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Hockey World cup 2018: खिताब जीतकर 43 साल का सूखा खत्म करने पर होगी टीम इंडिया की नजर

टीम इंडिया विश्व कप का खिताब जीतकर खिताबी जीत का 43 साल का सूखा समाप्त करते हुए साल का समापन करना चाहेगी.

भुवनेश्वर: इस साल भारतीय हॉकी टीम की किस्मत ने उसका अधिक साथ नहीं दिया और इसी कारण बड़े टूर्नामेंटों में उसे बड़ी सफलता हाथ नहीं लगी. ऐसे में मुख्य कोच हरेंद्र सिंह की भारतीय टीम विश्व कप का खिताब जीतकर खिताबी जीत का 43 साल का सूखा समाप्त करते हुए साल का समापन करना चाहेगी. हालांकि, भारतीय टीम के लिए अपने इस लक्ष्य को हासिल करना बिल्कुल भी आसान नहीं होगा.

भारत की खिताबी राह में आस्ट्रेलिया, अर्जेटीना, नीदरलैंड्स, जर्मनी और पाकिस्तान जैसी टीमें सबसे बड़ी परेशानी बनकर खड़ी होंगी. इन सभी टीमों ने एक से अधिक बार विश्व चैम्पियन बनने का गौरव हासिल किया है.

पाकिस्तान ने सबसे अधिक बार खिताबी जीत हासिल की है. वह चार बार विश्व चैम्पियन बना है और भारतीय टीम का चिर प्रतिद्वंद्वी भी है. इसके अलावा, नीदरलैंड्स और आस्ट्रेलिया ने तीन-तीन बार खिताब जीते हैं. जर्मनी दो बार विश्व चैम्पियन रहा है। आस्ट्रेलिया टूर्नामेंट का मौजूदा विजेता रहा है.

भारतीय टीम ने केवल एक बार इस खिताब को जीतने का गौरव प्राप्त किया है. भारत ने 1975 में पाकिस्तान को रोमांचक मुकाबले में 2-1 से हराकर विश्व कप जीता. इस मैच में सुरजीत और हॉकी के दिग्गज मेजर ध्यान चंद के बेटे अशोक कुमार ने गोल किया था. हालांकि, भारत के विश्व कप जीतने का लक्ष्य अधिकतम रूप से उसके इस साल दिए गए प्रदर्शन पर निर्भर करता है, जो खास फलदायी नहीं है. राष्ट्रमंडल खेलों से शुरुआत करें, तो भारत को खाली हाथ लौटना पड़ा था. कांस्य पदक के मैच में उसे इंग्लैंड से हार मिली थी.

इसके बाद, एशियाई चैम्पियंस ट्रॉफी में भारतीय टीम फाइनल तक पहुंची. चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ खिताबी मैच बारिश के कारण धुल गया और इससे दोनों टीमों को संयुक्त रूप से विजेता घोषित कर दिया गया.

सुल्तान ऑफ जोहोर कप में भी भारतीय टीम को हार मिली. फाइनल में उसे ब्रिटेन से 3-2 से हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद एशियाई खेलों में उसके स्वर्ण पदक के लक्ष्य में भी निराशा हाथ लगी. उसे कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा.

भारतीय टीम का यह साल भले ही अधिक फलदायी न रहा हो, लेकिन वह विश्व कप का खिताब जीतकर अच्छे रूप में साल का समापन करना चाहेगी और इसके लिए टीम पूरी तरह से तैयार है.

हॉकी विश्व कप में भारतीय टीम का पहला मुकाबला ग्रुप-सी में दक्षिण अफ्रीका से होगा. इस पर टीम के उप-कप्तान चिंग्लेसाना ने कहा, "पिछले तीन माह विशेष रूप से प्रशिक्षण के साथ हमारे लिए बेहद चुनौतीपूर्ण रहे, क्योंकि ओडिशा हॉकी विश्व कप के लिए हमारा प्रदर्शन बेहतरीन होना जरूरी है."

मुख्य कोच हरेंद्र सिंह ने कहा, "मेरा मानना है कि एशियन चैम्पियंस ट्रॉफी के लिए 18 सदस्यीय टीम में युवा और अनुभवी खिलाड़ियों का बेहतरीन मिश्रण है. इस टूनार्मेंट के जरिए हमें ओडिशा हॉकी विश्व कप के लिए अच्छे खिलाड़ियों के चयन हेतु आखिरी मौका मिला है. इसमें सबसे अहम बात यह है कि हम अपनी योजनाओं पर टिके रहें, ताकि 18वें एशियाई खेलों की बुरी यादों को हम भूलते हुए नई शुरूआत कर सकें."

अपने पेशवर करियर में तीसरी बार विश्व कप टूर्नामेंट का हिस्सा बनने जा रहे अनुभवी खिलाड़ी पी.आर. श्रीजेश का कहना है कि उनकी नजर क्वार्टर फाइनल पर है और बाकी टीमों के अच्छे प्रदर्शन और किस्मत पर निर्भर करता है.

ओडिशा के कलिंगा स्टेडियम में 28 नवम्बर से शुरू होने वाले इस टूर्नामेंट के लिए भारतीय टीम को पूल-सी में बेल्जियम, कनाडा और दक्षिण अफ्रीका के साथ शामिल किया गया है. इसका समापन 16 दिसम्बर को होगा.

भारतीय टीम :

गोलकीपर :- पी.आर.श्रीजेश, कृष्णन बहादुर पाठक

डिफेंडर :- हरमनप्रीत सिंह, गुरिंदर सिंह, वरुण कुमार, कोथाजीत सिंह, सुरेंद्र कुमार, जर्मनप्रीत सिंह, हार्दिक सिंह

मिडफील्डर :- मनप्रीत सिंह (कप्तान), सुमित, नीलकंठ शर्मा, ललित कुमार उपाध्याय, चिंग्लेसाना सिंह

फारवर्ड :- आकाशदीप सिंह, गुरजंत सिंह, मनदीप सिंह और दिलप्रीत सिंह

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