नई दिल्ली: हरियाणा सरकार ने शुक्रवार अपने राज्य के सभी खिलाड़ियों से पेशेवर समारोह से मिलने वाली पुरस्कार राशि और विज्ञापनों से मिलने वाले पैसों का एक-तिहाई हिस्सा देने की बात कही है. इस ऐलान के बाद एथलीट सरकार की कड़ी निंदा कर रहे हैं.
खेल एवं युवा विभाग के प्रमुख सचिव अशोक खेमका ने कहा, ‘‘खिलाड़ियों की पेशेवर खेलों या व्यवसायिक विज्ञापनों से होने वाली कमाई का एक तिहाई हिस्सा हरियाणा राज्य खेल परिषद में जमा किया जायेगा. इस राशि का इस्तेमाल राज्य में खेलों के विकास के लिये किया जायेगा.’’
हालांकि यह सूचना अभी सरकारी वेबसाइट पर नहीं आयी है. इसमें कहा गया है, ‘‘अगर खिलाड़ी को संबंधित अधिकारी की पूर्व अनुमति के बाद पेशेवर खेलों या व्यवसायिक प्रतिबद्धताओं में भाग लेते हुए ड्यूटी पर कार्यरत समझा जाता है तो इस हालत में खिलाड़ी की पूरी आय हरियाणा राज्य खेल परिषद के खाते में जमा की जायेगी.’’
खिलाड़ियों ने की आलोचना
इस कदम की कई खिलाड़ियों ने आलोचना की है और साथ ही उन्होंने राज्य सरकार को भी फटकार लगाई है. भारत की महिला कुश्ती पहलवान गीता फोगाट ने एक टेलीविजन चैनल को दिए बयान में कहा, “यह नया नियम खिलाड़ियों का मजाक बना रहा है. क्रिकेट खिलाड़ियों के लिए तो ऐसा कोई नियम नहीं है, जो अन्य खेलों में हिस्सा लेने वाले खिलाड़ियों से अधिक कमाते हैं. क्रिकेट खिलाड़ी विज्ञापनों से बहुत पैसा कमाते हैं, लेकिन मुक्केबाजी, कबड्डी और कुश्ती के खिलाड़ी इतना नहीं कमाते हैं.”
आपको बता दें कि राज्य सरकार में विभिन्न विभागों से कार्यरत एथलीट जैसे स्टार मुक्केबाज विजेंदर सिंह और अखिल कुमार (दोनों राज्य पुलिस में डीएसपी हैं, पूर्व हाकी कप्तान सरदार सिंह तथा पहलवान गीता और बबीता फोगाट शामिल हैं. सरदार, गीता और बबीता भी हरियाणा पुलिस में कार्यरत हैं.
हम गरीब परिवार से आते हैं: सुशील कुमार
रेलवे खेल संवर्धन बोर्ड से जुड़े दोहरे ओलंपिक पदकधारी पहलवान सुशील कुमार ने कहा, ‘‘मैंने अभी तक यह अधिसूचना नहीं देखी है, मुझे यह सिर्फ मीडिया रिपोर्टों से ही पता चल रहा है. मैं सिर्फ यही कह सकता हूं कि ओलंपिक खेलों में भाग ले रहे एथलीट पहले ही गरीब परिवारों से आते हैं. ’’ उन्होंने कहा, ‘‘सरकार को ऐसी नीतियां बनानी चाहिए जिससे एथलीट को प्ररेणा मिले. मैंने दुनिया में कहीं भी ऐसी नीति के बारे में नहीं सुना है. खिलाड़ियों को बिना किसी तनाव के टूर्नामेंट में खेलना चाहिए. ’’
राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान विवादों में थी सरकार
हरियाणा सरकार पहले भी विवाद में फंस गयी थी जब उसने राष्ट्रमंडल खेलों में राज्य के पदक विजेताओं की ईनामी राशि घटाने का फैसला किया था.
वहीं 26 अप्रैल को पुरस्कार वितरण समारोह कार्यक्रम को भी अनिश्चितकाल के लिये रद्द करना पड़ा क्योंकि खिलाड़ियों ने इसके बहिष्कार की धमकी दी थी.