टीम इंडिया में कई युवा खिलाड़ी हैं जिन्होंने शुरू में अपने प्रदर्शन से अपना नाम तो बनाया लेकिन आगे चलकर या तो वो रास्ते से भटक गए या फिर उनका फॉर्म खराब हो गया. ऐसे में टीम में ज्यादा सीनियर खिलाड़ी भी नहीं जो इन खिलाड़ियों को कोई टिप्स दे सकें. ऐसे में युवराज सिंह ने रिषभ पंत और हार्दिक पंड्या जैसे युवा खिलाड़ियों का नाम लेते हुए कहा कि भारतीय टीम को एक मनोवैज्ञानिक की जरूरत है, जो युवा खिलाड़ियों का ध्यान रख सके.


युवराज ने कहा कि टीम में उस इंसान की कमी है, जो जरूरत पड़ने पर खिलाड़ियों को मानसिक तौर पर मदद कर सके. यूट्यूब पेज स्पोटर्स स्क्रीन से बात करते हुए युवराज ने कहा, "इस टीम में कोई ऐसा खिलाड़ी नहीं है, जो टीम के साथियों से मानसिकता को लेकर बात कर सके. पृथ्वी शॉ और पंत काफी प्रतिभशाली हैं, लेकिन काफी चौकसी और मीडिया होने के कारण आपको कोई चाहिेए होता है जिससे आप बात कर सको." पूर्व हरफनमौला खिलाड़ी ने कहा, "टीम को एक अच्छे मनोवैज्ञानिक की जरूरत है, लेकिन उनका सम्मान किया जाना चाहिए."


उन्होंने कहा, "पांड्या में काफी प्रतिभा है. किसी को उनकी मानसिकता के साथ काम करने की जरूरत है, ताकि वह मुश्किल स्थिति में अच्छा कर सकें. अगर कोई उनकी मानसिकता के साथ काम कर सकता है तो वह अगले विश्व कप में काफी बड़े खिलाड़ी साबित हो सकते हैं."


युवराज ने टीम के मौजूदा कोच रवि शास्त्री के बारे में कहा, "शास्त्री के मार्गदर्शन में टीम ने शानदार प्रदर्शन किया है. टीम आस्ट्रेलिया में जीती. एक कोच के तौर पर वो कैसे मैं नहीं जानता. मैं उनके मार्गदर्शन में कम ही खेला हूं. मैं जानता हूं कि आप हर खिलाड़ी के साथ एक जैसा व्यवहार नहीं कर सकते. हर खिलाड़ी के साथ तरीके अलग होते हैं और मैं इस कोचिंग स्टाफ में वो नहीं देखता."


उन्होंने कहा, "आपके पास बल्लेबाजी कोच विक्रम राठौर हैं. वह मेरे सीनियर रहे हैं. जब मैं राज्य के लिए खेल रहा था तो कई बार मेंटॉर भी, लेकिन पूरे सम्मान के साथ अगर किसी ने लंबे समय तक उस स्तर की क्रिकेट नहीं खेली है और ऐसे में युवा पीढ़ी जो टी-20 तथा छोटे प्रारूप की आदि है.. आप उन्हें क्या बताएंगे? वह उन्हें तकनीक के बताएंगे लेकिन कोई उनसे मानसिक पक्ष पर बात करने के लिए नहीं होगा."


युवराज ने सुनील जोशी की अध्यक्षता वाली सीनियर चयन समिति को भी आड़े हाथों लिया और कहा कि चूंकि उन्होंने भारत के लिए ज्यादा क्रिकेट नहीं खेली है तो उनकी मानसिकता फैसलों को चुनौती देने वाली नहीं होगी. युवराज ने कहा, "मैं हमेशा कहता हूं कि चयनकर्ताओं को फैसलों को चुनौती देने वाला होना चाहिए, लेकिन आपके चयनकर्ताओं ने सिर्फ चार-पांच मैच वनडे मैच खेले हों, तो उनकी मानसिकता उसी तरह की होगी. यह चीजें तब नहीं होती थी जब सौरव गांगुली और महेंद्र सिंह धोनी कप्तान थे. 2011 विश्व कप में हमारे पास अच्छी खासी अनुभवी टीम थी."