(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
महान फुटबॉलर पी के बनर्जी का निधन, लंबे समय से थे बीमार
83 वर्षीय महान फुटबॉलर पी के बनर्जी का आज लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. बनर्जी को पार्किंसन, दिल की बीमारी और डिम्नेशिया था.
कोलकाता: करीब 51 साल तक भारतीय फुटबॉल की सेवा करने वाले महान फुटबॉलर पी के बनर्जी का शुक्रवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. वह 83 साल के थे. बनर्जी के परिवार में उनकी बेटी पाउला और पूर्णा हैं . उनके छोटा भाई प्रसून बनर्जी तृणमूल कांग्रेस से सांसद है .
एशियाई खेल 1962 के स्वर्ण पदक विजेता बनर्जी भारतीय फुटबॉल के स्वर्णिम दौर के साक्षी रहे हैं . वह पिछले कुछ समय से निमोनिया के कारण श्वास की बीमारी से जूझ रहे थे . उन्हें पार्किंसन, दिल की बीमारी और डिम्नेशिया भी था . वह दो मार्च से अस्पताल में लाइफ सपोर्ट पर थे . उन्होंने रात 12 बजकर 40 मिनट पर आखिरी सांस ली .
हाईलाइट्स
1997 में इन्हीं की कोचिंग में फेडरेशन कप सेमीफाइनल में रिकॉर्ड 1 लाख 31 हजार लोग साल्ट लेक स्टेडियम में ईस्ट बंगाल और मोहन बागान के बीच मैच देखने आए. फुटबॉल इतिहास में आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ जब इतने सारे लोग एक मैच को देखने के लिए आए हों. इस मैच में ईस्ट बंगाल ने मोहन बागान को 4-1 से हराया था.
1962 के जकार्ता ओलंपिक में इन्होंने एशियन गेम्स का गोल्ड मेडल अपने नाम किया था
1956 में पीके बनर्जी ने मेलबर्न ओलंपिक में अहम योगदान निभाया था जहां भारत ने ऑस्ट्रेलिया को क्वार्टर फाइनल में मात दिया था.
1960 को रोम ओलंपिक्स के दौरान पीके बनर्जी ने फ्रॉंस के खिलाफ गोल किया था जहां मैच 1- 1 की बराबरी पर खत्म हो गया था.
बनर्जी की बदौलत टीम ने कई इंटरनेशनल जीत अपने नाम किया था.
23 जून 1936 को जलपाईगुड़ी के बाहरी इलाके स्थित मोयनागुड़ी में जन्मे बनर्जी बंटवारे के बाद जमशेदपुर आ गए . उन्होंने भारत के लिये 84 मैच खेलकर 65 गोल किये . फीफा ने उन्हें 2004 में शताब्दी आर्डर आफ मेरिट प्रदान किया था .
बिहार के लिये संतोष ट्राफी में 1952 में पदार्पण करने वाले बनर्जी 51 साल बाद मोहम्मडन स्पोर्टिंग के कोच रहे . वह भारतीय फुटबॉल की उस धुरंधर तिकड़ी के सदस्य थे जिसमें चुन्नी गोस्वामी और तुलसीदास बलराम शामिल थे .
बनर्जी ने 1967 में फुटबॉल को अलविदा कह दिया लेकिन बतौर कोच भी 54 ट्राफी जीती . बनर्जी ने कभी अपने कैरियर में मोहन बागान या ईस्ट बंगाल के लिये नहीं खेला . वह पूरी उम्र पूर्वी रेलवे टीम के सदस्य रहे .
कोलकाता में उन्होंने आर्यन एफसी के साथ क्लब कैरियर की शुरूआत की . आर्यन के कोच दासु मित्रा ने कभी उनके साथ अच्छा बर्ताव नहीं किया . उन्होंने कहा था ,‘‘ मैं कोलकाता छोड़कर जमशेदपुर जाने की सोच रहा था जब बाघा शोम ने मुझे भारतीय रेलवे में नौकरी की पेशकश की . ’’
मोहन बागान ने उनके कोच रहते आईएफए शील्ड, रोवर्स कप और डूरंड कप जीता . ईस्ट बंगाल ने उनके कोच रहते फेडरेशन कप 1997 के सेमीफाइनल में चिर प्रतिद्वंद्वी को हराया .