नई दिल्ली: कहते हैं कि इतिहास खुद को दोहराता है. 34 साल बाद एक बार फिर हकीकत की जमीन पर ये साबित हुआ. लंदन में हो रहे महिला क्रिकेट विश्व कप के सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हरमनप्रीत कौर ने 171 रनों की नाबाद पारी खेली, 34 साल पहले 1983 के विश्व कप में जिम्बाब्वे के खिलाफ कप्तान कपिल देव ने भी नाबाद 175 रनों की ही एतिहासिक पारी खेली थी. 

साल 1983 में जब भारतीय टीम ने पहला विश्वकप खिताब जीता था. तब कपिल की वो पारी भी विश्व कप के खिताबी दौड़ में बने रहे के लिए बेहद जरूरी थी, हरमनप्रीत की पारी की बदौलत महिला टीम अब खिताब से एक कदम दूर है.

हरमनप्रीत ने महज़ 115 गेंदों पर 171 रन बनाए. जिसमें उन्होंने 7 छक्के और 20 चौके लगाए. इस दौरान उनका स्ट्राइक रेट 148.69 का रहा. वहीं कपिल ने जो पारी खेली थी उसमें उन्होंने 138 गेंदों पर 175 रन बनाए थे. इसके साथ ही दोनों के बल्ले से ये पारी लॉर्ड्स के मैदान पर ही निकली.

लेकिन वो दौर भी भारतीय पुरूष क्रिकेट का ऐसा दौरा था जब टीम इंडिया खुद को पहचान बनाने के लिए लड़ रही थी. अब महिला टीम के साथ भी कुछ ऐसा ही है. महिला क्रिकेट टीम को अगर अपनी पहचान बनानी है तो उसे ये विश्वकप खिताब जीतना होगा. जिससे भारतीय महिला क्रिकेट, विश्व क्रिकेट में एक अलग मकाम पर पहुंच जाएगा.

1983 विश्वकप में कपिल देव की उस पारी से भारतीय टीम में एक भरोसा जगा कि टीम विश्वकप में अच्छा कर सकती है, और हुआ भी कुछ ऐसा ही कि टीम इंडिया ने विश्वकप फाइनल में वेस्टइंडीज़ को हराकर खिताब पर अपना कब्ज़ा जमाया.

अब ऐसी ही कुछ उम्मीद महिला टीम इंडिया के साथ भी है. साल 2005 में विश्वकप खिताब जीतने से चूकी टीम इंडिया. इस बार वो गलती दोहराना नहीं चाहेगी. फाइनल में भारतीय टीम की टक्कर इंग्लैंड के साथ है और इस बार जीत के साथ भारतीय महिला खिलाड़ी पूरे देश को ये बताना चाहेंगी कि 'म्हारी छोरियां,छोरो से कम ना हैं'