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क्यों बार-बार टलती गई चुनाव की तारीख, भारतीय कुश्ती संघ की सदस्यता रद्द होने का पहलवानों पर क्या होगा असर?

भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह का कार्यकाल खत्म होने के बाद संघ को 45 दिनों के अंदर चुनाव कराने थे, लेकिन यह चुनाव समय पर संपन्न नहीं हो सका.

24 अगस्त को एक ऐसी खबर सामने आई जिसने देश के सभी भारतीय पहलवानों को निराश कर दिया. दरअसल यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (विश्व कुश्ती संघ) ने भारतीय कुश्ती संघ की सदस्यता को अस्थाई रूप से निलंबित कर दिया है. 

ऐसा फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह का कार्यकाल खत्म होने के बाद संघ को 45 दिनों के अंदर चुनाव कराने थे, लेकिन यह चुनाव समय पर संपन्न नहीं हो सका जिसके कारण विश्व कुश्ती संघ को भारतीय कुश्ती संघ की सदस्यता को समाप्त करनी पड़ी.

बता दें कि ऐसा पहली बार हुआ है जब विश्व कुश्ती संघ ने भारतीय कुश्ती संघ की सदस्यता को निलंबित किया है. इस फैसले का नुकसान न जाने कितने खिलाड़ियों को चुकाना होगा. ऐसे में सवाल उठता है कि इस संघ की सदस्यता को निलंबित किए जाने का भारतीय पहलवानों पर क्या असर पड़ेगा और समय पर चुनाव नहीं करा पाने के पीछे क्या वजह है? 

भारतीय कुश्ती संघ में कब और क्यों होते हैं चुनाव 

भारतीय कुश्ती संघ के संविधान के अनुसार इस संघ के अध्यक्ष के लिए हर चार साल पर वोटिंग कराई जाती है. कोई भी एक व्यक्ति 12 साल से ज़्यादा समय तक अध्यक्ष पद पर नहीं रह सकता है. जिसका मतलब है कि एक व्यक्ति तीन कार्यकाल तक ही भारतीय कुश्ती संघ का अध्यक्ष रह सकता है. 

बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह को भी इस नियम के तहत पद छोड़ना पड़ा. वह पिछले 12 सालों से भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष रह चुके थे. नियमों के अनुसार अब बृजभूषण चुनाव में खड़े भी नहीं हो सकते हैं.

क्यों हुई चुनाव में देरी 

दरअसल भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह का कार्यकाल खत्म होने ही वाला था कि उन पर महिला पहलवानों के यौन शोषण का आरोप लगाया गया. उनके इस्तीफे को लेकर पहलवानों ने महीनों तक जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन किया, लेकिन इन सब के बाद भी उन्होंने अपने पद से इस्तीफ़ा नहीं दिया.

इसके बाद उनके कार्यकाल के खत्म होने के बाद कुश्ती संघ में चुनाव कराने के कई प्रयास किए गए. सुप्रीम कोर्ट ने कई बार चुनाव की तारीखें भी तय की, लेकिन अलग-अलग हाईकोर्ट में अलग-अलग राज्य के कुश्ती संघों की याचिका के आधार पर अध्यक्ष के चुनाव में रोक लगते रहे और देखते ही देखते 45 दिनों का समय निकल गया.

अब समझते हैं अलग अलग हाईकोर्ट ने चुनाव पर क्यों लगाई रोक 

अध्यक्ष के चुनाव में कुश्ती महासंघ की राज्य और केंद्र शासित इकाइयों के दो सदस्यों को वोट करने का हक होता है. एड-हॉक कमेटी ने 11 जुलाई की तारीख तय की थी, इसी दिन चुनाव होने थे लेकिन इसके खिलाफ असम कुश्ती संघ गुवाहाटी हाई कोर्ट पहुंच गया.

असम कुश्ती संघ ने याचिका में कहा कि उन्हें भी भारतीय कुश्ती संघ का सदस्य होने का हक है और उनके संघ के भी दो सदस्यों को वोट देने का अधिकार मिलना चाहिए. हाई कोर्ट ने असम कुश्ती संघ की याचिका पर सुनवाई करते हुए 11 जुलाई को होने वाले चुनाव पर रोक लगा दी.  हालांकि इस रोक को सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया. कुछ दिन बाद ही असम को चुनावों में शामिल कर लिया गया. असम के शामिल होने के बाद  वोट करने वालों की लिस्ट में 25 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के कुल 50 सदस्य शामिल हैं.

अब जैसे ही असम का मामला सुलझा कमेटी ने अध्यक्ष के चुनाव के लिए 12 अगस्त की तारीख तय कर दी, लेकिन इस बार चुनाव से पहले  हरियाणा में दो कुश्ती संघ आपस में भिड़ गए और पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट पहुंच गए.‘हरियाणा एमेच्योर कुश्ती’ ने याचिका दायर करते हुए कहा कि अध्यक्ष के चुनाव में ‘हरियाणा कुश्ती संघ’ की जगह उनके दो सदस्यों को वोटिंग का अधिकार मिलना चाहिए. अब इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष के चुनाव पर 28 अगस्त तक रोक लगा दी.

