नई दिल्ली: हनुमा विहारी ने शानदार तरीके से अपनी जगह टीम इंडिया में बना ली है और इसका पूरा श्रेय उनके प्रदर्शन को जाता है. विहारी ने अपना डेब्यू साल 2018 में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैच में किया था. वो अपने काबिलियत के दम पर काफी आगे तक आए. लेकिन विहारी का यहां तक का सफर संघर्ष से भरा है.


आंध्र का ये बल्लेबाज बचपन से ही क्रिकेट खेलता था. विहारी जब 12 साल के थे तब उनके पिता सत्यनारायणा का निधन हो गया था. लेकिन विहारी की मां ने हार नहीं माना और अपने बेटे के सपने को पूरा करने में जुट गई.


विहारी ने एक इंटरव्यू में बताया है कि उनकी मां काफी निडर हैं. यही उनकी पहचान है. वहीं उनकी मां ने कहा कि जब विहारी के पिता गुजर गए थे तब विहारी को अंडर 13 क्रिकेट खेला करता था. इस दौरान मुझे पता चला कि अगर मैं इसे और अभ्यास करवाऊं तो ये और बेहतरीन क्रिकेटर बन सकता है. इसके बाद उन्होंने विहारी के लिए क्रिकेट पिच बनावाया. इसके पीछे जो पैसा लगा वो पिता के निधन के बाद जो कंपनी से पैसे मिले थे वो ही थे.


विहारी की मां विजयलक्ष्मी ने कहा कि विहारी को तैयार करने में उन्हें कभी ऐसा नहीं लगा कि वो संघर्ष कर रहीं हैं. इसके बाद हनुमा ने उस पिच पर अभ्यास किया और अंत में वो अंडर 13 क्रिकेट टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज बने थे. ऐसे में उनकी माता का कहना है कि आज विहारी जो भी हैं अपनी मेहनत से हैं.