एक खिलाड़ी कई साल मेहनत करते हुए अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक का सफर तय करता है. मगर जब उन्हें मजबूरन अपने पसंदीदा खेल से दूर जाना पड़े तो बहुत से लोग हौंसला हार जाते हैं. ऐसी ही स्थिति में आने के बाद बैडमिंटन खिलाड़ी कुहू गर्ग ने हिम्मत नहीं हारी. कुहू को UPSC की परीक्षा में 178वीं रैंक मिली है, लेकिन उनके लिए यह सफलता की राह आसान नहीं रही है. उनके पिता, अशोक कुमार ने बताया कि COVID-19 महामारी के बाद कुहू को उबर कप के ट्रायल के दौरान घुटने में चोट आई थी, जिसके लिए उन्हें सर्जरी करवानी पड़ी थी. चूंकि वो एक साल तक बैडमिंटन कोर्ट पर नहीं उतर सकती थीं, इस कारण उन्होंने सिविल सर्विसेज की तैयारी करने का निर्णय लिया.


इससे पहले कुहू के पिता भी इंडियन पुलिस सर्विस (IPS) में कार्यरत रहे, जिन्होंने पिछले साल ही रिटायरमेंट ली है. कुहू के पिता अशोक कुमार नवंबर 2020 से नवंबर 2023 तक उत्तराखंड के DGP भी रह चुके हैं. उन्होंने X पर पोस्ट के जरिए खुशी जताते हुए बताया कि ये उनके परिवार के लिए बेहद गर्व का पल है. कुहू ने 9 साल की उम्र से ही बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था और उन्होंने अपने विमेंस डबल्स और मिक्स्ड डबल्स करियर में 56 नेशनल और 19 इंटरनेशनल पदक जीतकर देश का गौरव बढ़ाया था. कुहू गर्ग 2018 वर्ल्ड चैंपियनशिप के क्वार्टर फाइनल में भी पहुंची थीं. कुहू गर्ग के पिता ने बताया कि उनकी बेटी शायद ऐसी पहली खिलाड़ी हो सकती है, जिसने 6 साल इंटरनेशनल बैडमिंटन खेला, वर्ल्ड चैंपियनशिप का क्वार्टर फाइनल भी खेला और अब आईएएस या आईपीएस बनने जा रही हैं.






कुहू गर्ग ने अपनी सफलता का श्रेय पिता, अशोक कुमार को देते हुए कहा, "पापा एक DGP होने के नाते रोज कई लोगों की मदद करते थे और ये सब देखकर मुझे भी प्रेरणा मिलती थी. उन्होंने कई सारी किताबें लिखी हैं. मैंने उन्हें पढ़ा है और पिताजी से सवाल भी करती थी. इस तरह से मेरा नेतृत्व और मेंटरशिप पापा ने ही की है. मेरी इस सफलता में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है."


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