FIFA World Cup 2022: फीफा विश्वकप 2022 का आगाज हो चुका है और इसका रोमांच हर मैच के साथ बढ़ता ही जा रहा है. इस बार कई उलटफेर देखने को मिले हैं. जहां सऊदी अरब ने अर्जेंटीना को हरा दिया, वहीं जापान ने जर्मनी को मात दी. फीफा विश्वकप का खुमार पूरे विश्व पर छा जाता है. यह टूर्नामेंट जितना रोमांचक रहा है, उतना ही विवादों से भी भरा रहा है. फीफा विश्वकप में कई बार ऐसा हुआ जब टीमों ने विरोध प्रदर्शन किया. इसमें ब्राजील से लेकर उरुग्वे तक कई टीमें शामिल हैं.
उरुग्वे ने विश्वकप 1934 में टूर्नामेंट का बायकॉट कर दिया था. इसका आयोजन इटली में किया गया था. द स्पोर्ट बाइबिल वेबसाइट के मुताबिक उरुग्वे ने 1934 में बायकॉट किया था. 1930 में अपने घरेलू प्रतियोगिता के लिए यात्रा करने वाले यूरोपीय प्रतिस्पर्धियों की कमी से देश परेशान था, इसलिए उसने यूरोप की यात्रा करने से इनकार कर दिया. यह एकमात्र मौका है जब किसी विश्व कप विजेता ने बाद के टूर्नामेंट में भाग नहीं लिया है.
ब्राजील में 2014 में 'फीफा गो होम' के नाम से लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया था. इसको लेकर ब्राजील के कई शहरों में प्रदर्शन किया गया. प्रदर्शनकारियों ने कहा था कि वे इस बात से नाराज हैं कि सामाजिक परियोजनाओं और आवास के बजाय फुटबॉल टूर्नामेंटों पर अरबों डॉलर खर्च किए जा रहे हैं.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के मुताबिक अर्जेंटीना में आयोजित हुए 1978 के संस्करण पर ऑन-फील्ड और ऑफ-फील्ड दोनों घटनाओं का प्रभाव पड़ा. देश 1976 में एक सैन्य तख्तापलट से गुजर रहा था और अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जनरल जॉर्ज राफेल विडेला के सैन्य ताकत का इस्तेमाल करते हुए अपने देश में राष्ट्रवादी गौरव की भावना जगाने के लिए टूर्नामेंट का इस्तेमाल किया. डच टीम ने अर्जेंटीना और नीदरलैंड के बीच बड़े आयोजन के फाइनल के दौरान मैच के बाद के जश्न की अवहेलना की थी.
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