संघ के निलंबन से पहलवानों का कितना नुकसान 

विश्व कुश्ती संघ के अनुसार भारतीय कुश्ती संघ को चुनाव संपन्न करवाने के लिए तीन जुलाई को चेतावनी दी गई थी, लेकिन इसके बाद भी संघ में चुनाव नहीं हुए.

विश्व कुश्ती संघ का कहना है कि इस निलंबन से भारतीय पहलवानों को नुकसान ये होगा कि अब भारतीय पहलवानों को विश्व चैंपियनशिप में उसके ही झंडे के नीचे खेलना होगा और भारतीय कुश्ती संघ के सदस्य उसके कार्यक्रमों में हिस्सा नहीं ले पाएंगे.

बीबीसी की एक रिपोर्ट में खेल पत्रकार आदेश कुमार गुप्त इसी सवाल का जवाब देते हुए कहते हैं, “ऐसी परंपरा रही है कि जब पहलवान गोल्ड मेडल जीतते है तो उसके देश का राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है और राष्ट्रगान बजाया जाता है. लेकिन इस बार विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में ऐसा नहीं दिखाई देगा.”

उन्होंने आगे कहा कि इतना ही नहीं बल्कि पेरिस ओलंपिक, 2024 में मेडल जीतने वाले भारतीय पहलवानों को सीधी एंट्री भी नहीं मिलेगी, क्योंकि यह विश्व चैंपियनशिप पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाइंग प्रतियोगिता भी होगी. इसमें हर देश के लिए एक निश्चित कोटा है, क्योंकि भारतीय खिलाड़ी भारत के झंडे तले नहीं खेलेंगे तो उन्हें इसका फायदा भी नहीं मिलेगा.”

बृजभूषण सिंह और पहलवान आमने-सामने

भारतीय कुश्ती संघ की सदस्यता को निलंबित करने के फैसले से पहलवान नाराज हैं और उन्होंने कुश्ती संघ के पूर्व प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह को इसका दोषी ठहराया है. 

विश्व चैम्पियनशिप के दो बार की चैंपियन विनेश फोगाट ने बीते शनिवार अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X के जरिए बृजभूषण पर निशाना साधते हुए उसके लिए ‘माफिया’ शब्द का इस्तेमाल किया है. उन्होंने लिखा, 'बृजभूषण के कारण ही भारतीय कुश्ती को जितना नुकसान उठाना पड़ा है, अगर उसका सही से आकलन कर लिया जाए, तो इसका कच्चा चिट्ठा सामने आ जाएगा. एक माफिया के कारण तिरंगे का अपमान हुआ है.'

वहीं शनिवार को ही एक कॉलेज में कार्यक्रम के दौरान बृजभूषण ने सदस्यता रद्द होने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस फैसले के लिए  प्रदर्शन करने वाले पहलवान जिम्मेदार हैं, इन पहलवानों ने न सिर्फ कुश्ती बल्कि देश के पहलवानों के साथ मजाक किया है. 

बृजभूषण आगे कहते हैं, 'ये बहुत दुखद स्थिति है कि चुनाव समय पर नहीं हो पाने के लिए भारत पहली बार यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग से प्रतिबंधित हुआ है. अगर जल्द से जल्द इस समस्या का जल्द समाधान नहीं किया गया तो भारत को बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा.  

बृजभूषण आगे कहते हैं, 'विश्व कुश्ती संघ ने साफ चेतावनी दी थी कि 45 दिन के अंदर चुनाव नहीं होता है, तो भारत की सदस्यता रद्द कर दी जाएगी. आखिरकार हुआ भी यही. पहले गुवाहाटी हाई कोर्ट ने स्थगन आदेश दिया. इसके बाद पंजाब हाई कोर्ट ने ऐसा ही आदेश दिया. आप सबको पता होगा कि उत्तर प्रदेश से मैं और मेरा बेटा करण सिंह मतदाता थे, लेकिन खिलाड़ियों की मांग पर मैंने बेटे समेत खुद को इससे अलग कर लिया, लेकिन फिर भी चुनाव नहीं हो पाया, इसका नतीजा देश के सामने है. 

वहीं बृजभूषण के इस बयान के बाद पहलवान विनेश फोगाट ने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म X पर लिखा, 'बृजभूषण सिंह खुद कुश्ती महासंघ पर कब्जा किए बैठा है, अपने दखल के बिना महासंघ का गठन नहीं होने दे रहा है. एक अपराधी खुद को बचाने के लिए देश का कितना बड़ा नुकसान कर रहा. 

उन्होंने एक और ट्वीट में कहा, 'महिला पहलवानों का शोषण करने वाला यह आदमी इसलिए महासंघ पर अपना कब्जा रखना चाहता है, क्योंकि अगर उसके गुर्गों की जगह कोई सही इंसान अध्यक्ष बन गया, तो बृजभूषण के काले कारनामे बाहर आ जाएंगे. एक अपराधी अपने आपको बचाने के लिए देश का कितना बड़ा नुकसान कर रहा है, यह जगजाहिर है. 

'उन्होंने कहा, 'बृजभूषण अपने आपको बचाने और महासंघ को अपने कब्जे में रखने के लिए हर ऐसी चाल चल रहा है, जिससे भारतीय कुश्ती कमजोर हो. 

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