नई दिल्ली: 'रुस्तम-ए-हिंद' के नाम से फेमस गामा पहलवान एक दिन में 5000 बैठक और 1000 से ज्यादा पुशअप लगाने के लिए जाने जाते थे. वह दुनिया में कभी किसी भी पहलवान से नहीं हारे. उनके चेहरे पर गजब का तेज था. इनके बचपन का नाम ग़ुलाम मुहम्मद था और इन्होंने महज 10 साल की उम्र में ही पहलवानी शुरू कर दी थी. गामा का जन्म 22 मई 1878 को अमृतसर में हुआ था. गामा अपने 52 वर्ष के करियर में कभी कोई मुकाबला नहीं हारे.


गामा शरीर के साथ जितनी मेहनत करते थे उनकी डाइट भी वैसी ही थी. जिसे पचाना आम इंसान के बस से बाहर है. गामा डाइट में 6 देसी चिकन, 10 लीटर दूध, आधा किलो घी और बादाम का शरबत और 100 रोटी लेते थे. गामा के पिता मुहम्मद अजीज बख्श भी पहलवान थे. एक वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक गामा ने पत्थर के डम्बल से अपनी बॉडी बनाई थी. फेमस मार्शल आर्टिस्ट ब्रूस ली भी गामा से बेहद प्रभावित थे.


भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय ही गामा पहलवान अपने परिवार के साथ लाहौर चले गए थे. गामा पहलवान ने कुश्ती की शुरुआती बारीकियां मशहूर पहलवान माधो सिंह से सीखीं. इसके बाद उन्हें दतिया के महाराजा भवानी सिंह ने पहलवानी करने की सुविधाएं दी. जिससे उनकी पहलवानी में गजब का निखार आ गया.



साल 1888 में जब जोधपुर में फेमस पहलवानों को बुलाया गया. इस लिस्ट में गामा पहलवान का नाम भी शामिल था. लगभग 450 पहलवानों के बीच गामा पहलवान टॉप 15 में आए थे. गामा के शानदार प्रदर्शन से उस वक्त हर कोई हैरान रह गया था. इतना ही नहीं जोधपुर के महाराज ने उस प्रतियोगिता का विनर उन्हें ही घोषित किया था.


5 फुट 7 इंच के हाइट वाले गामा पहलवान ने उस दौर में विश्व के लगभग हर लंबे पहलवान को धूल चटाई थी. रहीमबख्श सुल्तानीवाला पहलवान को मात देने के बाद गामा पहलवान का नाम भारत ही नहीं बल्कि विश्व भर में फेमस हो गया था. बताया जाता है कि कुछ विदेशी पहलवान तो उन्हें देखकर मैदान छोड़कर भाग जाया करते थे. गामा पहलवान की मृत्यु 23 मई 1960 को लाहौर पाकिस्तान में हुई. वे लंबे वक्त से बीमार थे. उनकी बीमारी का सारा खर्चा पाकिस्तान सरकार ने उठाया था.


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