपनी मांगें न सुनी जाने के कारण पद्मश्री पुरस्कार लौटाने की बात कही.






दरअसल, इस साल की शुरुआत से ही भारतीय पहलवानों का एक तबका भारतीय कुश्ती महासंघ में बृजभूषण शरण सिंह की चल रही मनमानी और तानाशाही को लेकर विराध कर रहा है. बृजभूषण पर महिला पहलवानों का यौन शोषण करने का भी आरोप है. बृजभूषण शरण सिंह बीजेपी सांसद हैं और लंबे अरसे से भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष रहे हैं.


पहलवानों के लंबे आंदोलन के बाद उन्हें हाल ही में अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ा था. हालांकि जो नए अध्यक्ष बनाए गए हैं, वह भी बृजभूषण खेमे के ही हैं. ऐसे में पहलवानों का पिछले 11 महीने से चल रहा आंदोलन पूरी तरह बेअसर रह गया है. यही कारण रहा कि बजरंग पूनिया अपना पदक लौटाने के लिए निकल पड़े थे.













गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा महिला पहलवानों की शिकायतों पर ध्यान नहीं देने के बाद बीते दिन भारत की ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक ने भी कुश्ती छोड़ने का ऐलान किया था. बता दें कि बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ इस आंदोलन का नेतृत्व बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट कर रहे थे. जनवरी से चल रहे इस विरोध प्रदर्शन में अब तक बहुत कुछ घटा है.


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