किंग्स इलेवन पंजाब के सह-मालिक नेस वाडिया ने मंगलवार को इंडियन प्रीमियर लीग में चीनी प्रायोजन को धीरे-धीरे खत्म करने का आह्वान किया जहां इस महीने के शुरू में पूर्वी लद्दाख में हिंसक झड़प के कारण दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है. 15 जून को गलवान घाटी में 20 भारतीय सैनिकों के मारे जाने के बाद चीनी उत्पादों के बहिष्कार के लिए आवाजें तेज हो गई हैं. वहीं चीनी अब तक अपने सैनिकों के मारे जाने की रिपोर्ट के बाहर नहीं ला रहे हैं.


इस घटना ने बीसीसीआई को चीनी प्रायोजकों की समीक्षा के लिए आईपीएल गवर्निंग काउंसिल की बैठक बुलाने के लिए प्रेरित किया, लेकिन यह बैठक होनी बाकी है. सोमवार को, भारत ने 59 चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया. वाडिया ने कहा कि, "हमें यह करना चाहिए. देश पहले आता है, पैसा दूसरा है. और यह इंडियन प्रीमियर लीग है, न कि चीनी प्रीमियर लीग. इसे उदाहरण के साथ आगे बढ़ना चाहिए और रास्ता दिखाना चाहिए.''


उन्होंने कहा, 'हां, प्रायोजकों को ढूंढना मुश्किल होगा, लेकिन मुझे यकीन है कि ऐसे भारतीय प्रायोजक हैं जो उनकी जगह ले सकते हैं. भारतीय व्यवसायी ने कहा, हमारे पास राष्ट्र और हमारी सरकार के लिए सभी सम्मान होना चाहिए और उन सैनिकों के लिए जो हमारे लिए अपनी जान जोखिम में डालते हैं.


चीनी मोबाइल फोन निर्माता वीवो आईपीएल का टाइटल प्रायोजक है और यह 2022 में समाप्त होने वाली पांच साल की डील के लिए सालाना BCCI को 440 करोड़ रुपये का भुगतान करता है.


आईपीएल में शामिल अन्य कंपनियों - पेटीएम, स्विगी, ड्रीम 11 में चीनी निवेश हैं. सिर्फ आईपीएल ही नहीं, टीमें भी चीनी प्रायोजन को आकर्षित करती हैं.सहालांकि वाडिया ने अपने रुख को स्पष्ट कर दिया, चेन्नई सुपर किंग्स सहित अन्य टीमों ने कहा कि सरकार जो भी निर्णय लेगी, वे खुश होंगे.