नई दिल्ली: अनुभवी सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर को दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) की प्रबंध समिति में सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर शामिल करना हितों के टकराव का मुद्दा बन गया है.

गंभीर ने कल ट्विटर से इसकी घोषणा करते हुये कहा था कि उन्हें डीडीसीए की प्रबंध समिति में शामिल किया गया है और इसके लिये उन्होंने खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ का शुक्रिया भी किया था.

हालांकि गंभीर दिल्ली के लिये प्रथम श्रेणी के मैच खेलते है और अगर वह क्रिकेट से संन्यास लेने से पहले इस नीति निर्धारण इकाई का हिस्सा बनते हैं तो यह मामला लोढा समिति की सिफारिशों के मुताबिक हितों के टकराव के तहत आयेगा.

डीडीसीए की यह प्रबंध समिति जब कोच और टीम का चयन करेगी तो अगर गंभीर क्रिकेटर के तौर पर सक्रिय रहते हैं तो उन्हें सीधे फायदा हो सकता है.

दिलचस्प बात यह है कि उच्च न्यायालय द्वारा डीडीसीए के नियुक्त प्रशासक न्यायाधीश (सेवानिवृत्त्) विक्रमजीत सेन ने कहा कि मौजूदा व्यवस्था में किसी प्रबंध समिति के अस्तित्व के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है.

उन्होंने आज पीटीआई से कहा,‘‘गंभीर की नियुक्ति को लेकर मुझे सरकार से कोई अधिसूचना नहीं मिली है. किसी प्रबंध समिति के अस्तित्व में होने का मुझे पता नहीं. मैं इस मामले में ज्यादा जानकारी के लिये खेल मंत्रालय को लिखूंगा.’’

उन्होंने कहा,‘‘गंभीर सक्रिय क्रिकेटर है इसलिये मैं इस बात को लेकर पूरी तरह सुनिश्चित नहीं हूं कि लोढा समिति की सिफारिशों उन्हें किसी तरह का प्रशासनिक पद लेने की अनुमति देगी या नहीं.’’ यह भी पता चला है कि अदालत द्वारा नियुक्त प्रशासक की नियुक्ति के बाद डीडीसीए में इस तरह की कोई प्रबंध समिति नहीं है. किसी को नहीं पता कौन इस समिति के सदस्य हैं.

गंभीर के एक करीबी दोस्त ने कहा कि अगर हितों के टकराव का मुद्दा खड़ा होता है तो वह इस पद को नहीं लेंगे.

उन्होंने कहा,‘‘गंभीर का फिलहाल संन्यास लेने का कोई इरादा नहीं है, वह क्रिकेट खेलना जारी रखेंगे. अगर हितों में टकराव का मुद्दा होता है तो वह इस पद को नहीं लेंगे.’’

गंभीर ने भारत के लिये 58 टेस्ट, 147 वनडे और 37 टी20 मैच खेले हैं. साल की शुरुआत में गंभीर को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट मैच के लिए टीम में चुना गया था लेकिन वापसी के बाद एक फिर उन्हें टीम से बाहर कर दिय गया.

बल्लेबाजी पर ध्यान देने के लिए गंभीर ने रणजी सीजन 2017-18 के शुरु होने से पहले दिल्ली की कप्तानी छोड़ दी थी.