Dhyan Chand: हॉकी के जादूगर ध्यानचंद ने बर्लिन ओलंपिक में कायम की थी मिसाल, तानाशाह हिटलर को झुकने पर किया था मजबूर
Berlin Olympics 1936: बर्लिन ओलंपिक 1936 को इतिहास में कई मायनों में याद किया जाता है. इस ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने मैदान पर जर्मनी को धूल चटा दी थी. इसने हिटलर को भी झुकने पर मजबूर कर दिया था.
Berlin Olympics 1936 Dhyan Chand Met Hitler: 1936 के बर्लिन ओलंपिक में जर्मनी खुद को दुनिया का सबसे ताकतवर देश दिखाना चाहता था. हॉकी में उसने भारतीय टीम को प्रैक्टिस मैच में 4-1 से हरा दिया था. इससे दो बार के ओलंपिक चैंपियन भारत को बड़ा झटका लगा. टीम ने तुरंत दिल्ली से कप्तान अली इकतीदार शाह को बुलाया, जिन्हें अंग्रेज अफसर ने छुट्टी नहीं दी थी.
ध्यानचंद और अली इकतीदार दोनों पंजाब रेजिमेंट में थे. ध्यानचंद उस वक्त नायक थे. अली इकबाल को दिल्ली से हवाई जहाज से बर्लिन लाया गया. 15 अगस्त, 1936 को भारत और जर्मनी की टीमें फाइनल में आमने-सामने थीं. स्टैंड में हिटलर भी मौजूद थे.
पहले हाफ में भारतीय टीम जर्मन डिफेंस को नहीं तोड़ पाई. एक रैली में ध्यानचंद को गोलकीपर ने चोट लगा दी. वो गिर पड़े और उन्हें बाहर ले जाना पड़ा. इसी बीच जर्मनी ने गोल कर दिया. हाफ टाइम पर जर्मनी 1-0 से आगे था.
ध्यानचंद के कुछ दांत टूट गए थे लेकिन वो वापस मैदान पर आए. उन्होंने जूते की जगह रबर के सोल वाले अपने पुराने जूते पहन लिए. खेल फिर शुरू हुआ. भारतीय कप्तान ने जादुई खेल दिखाया और तीन गोल दाग दिए. हिटलर बीच में ही मैच छोड़कर चले गए. फाइनल स्कोर भारत 8, जर्मनी 1 रहा.
शाम को एक जर्मन अफसर ध्यानचंद को हिटलर से मिलाने ले गया. हिटलर ने ध्यानचंद को ऊपर से नीचे तक देखा. हिटलर बोले- "आप वो जादूगर हैं जिसने आज का खेल पलट दिया. आपकी टीम शानदार खेली. मुझे पता चला है आपको चोट लगी थी. अब आप कैसे हैं?"
ध्यानचंद ने कहा- "शुक्रिया, मैं ठीक हूं. बस एक दांत जर्मनी में छोड़ आया हूं. हम आपकी मेहमानवाजी के लिए शुक्रगुजार हैं."
हिटलर मुस्कुराए और बोले- "हॉकी नहीं खेलते तो क्या करते हो?"
ध्यानचंद ने कहा- "मैं भारतीय सेना में हूं."
हिटलर- "कौन सी रैंक है?"
ध्यानचंद- "नायक साहब."
हिटलर- "नायक! मैं भी अपने जवानों में नायक रहा हूं. आप बहुत काबिल हैं. मुझे यकीन नहीं होता कि अंग्रेज आपकी कद्र नहीं करते. आप जर्मन सेना में ऑफिसर बन जाइए. आप जानते हैं कैसे जीत हासिल की जाती है."
वहां सन्नाटा छा गया. सबकी नजरें ध्यानचंद पर थीं. ध्यानचंद ने कहा- "मैं आपके ऑफर के लिए सम्मानित हूं लेकिन मैं एक भारतीय हूं और भारत मेरा घर है. मैं अपने लोगों के बीच एक साधारण नायक रहना पसंद करूंगा."
हिटलर ने सिर हिलाया और आगे बढ़ गए.
1936 ओलंपिक भारतीय हॉकी टीम: ध्यानचंद (कप्तान), रिचर्ड एलेन, अली इकतीदार शाह दारा, लियोनेल सी. एम्मेट, पीटर पॉल फर्नांडीस, जोसेफ डी.टी. गैलीबार्डी, अर्नेस्ट जॉन गुडसर-कुलेन, मोहम्मद हुसैन, सैयद मोहम्मद जाफर, अहमद शेर खान, अहसान मो. खान, मिर्ज़ा नासिर-उद-दीन मसूद, सिरिल जेम्स मिक्सी, बाबू नरसू निमल, जोसेफ फिलिप्स, शब्बन शहाब-उद-दीन, गुरचरण सिंह गरेवाल, रूप सिंह, कार्लाइल कैरोल टैपसेल.