कोरोनावायरस के कारण इंडियन प्रीमियर लीग अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो चुकी है, लेकिन आईपीएल फ्रेंचाइजी और खिलाड़ी सोशल मीडिया के जरिए अपने फैंस से जुड़े रहने की कोशिशें कर रहे हैं. इसी क्रम में दिल्ली कैपिटल्स ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर टीम के स्पिनर अक्षर पटेल के साथ लाइव चैट की.


इस दौरान अक्षर ने दिल्ली कैपिटल्स के साथ अपने पहले सीजन के बारे में बात की. साथ ही बताया कि कैसे टीम के युवा कप्तान श्रेयस अय्यर ने टीम को अच्छे से संभाला और उनकी भी मदद की.


श्रेयस के साथ खेलने का फायदा


अक्षर ने बताया कि श्रेयस के साथ पहले खेलने का उनका अनुभव दिल्ली कैपिटल्स में काम आया और उन्हें नई टीम में सेटल होने में आसानी हुई. अक्षर ने कहा, "मैं श्रेयस के साथ इंडिया ए के लिए खेल चुका हूं और जब मैं दिल्ली कैपिटल्स में आया तो ये मेरे लिए बिल्कुल आसान था क्योंकि हम दोनों में अच्छी जमती है."


टीम इंडिया के लिए खेल चुके बाएं हाथ के स्पिनर अक्षर पटेल 5 सीजन तक किंग्स इलेवन पंजाब का हिस्सा थे और 2019 सीजन से ठीक पहले दिल्ली कैपिटल्स ने उन्हें 5 करोड़ में खरीदा था.


बतौर कप्तान श्रेयस के सब्र की तारीफ करते हुए अक्षर ने कहा, "वो मैच के दौरान गेंदबाजों को अपने हिसाब से फील्डिंग लगाने की आजादी देता है. वो काफी सब्र रखता है और उसकी कप्तानी में खेलते हुए मुझे बेहद मजा आया."


अक्षर ने स्वीकार किया कि जब पंजाब ने उन्हें रिलीज किया था तो कुछ वक्त के लिए वो अपने भविष्य को लेकर आश्वस्त नहीं थे. हालांकि जब दिल्ली ने उन्हें खरीदा तो काफी खुश थे क्योंकि इस टीम के कई खिलाड़ियों के साथ वो पहले भी खेल चुके थे.


रिकी पॉन्टिंग भी देते थे अवॉर्ड


इंस्टाग्राम लाइव के दौरान अक्षर ने दिल्ली कैपिटल्स के ड्रेसिंग रूम की एक खास परंपरा का भी जिक्र किया. अक्षर ने बताया कि टीम के मुख्य कोच रिकी पॉन्टिंग मैच में सबसे शानदार प्रदर्शन करने वाले सदस्य को ड्रेसिंग रूम में ईनाम के तौर पर एक खास बैज देते थे.


अक्षर ने कहा, "रिकी ड्रेसिंग रूम में एक अलग मैन ऑफ द मैच अवॉर्ड भी देते थे, जो उस खिलाड़ी को मिलता था, जिसने खास योगदान दिया हो. मुझे भी 5 बार ये मिला था."


दिल्ली की फ्रेंचाइजी ने पिछले साल अपने नाम से लेकर टीम और मैनेजमेंट तक में काफी बदलाव किए थे. दिल्ली डेयरडेविल्स का नाम बदलकर दिल्ली कैपिटल्स किया गया और रिकी पॉन्टिंग को कोच बनाया गया, जबकि सौरव गांगुली को भी मेंटॉर के तौर पर शामिल किया गया. नतीजा ये हुआ कि दिल्ली की टीम करीब 7 साल बाद प्ले ऑफ में पहुंची और तीसरे स्थान पर रही.


ये भी पढ़ें


अगर मिले गायब होने की सुपर पावर, तो इस दिग्गज से मिलने जाएंगे युजवेंद्र चहल